अरे नसपिटना तूअ मनबे कि ना मनबेअ बोल त। सनक मत सनक मत। तू जानत नईखे दगनऊ हमके। बबरिया पकड़ के चढ़ जाइब सिनवा व छतिया के बतिया कुल टूट जाई।
तू भेटो हमरा से दोगलऊ। अनेत कइले बाड़अन। तोहरा बुझात नईखे केतना हम मोबअइलिया से बतियाई रे? बोल त। अऊरी माटी लागो इ अमबनिया के नतिया के टवरवा ठीक नईखे करत। उ वीडिइयो प ठीक से लऊकत नईखे। चमकावे ले नथुनी पहिन के त लागे ला पगहा पहिनले बिया। अरे चिनिया के नतिया एक त हमार बियाह तय ना हो त रहे , केतना मेहनत से गुलझरिया चाची हमार बियाह तय करवली अपना ननद के लइकी के चचिया सास के पूआ के नंनदोशी के लइकी के लइका के सास के बेटी से मलतनियापुर में। बियाह क दिन पनडी जी के सजाव दही ऊपर से सवा रूपया दछिना दे के चार गो जयहिन बीड़ी पिया के रखवउनी, तू सरऊ आ के कुल मेहनतिये प पानी फेरत हअव?
अरे दूधकटऊ लतकनिया के, भटकनिया के, धनियवा के,सोमरूआ के, बुधअना के बिहवा त टरवाईये देहलअ।कुल पइसा गइल पानी में। अब हमरो टरवाबे प लागल बाअडअ। दू महीना से रोज खाली मोबाइल प बतियाई ला। भेंट नइखे होत। कइसे जिनगी जीहीं? बताऊ तूही।
मान जो रे त न दिमगवा घूमी त जियते मुह में आग लगा देब मरहूँ ना देब। हमके कनिया ले आबे द नाही त।
अब जा तू भइल पूसे से तू बाड़े बइसाख आ गईल।
जेठ में बियाह बा हमार, ना होई न त तू बूझ लीहे मटिलगनू , चुल्ही में डार देब तोहके।
जा त बानी बतियाबे के टाइम हो गई अब तू जनहीहअ तोहार काम जानी। तोहार दवाई करेम खाली हमरा बियबा के दिनवा त रह जा तू।
भड़केले बानि बियाह टरला के सोच सोच के, जानत हवे न हमार नाव मरखंड सिंह ह, तनि कान नाक खोल के सुन ले मरखंड सिंह
अखंड गहमरी
बुधवार, 4 अगस्त 2021
अरे नसपिटना
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