दीपेश शाह/विदिशा: जुर्माना चाहे एक रुपए का हो या एक कौड़ी का वह जुर्माना ही रहता है. इन दिनों वकील प्रशांत भूषण के ऊपर सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक रुपए जुर्माने की चर्चा देशभर में हो रही है. न्यायालय की अवमानना का दोषी मानते हुए प्रशांत भूषण पर एक रुपए का जुर्माना लगाया गया है. ऐसा ही एक चर्चित मामला विदिशा में भी हुआ है. जहां 150 साल पहले तत्कालीन सिंधिया सरकार ने विदिशा के जमींदार गौरीशंकर श्रीवास्तव पर एक कौड़ी का जुर्माना लगाया था. इसे जमींदार ने स्वीकार नहीं किया और इसके एवज में कुछ और काम करवाने का निवेदन किया है.
आखिर क्या था मामला
तत्कालीन जमींदार के पोते पेशे से अधिवक्ता 83 वर्षीय रमेशचंद्र श्रीवास्तव बताते हैं कि 150 साल पहले दादा गौरीशंकर श्रीवास्तव यहां के जमींदार थे. सिंधिया रियासत में उन्हें कानूनगो की पदवी भी दी गई थी. एक बार एक इत्र बेंचने वाला आया और इत्र खरीदने की बात को लेकर कहासुनी करने लगा. इस पर जमींदार को गुस्सा आ गया और उन्होंने पूरा इत्र चार सौ चांदी के सिक्को में खरीद लिया. इत्र को हवेली की दीवारों पर पुतवा दिया. जिसकी खबर महाराज माधौ राव सिंधिया को लगी तो उन्होंने जमींदार को बुलाने सैनिक भेजे, लेकिन वो नहीं गए.
बुलाने के लिए महाराज ने भेजी बग्घी
जब सिंधिया के बुलाने पर जमींदार नहीं गए तो उन्हें समझ आया कि कुछ गलत है. इसके बाद कानूनगो पदवी की तहत लागू प्रोटोकोल के हिसाब से बग्घी भेजी गई. तब कहीं जाकर गौरीशंकर श्रीवास्तव महाराज सिंधिया के सामने पहुंचे.
फिर महाराज ने सुनाया अपना फैसला
तत्कालीन महाराज ने इत्र वाली घटना को लेकर गौरीशंकर श्रीवास्तव को दोषी ठहराया. जिसे जमींदार ने अस्वीकार किया, लेकिन फिर भी महाराज ने जमींदार गौरीशंकर श्रीवास्तव पर एक कौड़ी जुर्माने की सजा सुना दी. इस फैसले पर जमींदार ने कहा, वह जुर्माना नही भरेंगे चाहे तो महाराज उनसे कुछ और काम करवा सकते हैं.
महाराज ने दिया पुल निर्माण का काम
महाराज सिंधिया ने विदिशा के बेतवा नदी पर जमींदार गौरीशंकर श्रीवास्तव को पुल बनवाने का आदेश दिया था. जिसे जमींदार ने स्वीकार कर लिया और जुर्माने के बदले पुल का निर्माण करवा दिया. गौरीशंकर श्रीवास्तव के बनाए 150 साल पुराने इस पुल पर आज भी यातायात चल रहा है और यह पुल विदिशा को भोपाल से जोड़ता है. इसे रंगई पुल के नाम से जाना जाता है.
मंगलवार, 3 अगस्त 2021
विदिशा: जुर्माना
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