आदरणीय रवीश कुमार जी
वर्तमान पत्रकारिता के दौर में जहॉं मेरे यानि अखंड गहमरी जैसे अशिक्षित और अभ्रद भाषी पत्रकारिता जगत में पर्दापण कर पत्रकारिता जगत को घूमिल कर रहे हैं वहॉं आपको सम्मान मिला मैं आपका सम्मान करता हूँ।
रविश कुमार जी भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र दास मोदी को मैं बचपन से नहीं जानता था, बचपन तो दूर 20 वर्ष की उम्र तक नहीं जानता था, मगर जब गोधरा कांड के बाद उन्होनें ने मुल्लो की बिन बारात बैंड बजाई मैं उनका समर्थक हो गया। मैं ही नहीं देश का हर युवा उनका सर्मथक हो गया। 2014 में शासन आने के बाद से आज तक इसी बात का इंतजार रहा कि कब यह धारा हटें। मैं ही नहीं धारा 370 के विरोध में बोलते हुए, उनके चेहरे पर लाल रंग आते मैने अपने ऐसे ऐसे अग्रजो को सुना और देखा जो एक मुझे हमेशा शालीनता की पाठशाल में शालीनता पढ़ाते है।
रविश जी आपने मोदी के विरोध में बोला, आपने हिन्दुत्व के विरोध में बोला मैं चुप रहा, लेकिन जब कल आप धारा 370 के विरोध में जिस प्रकार बोल रहे थे मुझे पुराने दिन याद आ गये।
आप शायद भूल गये होगें लेकिन मैं नहीं भूला जब आपने गहमर पर अपने एक कार्यक्रम को लेकर मेरे बड़े भाई उदय गुप्ता जो आजतक के चन्दौली पत्रकार है सम्पर्क किया तो उन्के द्वारा आपको गहमर में पूर्ण मदद का भरोसा दिया गया ।
आपने शायद उन पर विश्वास नहीं किया और आप अकेले गहमर गॉंव आये और यहॉं की कहानी को आपने केवल चाय की चुस्कीयों में डूबाते हुए यहॉं का इतिहास इस प्रकार प्रस्तुत किया कि गहमर की पहचान आपके कार्यक्रम से दूर रही।
मैंने आपको कई मेल किया, आपको कई फोन किये मगर आपका रवैया मेरी समझ से बाहर था। आपको पत्र भी मिला जब मैने गाजीपुर के पत्रकार/अधिवक्ता ह़दय कुमार सेवराई के द्वारा आपको कोर्ट का लिगल नोटिस भेजा, मगर शायद आपकी पहुँच मेरी पहुँच से अधिक निकली और मेरे अधिवक्ता ने यह कहते हुए कि फाइल कहीं गुम हो गई कार्यवाही का पटाक्षेप कर दिया। बाद में उदय भाई ने भी इस प्रकरण को समाप्त करने का आग्रह किया। तब से लेकर आज तक मैं आपके किसी बात को गंम्भीरता से नहीं लेता। आपसे देश हित की कोई बात की आशा भी नहीं करता, आपसे हिन्दुत्व की आशा भी नहीं करता ।
रविश जी मैं आपसे सीधा प्रश्न करना चाहता हूँ कि मेरी औकात तो एक खटीया खरीदने की भी नहीं ऐसे में मैं काश्मीर में प्लाट लेने की सोच भी नहीं सकता।
मेरा विवाह हो चुका है दो बच्चे है ऐसे में मैं काश्मीरी लड़की औरत के साथ विवाह भी नहीं करता ।
दिल्ली में सुभाष सर का अपना मकान, मम्बई में श्री सतीश वर्मा का अपना मकान खाली पड़ा है जो बार बार मुझे कहते है चले आओ गहमर छोड़ कर, मगर ये दिल है कि मानता ही नहीं, गहमर से 35 किलोमीटर गाजीपुर जिला मुख्यायल दो साल रहा छोड कर चला आया।
मेरे पास पूँजी भी नहीं है कि मैं काश्मीर में जाकर कोई व्यवसाय कर सकूँगा, तो फिर मुझे क्यों जरूरत थी कि धारा 370 हटे। इस लिए जरूरत थी कि काश्मीर में मेरे बाबा अमरनाथ है, जम्मू में मेरी वैष्णो मॉं है, काश्मीर में मेरे अन्य कई देवताओं के स्वरूप हैं। काश्मीर भारत का अंग था और रहना चाहिए था, मेरा काश्मीर से कोई व्यक्तिगत लाभ हो न हो।
आप द्वारा बार बार धारा 370 हटने से नुकसान- नुकसान कहने का क्या आधार है, यह तो मैं नहीं जानता और ना ताे आपने ही साफ किया है कि नुकसान क्या है।
ऐसे में रविश कुमार जी आप केवल अपनी उल्टी प्रवाह के पत्रकारिता के लिए धारा 370 हटाने का विरोध कर रहे हैं यही सत्य है, वरना मैं तो प्रमाण दे सकता हूँ कि आप किसी स्थान, किसी वस्तु, किसी व्यक्ति के विषय में पूरी जानकारी प्राप्त किये बिना केवल प्राइम शो चलाते हैं, टीवी पर आने की बात कह अपने पीछे कुछ लोगो को दौड़ाते हैं। रवीश जी अभी भी वक्त है छोडीये 14.29 प्रतिशत की चमचागिरी और आईये 83 प्रतिशत के साथ कदम से कदम मिला कर चलीये।
भारत को एक स्वस्थ हिन्दू, हिन्दी, राष्ट्र बनाने के दिशा में मिल कर झंडा बुलंद करीये।
*आपका एक पुराना परिचित अखंड गहमरी'उग्र'*
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