काम खुद चीख-चीख कर बताता है करने वाले का नाम
आगे क्या हुआ दादी?
उसने नींद में आ रही अपनी दादी को झंकझोरते हुए पूछा।
दादी ने प्यार बोला सो जा बेटा बहुत नींद आ रही है, कल सुनाऊँगी।
नींद आ रही है आपको , अभी आपकी नींद भगाता हूँ, यह कहते हुए वह खाट से उतर गया और नन्हें-नन्हें पैरो से चलता हुआ बाबा के खाट के पास पहुँचा और लोटे से अपनी अंजुली में पानी लेकर दादी के मुहँ पर मार दिया।
दादी हड़बड़ा कर उठ बैठी, ये क्या किया तुमने दादी बोली।
दादी पानी डालने से आपकी नींद खुल जायेगीं और आप कहानी सुनायेगी, वह भोले पन से बोलता हुआ.दादी की खाट पर चढ़ गया और उनका चेहरा अपनी तरफ घुमाने लगा।
पास में लेटे बाबा सारी घटना देख रहे थे। पानी से भींगी दादी और पोते की शरारत देख कर बाबा को हसी आ गई। फिर क्या था, दादी ने एक खतरनाक नज़र बाबा पर डाली।
बाबा तुरंत चादर ओढ़ कर लेट गये। वह बाबा की हालत देख कर दादी से हसते हुए पूछा , दादी आप से बाबा इतना डरते क्यों हैं?
आओ कहानी सुनो और सो जाओ, रात बहुत हो गई।दादी ने उसकी बात काटते हुए कहा।
तो सुनाओ आगे क्या हुआ।
आगे यह हुआ कि सैनिक जंगलो पहाड़ो के रास्ते धीरे-धीरे घुटनों के बल आतंकवादीयों की टोह बढ़ रहे थे। आतंकी छुप-छुप कर गोलीबारी कर रहे थे। एक तो काली रात ऊपर से बरसात पहाड़ो पर चढ़ना मुश्किल हो रहा था।
क्यों मुश्किल हो रहा था दादी?
तुम चुपचाप सुनो सवाल बहुत करते हो, मैं बंद कर दूँगी।
अच्छा सुनाओ मेरी पयाली दादी अब कुछ नहीं बोलूँगा, उसने कान पकड़ते कहाँ।
दादी मुस्कुरा कर उसे सीने से लगा ली। दादी जल्दी जल्दी कहानी खत्म कर सोने के मूड में थी।
मगर उन्हें किसी तरह सुबह होने से पहले पहाड़ी पर चढ़ कर आतंकवादीयों से बच्चों को छुड़ाना था। तभी एक जोर का धमाका हुआ और चारो तरफ रौशनी फैल गई।
रौशनी फैलते ही पहाड़ी से गोलीबारी शुरू हो गई। यह.तो संयोग ही था कि कोई घायल नहीं हुआ। आतंकी लगातार गोले बरसा रहे थे। शायद उन्हें आभास हो गया था कि कोई आ रहा है। जब बहुत देर तक हलचल नहीं हुई तो गोले गिरना बंद हो गये।
आदत सुधरती नही, दादी ये गोले क्या होते हैं
दादी ने उसे आँख दिखाया और आगे बोली
तभी कमांडर ने एक विशेष आवाज निकाल कर सभी को लेटे लेट पास आने को कहा।
जब सभी सैनिक पास आ गये तो उसने एक योजना समझाई। सब ने उस योजना को समझ कर पहाड़ी के चार खेमें में बट कर चढ़ना शुरू किया।
अब न गोलाबारी हो रही थी न कोई हलचल। सैनिक आराम से पहाड़ी के ऊपर पहुँच गये, और चारो तरफ से एक साथ हमला कर दिये।
आतंकवादी शायद पूरी तरह से न प्रशिक्षित थे और न तैयार वह घबड़ा गये और मारे गये। सेना ने सभी बच्चों को कब्जे से मुक्त करा लिया।
तब तो सेना को खूब इनाम मिला होगा दादी
हाँ भारतीय सेना की बहुत तारीफ हुई, कमांडर की खूब प्रशंसा हुई, चारो तरफ उसके चर्चे हुए।
और सैनिकों का दादी क्या हुआ?
अगले दिन अखबार में कई सैनिकों की वीरता की कहानी छपी। किसने कैसे-कैसे क्या किया सब बताया गया, भारत सरकार ने प्रमोशन दिया, मेडल दिया।
दादी जब वहाँ कोई नहीं था तो सबको कैसे पता चला कि किसने कैसे-कैसे क्या किया?
बेटा अब सो जाओ तुम्हारी दादी को बहुत नींद आ रही है, बाबा हम दोनों को मारेगें।
हा हा हा हा बाबा आप को मारेगें? अभी देखा नहीं मैनें आपके आँखे दिखाते बाबा कैसे डर चादर ओढ़ लिये।
शैतान कहीं का, दादी के चेहरे पर हल्की मुस्कान आ गई वह.लजाते हुए बोली,।
बस दादी इतना बता दो फिर सो जाना
बेटा किसी का किया अच्छा बुरा काम छुपता नहीं है। जब आप समूह में काम करते हो तो पहले भले ही मुखिया का नाम आ जाये लेकिन तुम्हारे काम खुद ही चीख-चीख कर लोगो को बताते हैं, और उस चीख पर लोग आँख बंद करके भरोसा करते हैं, और उस भीड़ से सैनिक को निकाल कर दिल में बसाते हैं, वर्षो तक याद करते हैं।
हाँ दादी आप सही कह रही हैं इस लिए ही तो हम सैनिकों के बारे में रोज पढ़ते हैं, और कामंडर को नहीं उसे ही जानते हैं पहचानते हैं।
हाँ हाँ ठीक है, अब सो जाओ, चलो।
दादी उसे अपने सीने से लगा उसके साथ लेट जाती है।
अखंड गहमरी
बुधवार, 4 अगस्त 2021
काम खुद चीख-चीख कर बताता है
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें