*मत खेलो* अखंड गहमरी
मैं किसी का आस्था पर चोट नहीं करना चाहता, मगर ये भी चाहता हूँ कि कोई हमारी भी आस्था पर चोट न करें। हमारी अस्था पर अगर चोट होगी तो कहीं न कहीं समाज में हमें विद्रोह करना पड़ेगा। वह विद्रोह गाँधी के अहिंसा की तरह होगा कि गोड़से जी कि हिंसा के तरह होगा यह तो वक्त पर निर्भर करेगा।
इस देश में सबको कुछ चुभ रहा है तो वह है ब्राह्मण, राजपूत समेत हिन्दू देवी-देवता और ब्राह्मण एवं राजपूत तो ऐसे लगता है कि सबके तोप के निशाने पर हैं। सबने उन्हें नीचा दिखाने का टेंडर भरा हो, सब उन्हें उड़ाना ही चाहते हैं। सनातन धर्म, देवी-देवता, मान्यताएं पूजन विधि, कर्मकांड, मूर्ति विसर्जन, रूद्राभिषेक, पिर्त-विसर्जन, होली, दशहरा, दिवाली या जनमाष्टमी की परम्पराएं सबके आँखो में चुभ रही हैं। यहाँ तक कि वैदिक ग्रन्थों पर, मंत्रो पर, उसकी प्रसंगिता पर भी सवाल उठा कर समाज में उनको नीचा दिखाने का कोशिश की जा रही है।
भारत में ऋषियों-मुनियों, आधात्म गुरूओं को पूजने की परम्परा आदि काल से है। कई ऐसे हिन्दुओं के साधु-संत-सन्यासी हुए हैं जिनको हिन्दुओं ने पूजा-पाठ के दौरान स्थान दिया है उनको याद किया है, उसकी विधि के अनुसार पूजा की है लेकिन जिस तरह आज फिल्मी दुनिया के मुसलमान निर्माता-निर्देशको और कलाकारों के माध्यम से प्रचलित हुए एक पिंडारी जाति के अफगानी लूटेरे के पुत्र को, जिसका कोई इतिहास नहीं, कोई प्रमाणित गंथ्र नहीं, कोई कार्य नहीं दिखता, महत्व दिया जा रहा है ऐसा किसी के साथ नहीं हुआ। साई को भगवान का दर्जा देते हुए, देवी-देवताओं के समकक्ष खड़ा कर दिया गया है और खड़ा भी ऐसे वैसे नहीं किया गया, कुछ तथाकथित शोषित समाज बना कर, आज की दुनिया में भौतिक संसाधनों की चाह में अँधे हर वर्ग के लोगो को सुनहरे सपने दिखा कर, चमत्कारो की पूरी कहानी सुना कर, मानव-मस्तिष्क कब्जा करके किया गया है। साई को उसको दुर्गा जी, शंकर जी, राम चंद्र जी और कृष्ण जैसे देवताओं के ऊपर दिखाया जा रहा है। साई को ब्रहमा से बड़ा सृष्टिकर्ता बताया जा रहा है।
साई को बाबा का नाम देकर उसके नाम पर मंदिरो का निर्माण करके मुख्य भवन में साई की बड़ी मूर्ति बिठाई जाती है और बगल-बगल के कमरो में हमारे देवी देवताओं की मूर्ति बैठा दी जाती है। मैं पूछता हूँ किस जानकारी और किस उद्देश्य से ऐसा किया जा रहा है? क्या शंकर जी के कद को गिराने से साईं का कद बड़ा हो जायेगा? या गिराने वालो को कोई विशेष फायदा मिल जायेगा?
आप साईं को मानते हैं मानीये, खूब सांई को पूजीये, भंडारा करीये। आप साईं मंदिर हीर जव़ाहरातो से लदा हुआ बनाईये, दिन रात भजन पूजन करें, मगर वहाँ से हमारे देवी-देवताओं को दूर रखें। हमारी भावनाओं के साथ न खेलें। यह गलत है। उसके मंदिरों में हमारे देवी-देवताओं को जिनका एक अलग श्रेष्ठ स्थान है आप किनारा नहीं कर सकते, हम आपको करने नहीं देगें, भले इसकी कुछ भी कीमत चुकानी पड़े।
सुनने पढ़ने में बड़ा अजीब लगता है कि 16 साल की उम्र में अचानक एक युवक एक गाँव में आता है। ध्यान लगाता है और जब मराठो का प्रभाव बढ़ता है तो 1857 में फरार हो जाता है और फिर कुछ दिनों के बाद लौट कर महस्जिद में आ कर आग जला कर उसकी धूनी रमाता है, राख से लोगो का तथाकथित कल्याण करने लगता है। वह धीरे धीरे ऐसा इतना प्रसिद्ध हो जाता है कि लोग उसके मरने (समाधि लेने ) के बाद भूल जाते हैं और फिर हिन्दी फीचर फिल्म अमर अकबर अन्थोनी के ‘‘सिर्डी वाले साई बाबा’’ गीत से उसकी महिमा याद आती है। फिल्म का गाना लोकप्रिय क्या हुआ सिर्डी वाला यह मुस्लिम हिन्दूओं के घरो में देवताओं के ऊपर स्थान ले लिया। मंदिरों में पहुँच कर हिन्दू धर्म को बिखराव के रास्ते पर ला दिया। जो काम अंग्रेज न कर सके वह इस पिड़ारी डकैत के पुत्र ने कर दिया। साई के नाम से प्रख्यात इस पिड़ारी का तो प्रयोग अँग्रेजो ने किया। इनके बाप के नाम कई बार जेल जाने का रिकॉर्ड सुनहरे अक्षरो में लिखा है। चाँद मिंया को आज मुसलमान धर्म के लोग नहीं पूजते बल्कि वह तो मन ही मन खुश होते हैं कि चलो कम से कौमी एकता के कीड़े से काटे हुए हिन्दू पागलपन के हद तक इस तरह गिरे हुए हैं कि वह हमारे लुटेरे के पुत्र को भी भक्तिभाव से अपने घरों में स्थान दिये हैं। कुछ सम्मानित लोगों का विरोध हुआ तो फिर रटी रटाई परिपाटी कि ब्राह्मण अपने वजूद पर खतरा पा रहे हैं इस लिए साई का विरोध कर रहे हैं।
मैं धर्म के जानकारो से, समाज सेवीयों से, साई के समर्थकों से पूछना चाहता हूॅं कि आजादी से लेकर आज तक का पूरे फिल्म जगत के इतिहास में किसी फिल्म में राजपूतो और ब्राहमणों को छोड़ किसी मौलवी-मौलाना को दुराचारी, अत्याचारी, चरित्रहीन दिखाया गया हो? किसी महस्जिद में, किसी साई मंदिर में गलत और अत्याचार होते दिखाया हो? बिलकुल नहीं, यहाँ तो केवल राजपूतों और ब्राह्मणों को, हिन्दू देवी-देवता को निशाना बनाया जाता। मेरी समझ में नहीं आता ऐसा क्यों?
अरे ब्राह्मण और राजपूत के वजूद, इनकी लोकप्रियता इनके कर्म इतने कमजोर नहीं जो साई नामकी हवा और फिल्मों की कल्पना कम कर दे। राजपूतों का अपना एक गौरवशाली इतिहास रहा है। ब्राहमणों को देवी-देवताओं ने राजा-महाराजो ने सम्मान किया, इनको उच्च आसान दिया। हाँ असुरो ने जरूर ताड़व किया तो कुल के कुल खत्म हो गये।
मैं पूरे ब्रह्मांड के हिन्दुओं से पूछना कहना चाहता हूँ कि राम जी एवं कृष्ण जी, सैकड़ों वर्ष पूर्व धरती पर आये, परन्तु आज भी कहीं न कहीं उनके कार्यो व भवनो का प्रमाण मिल जाता है। कोई न कोई निशान मिल जाता है, मगर कोई बताये चाँद मियां अर्थात साई बाबा के विषय में, उनके कर्म एवं उनके क्रियाकलापों के क्या उल्लेख मिलते हैं। मैं हफ्तों से नेट पर खोज रहा हूँ मुझे तो कुछ नहीं मिला सिवा कल्पना के। चलीये मान लिया कि यह प्रश्न थोड़ा कठिन है या टेड़ा है, आप अपने दिल पर हाथ रख कर यही बता दे कि जब तक आप खास तौर से राजपूत , पंडित व बनिया वर्ग के लोग बता देंअपने हिन्दू अपने देवी-देवताओं की पूजा करते थे, उनकी शरण में थे आपको कौन सा कष्ट था ? जो इस साई के पास जाने से दूर हो गया। इसके पास जाने से कौन सी ऐसी मन की शांति मिल गई जो आप को अपने देवी-देवताओं से नहीं मिली?
वैसे एक बात मेरे मन में आती है, अब आप अंहकार कहे या इसे मेरा बड़बोलापन कि ये अपनी राजनैतिक रोटी सेकनें वाले या अपनी धर्म की दुकान चलाने, जनसमूहो के आगे हिन्दू धर्म और देवी-देवताओं का अपमान एवं कर्मकांड, पूजन का विरोध करने वालों पर उल्टा बाँस बरेली होता है तो यह मुहँ छुपा कर आते हमारे ही शरण में हैं।
मैं अखंड प्रताप सिंह ऊर्फ अखंड गहमरी पुनः यह कहना चाहता हूॅं कि आप खूब साई साई करें, खूब साई के गीत गायें, अपने घरो में साई की मूर्ति चाहें जहॉं रखें, मगर साई के मंदिरो से हमारे देवी देवताओं को हटा दे। यही नहीं मैं शिर्डी के मंदिर प्रशासन से भी अनुरोध करूॅंगा कि आप साई के मंदिर में साई के पैरो के पास रखी फोटो फ्रेम में मढ़ी शंकर जी तस्वीर को भी हटा दें। आपकी श्रद्वा जब साई में है तो वहॉं शंकर का क्या काम।
वैसे मुझे लगता है कि साई आज धर्म की दुकान चलाने का एक प्रमुख जरीया हो गये है, जहॉं भोले शंकर एक मॉं दुर्गा की मूर्ति को रख कर हिन्दू धर्म को नीचा दिखाने का प्रयास किया जा रहा है जो बिल्कुल गलत है, इसे बंद होना चाहिए। हम बर्दाश्त नहीं करेगें कि एक लुटेरे के पुत्र के मंदिरो में हमारी आस्था के साथ खिलवाड़ किया जाये क्योंकि हम आपकी आस्था के साथ खिलवाड़ नहीं करते।
जय हिंद जय भारत जय गहमर
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