गमो को जब मिटाना हो तो लिखता हूँ ।
मुझे उसको भुलाना हो तो लिखता हूँ ।।
न चाहूँ गीत ग़ज़ले मैं कभी लिखना।
मगर खुद को जलाना हो तो लिखता हूँ।।
न हूँ मैं प्यार के काबिल कहा उसने ।
सभी को ये सुनाना हो तो लिखता हूँ।।
बहा वो अश्क मेरे खुश बहुत होती।
मैं गम दिल में सजाना हो तो लिखता हूँ ।।
नही मैं आदमी तेरे भरोसे का ।
सभी को ये बताना हो तो लिखता हूँ।।
तपन दिल की मिटा सकती, नहीं बारिस की बूँदे भी।
फुहारे जब पड़े दिल पे, किसी की याद आती है।
अखंड गहमरी, गहमर, गाजीपुर
अखंड गहमरी
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