मंगलवार, 3 अगस्त 2021

देखा है जब से तेरी

देखा है जब से तेरी तस्‍वीर को सनम

आँखो मे मेरे बस गइ खा के कहूँ कसम

कैसा है तुमसे रिश्‍ता हमको नही पता

पर बात अपने दिल की मैं तुमको दूँ बता

जैसे है तेरे साथ रिश्‍ता मेरा अहम

आँखो मे मेरे बस गइ खा के कहूँ कसम

देखा है जब से तेरी तस्‍वीर को सनम

देखा था मैनें सपना एक रात क्‍या कहूँ

आँखो से छलकते अश्‍कों के साथ मैं बहूँ

ये बात मेरी ऐसी नहीं हो तुझे हजम

आँखो मे मेरे बस गइ खा के कहूँ कसम

देखा है जब से तेरी तस्‍वीर को सनम

आ कर तुम बैठो मेरे पास मेरे यार

रहूँ देखता मैं तुझको करता रहूँ प्‍यार

करते है तुमसे प्‍यार या है मेरा वहम

आँखो मे मेरे बस गइ खा के कहूँ कसम

देखा है जब से तेरी तस्‍वीर को सनम

मौलिक एवं अप्रकाशित अखंड गहमरी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें