लगाये आँख में लाली सुबह वो पास आती है
दिखा कर पाँव के कंगना खुशी से मुस्कुराती है।
कहे कैसी सजी हूँ मैं लगा कर मॉंग में काजल
तुम्हें मैं प्यार करती हूँ समझना मत मुझे पागल
लगाती नाक पर बिन्दियॉं अदा उसकी निराली है
जला कर दिन में वो दीपक कहे मुझसे दिवाली है
बजा कर हाथ की पायल मुझे हरदम सताती है
दिखा कर पाँव के कंगना खुशी से मुस्कुराती है।
लगाये आँख में लाली सुबह वो पास आती है
न पूछो बात तुम उसकी बड़ी सीधी बड़ी न्यारी
लगाये गाल में अतला मुझे लगती बड़ी प्यारी
गुलाबी होठ हैं उसके पहनती है नया झुमका
अगर आवें कभी भाई लगाती झूम के ठुमका
खिलाने को उसे बकरा मुझे चूना लगाती है
दिखा कर पाँव के कंगना खुशी से मुस्कुराती है।
लगाये आँख में लाली सुबह वो पास आती है
पहनती नाक गजरा हमेशा लाल फूलों का
टंगी तस्वीर पर मेरी चढ़ाती हार शूलों का
मुझे हो दर्द पैरो में, तो गर्दन मेरा वो मलती।
बड़ा अधिकारी बाहर में, मगर घर में नहीं चलती।
बुला कर घर वो सखियों को, मुझे नौकर बताती है।
दिखा कर पाँव के कंगना खुशी से मुस्कुराती है।
लगाये आँख में लाली सुबह वो पास आती है
बुधवार, 4 अगस्त 2021
दिखा कर पाव के कँगना
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें