भारत में सबसे कठिन पंचायतों का चुनाव माना जाता है।ये गाँव का चुनाव है। प्रत्याशी जब वोट माँगने जाता है तो हर मतदाता ऐसे व्यवहार करता है जैसे उस प्रत्याशी से अधिक कोई सगा उसका है ही नहीं। और जब प्रत्याशी चला जाता है तो मतदाता प्रत्याशी तो दूर उसके सात पीढ़ी ने उसके साथ पीढ़ी के साथ कैसा व्यवहार किया चर्चा मतदाता के घर में चलने लगती है। ये चीज अन्य किसी चुनाव में यहाँ तक कि नगर निकाय के चुनाव में भी आपको देखने को नही मिलेगी।
ऐसी ही एक चर्चा आजकल गहमर के जिला पंचायत चुनाव में उठी है। रेनू सिंह पत्नी हरेराम सिंह के परिवार और गहमर इंटर कालेज को लेकर।
रणजीत बाबा के काल के गाल में समाने के बाद हरे राम सिंह गहमर इंटर कालेज के प्रवंधक बने। कैसे बने?क्यो बने यह बातें हमारे इस लेख में गौण हैं। हेराम सिंह के प्रवंधक होने के से पहले मैनें हमेशा ही गहमर इन्टर कालेज को विवादों में देखा। कभी प्रवंधक तंत्र और अध्यापकों के बीच में विवाद, तो कभी विल्डिंग फीस को लेकर विवाद तो कभी अध्यापक-अध्यापक में विवाद, तो कभी प्रवंधतंत्र में विवाद, तो कभी जमीन का विवाद।
कहना गलत नहीं होगा कि गहमर इन्टर कालेज विवाद का दूसरा नाम था। हाँ बच्चों की सुख सविधा, पठन-पाठन की व्यवस्था पर विवाद कभी नहीं देखा।
हे राम सिंह के आने के बाद भी वहीं बिल्डिंग फीस का झगड़ा बरकरार रहा। यही नहीं गहमर इंटर कालेज में नई नियुक्ति न होने और पुराने अध्यापकों के सेवानिवृत्त होने से बच्चों के पठन पाठन का भी कार्य प्रभावित हो रहा था। पुराने भवन जर्जर हो कर गिर रहे थे। बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही थी। सोशल एक्टिविटी बंद थी। गहमर के अभिवावक बिल्डिंग फीस के अतरिक्त कोई बात नहीं कर रहे थे। ऐसे में हे राम सिंह ने अपने लिए एक टीम बनाई। टीम बना कर हर विषय में पठन-पाठन हेतु नीजी अध्यापको की नियुक्ति हुई। गहमर इंटर कालेज के हृदय नारायण सिंह जी के नेतृत्व में सांस्कृतिक कार्यक्रमों में रूची जगाने के लिए टीम बनी।
बच्चों में ड्रेस कोड लागू किया गया। दिन भर दादा के दलान समझ कर जब मन तब आने वाले बच्चों पर कड़ाई हुई और गेट समय से खुलने बंद होने लगा। छुट्टी होती तो लगता था कि कोई स्कूल है। सड़क पर आते जाते आदमीयो को अब हल्ले की जगह पढ़ाई सुनाई देने लगी।
आरा मशीन से लेकर शिव कुमार डाक्टर के घर तक खड़े और तेजी से निकलने वाले मजनूयों की न सिर्फ धुनाई हुआ बल्कि छत की खिड़कियों पर खड़ी लैला को भी गेयर में लिया गया। खेल के सामान आये, नित्य नये कार्यक्रम आयोजित हुए। अन्य अंदरूनी विवादों के बारे में जानने की ललक बाल-विकास को देखने के बाद खत्म हुई। बिल्डिंग फीस से क्लास, कटरे , मंच , नये भवन बने, नीजी अध्यापकों को वेतन दिया गया। प्रतिदिन विद्यालय में आकस्मिक चेकिंग, मास्टरों के साथ बैठक, बच्चों के साथ बातें, मोबाइल, फैशन, पर प्रतिबंध के साथ बच्चों द्वारा लाये गैर जरूरी सामानो की चेकिंग इत्यादि कर गहमर इंटर कालेज को नई दिशा दी।
बिल्डिंग फीस अब प्रवंधक बनने का औजार था। हो हल्ला जारी था। न जाने क्या हुआ। हरे राम सिंह गये। परिवार वाद से हट कर एक संघ का बहुत ईमानदार व्यक्ति प्रवंधक बना। जिस बिल्डिंग फीस को आधार बना कर वह इमानदार प्रवंधक बने, बिल्डिंग फीस जारी रखे, गहमर इंटर कालेज की सारी व्यवस्था छिन-भिन्न.हो गई। बात बात में राजकुमार की तरह इस्तीफा देने वाले मारकंडेय सिंह कालेज में फिर प्रवंधतंत्र और अध्यापकों के बीच खाई खीच दियें, सारे अनुशासन तार तार हो गये।
बच्चों के सांस्कृतिक कार्यक्रम बंद हो गये। स्कूल में कोई कार्यक्रम होता तो माइक मशीन तक खराब। गहमर इंटर कालेज बोर्ड परीक्षा में तीन साल के लिए प्रतिबंधित हो गया।
विद्यालय प्रवंधक अपने जिद और अंहकारी स्वभाव एवं वर्तमान अध्यक्ष तक की बात सुनने को तैयार नहीं।
कोरोना काल में भी जबदस्ती बिल्डिंग फीस ली गई।
स्कूल की विस्तृत हालत को लेकर 2019 में मेरा लेख यूथ कार्नर में छपा।
इस लिए स्कूल के बिल्डिंग फीस को आधार बना कर जिला पंचायत चुनाव में हेराम सिंह को घेरने वाले इतना बता दें कि गहमर की आबादी और गहमर में और रहने वाले मिल कर गहमर इंटर कालेज की समस्या, उसके उत्थान की दिशा में क्या क्या प्रयास किये? अधिकारीयों से लेकर शासन प्रशासन तक यहाँ की दुर्व्यवस्था को फैलाए। गहमर इंटर कालेज से पढ़ कर योग्य बने कितने लोग कभी गहमर इंटर कालेज में आकर अपने विचार रखे।
यदि हेराम सिंह गलत कर रहे थे तो संघ के कर्मठ इमानदार उस परिवार से हट कर प्रवंधक बने मारकंडेय सिंह ने व्यवस्था क्यों नहीं सुधारी? दोषी बना कर सज़ा का प्रयास क्यों नहीं किया?
गहमर इंटर कालेज पर यदि सपा के हेराम सिंह को घेरा जाये तो संघ समर्थित भाजपा को क्यों नहीं?
मेरा मानना है कि हेराम सिंह ने अपने पूरे कार्यकाल में गहमर इन्टर कालेज को अनुशासन, प्रतिभा विकास, पठन-पाठन में जो कार्य किया उसका कोई तोड़ नही है।
हेराम सिंह कुछ हो चाहे न हो राजनीति चाहे जो करे महिला एवं बाल विकास के क्षेत्र में कुशल नेतृत्वकर्ता साबित हो सकते हैं। जिसकी जरूरत है।
अखंड गहमरी
उपरोक्त लेख मेरी आँखो देखी व्यवस्था के आधार पर है।
मंगलवार, 3 अगस्त 2021
बील्डि़ग फीस
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