*हमारा नेता कैसा हो गजगमिनियाँ के जैसा हो*
तुम एक बेहुदा इंसान हो गये हो, दिमाग ठिकाने नही है? क्रोध में काँपते हुए मेरी बाइफ होम चीख पड़ी।
क्या हुआ जानेमन क्यों ज्वालामुखी की तरह फट रही हो?
कई हजार पतियों की आत्मा को अपने अंदर समाहित कर मैं साहस से बोल पड़ा।
मैं आगे कुछ बोल पाता उसके पहले एक अदद चरण पादुका राफेल की तफ्तार से मेरे चाँद से मुखड़े की बढ़ी, निशान और समय अचूक , मेरा मुखड़ा साफ। स्वर में सिंह का गर्जन लाते चीखी, मैनें कहाँ भेजा? स्टेशन न? बोला था न कि मेरे ससुर के समधी की बेटी की ननद की माँ के बेटे की पत्नी की माँ की बेटी आने वाली है जा कर स्टेशन से ले आना?
अरे! मेरी चन्दरमुखी मैं तो भूल गया। अरे मेरी जाने-जिगर अब मान भी जाओ। देखो इसमें मेरा कोई दोष नहीं।
तो किसका दोष है? मेरा?
अरे नहीं चुनमुनकी तुम तो दोष रहित, रहम दिल, प्यारी प्यारी मेरी लतमरूआ डार्लिंग हो।
ये किस किस चुड़ैलों का नाम ले रहे हो तुम? मेरा नाम भी याद नहीं। रूको बताती हूँ। तड़ाक -तड़ाक
हाय माँ , बचाओ बचाओ अरे मेरी ममता डार्लिग सब दोष तुम्हारे रमेश तिवारी जी का है, जो सुबह सुबह शहीनबाग लेकर चले गये।
चल भाग यहाँ से वह गरजते हुए बोली, और दौड़ कर जल्दी से शिवगतिया साव का रसगुल्ला ले कर आवो।
जिसको लाने गये थे वह आ चुकि है।
जैसी आज्ञा सरकार की, मैं यूँ गया और यूँ आया। दर्द को मुस्कान में छुपा कर बोलना पड़ा।
आप तो मेरी पीड़ा समझ ही रहे होगें? समझ रहे हैं न?
ये लो पैसे और पूरा हिसाब देना। जाकर उस कलमुँहे संतोष को पान के पैसे मत दे देना, बहुत पान खाते हो।
अब जाओ मुँह मत देखो।
चलो भाई गहमरी , जान बची तो लाँखो पाये। चल दिया मैं बाजार की तरफ , अभी दस कदम ही गया था कि
ट्रीन-ट्रीन मेरा मोबाइल बज उठा।
नम्बर देख कर तो मेरे पैर जमीन से दस फीट ऊँचे उठ गये।
आप तो समझ ही गये होगें फोन किसका था?
बिल्कुल सही समझा फोन मेरी जाने जिगर, मेरी लखते जिगर, मेरी सूरज मुँखी, मेरी चनर मुखी, दिल की रानी, मेरी दिवानी, बहुत सयानी *मेरी पूर्व प्रेमिका नम्बर वन गजगमिनियाँ का था*
हैलो डियर
इलू इलू इलू इलू
उधर से जो जबाब मैं उसको शब्दों में बयां नही करता।
बस दो मिनट में पहुँच मैने उसे आश्वासन दिया।
अब यो मेरे कदमों ने अग्नि, पृथ्वी और राफेल के चाल को भी फेल कर दिया।
उसके घर के बाहर की खुशबु की मेरा रोम रोम महक उठा।
हाय पीछे से एक तेज आवाज के साथ मेरे पीठ पर थपकी पड़ी।
मैं पीछे मुड़ कर देखा और देखते भाग लिया जैसे कोई भूत मेरे सामने आ गया हो।
डरे डरो मत मैं ही हूँ तुम्हारी गजगमिनियाँ, उसने नकाब उठाते हुए हँस कर कहा।
तुम और इस वेष में?
हाँ आज मुझे चुनाव प्रचार करने शहीनबाग जाना है न, त़ो ऐसे जाना होगा।
खैर छ़़ोड़ो ये सब, तुम नहीं समझोगे मेरे सावरे बलम।
बस जल्दी से मेरे साथ चलो।
मरता क्या न करता हाथो में हाथ डाले चल पड़ा।
जानते हो मेरे लतखौक मतलब मुसलमान किसी से नहीं डरते वह अपने ऊपर अन्याय बर्दाश्त नहीं करते है।
हाँ जानता हूँ मेरी धमकियां।
क्या जानते हो ?
यही जानता हूँ कि वह कितने निडर हैं। निडर सद्दाम निडर लादेन बंकर में, गद्दाफ़ी को पुलिया में छुपे थे।
फालतू की बात मत करो वह थोड़ा गरम हुई।
गरम मत हो प्रिय अभी तो आगे सुनो इनकी वीरता।
ईदी अमीन को महिला के वेश में सऊदी, रोहिंग्याओं को वर्मा से , ISIS को बुर्के मे भागते देखा है। नियाजी सरेंडर करते हुए सुना है। जाकिर को मलेशिया में छिपा और न जाने कितने मुल्ले आतंकवादीयों को पहाड़ो व अन्य जगह छुप कर निर्दोषो पर वार करते देखा है। ये वीरता नहीं तो और क्या है? ये डर नहीं तो और क्या है?
कहते हुए मैं गजगमिनियाँ की तरफ डर से देखा जो मेरी बातों को हवा में उड़ते हर आने जाने वाले अंजान बेगाने को झुक कर सलाम कर रही थी। आज तो उसका रूप देख कर सियार भी शर्मा रहा होगा।
तुमको जो बोलना है बोलो मेरे सावरेबलम मगर मैं तो आज यही जानती हूँ कि मुसलमान डरते नहीं झुकते नहीं।
सरकार को हर हाल में कैब और एनआरसी वापस लेना होगा , हम कोई कागज नहीं दिखायेगें।
हा हा हा हा कागज होगा तो दिखाओगी न। देख लो जिनके पास है वह सीना ठोंक कर हैं।
तुम भी सठिया गये हो, किसके पास पुराने कागज होगें।
देख मेरी झुनझुनियाँ पहले दोनो बिल के अन्तर को समझो तब बोलो ।
हमें कुछ नहीं समझा, बस कागज नहीं दिखायेगें तो कागज नहीं दिखायेगें, देखती हूँ मेरे भाईयों को कौन भगाता है,?
अरे यार कौन किसको भगा रहा है।
कागज कागज कागज
अरे कागज तो घुसपैठियों को अलग करने को माँगा जा रहा है। वो तो दिखा देना चाहिए।
बिल्कुल नहीं।
तब चिल्लाओ वैसे ही जैसे कहते हो लाल किला, कुतुबमीनार, ताजमहल हमारा है, हमारे बाप दादाओ ने बनवाया है।
मतलब क्या है तुम्हारा? उसने घूरते हुए कहा।
देखो देखो क्रोध से तुम्हारे चेहरे की लाली तुम्हारी सुंदरता में 11 चाँद लगा रही है।
भागते हो कि नही, उसने हल्का शर्माते हुए कहा।
अच्छा मतलब बताओ क्या चाहते हो..हम लालकिले और ताजमहल का कागज दिखायें?
बिल्कुल यदि तुम्हारा है तो कागज दिखाओ। देखो हमने काश्मीर का कागज दिखा कर ले लिया, 5000 साल पहले बने राममंदिर का इतिहास, प्रमाण और कागज दिखा कर ले लिया। तुम कहते हो कि 50 साल पहले का कागज नहीं है।इसका मतलब है कि तुम घुसपैठिए हो। साँच को आँच.अभी मेरे पूरे शब्द निकले ही नहीं थे कि
अच्छा बंद करो अपनी ये जुबान आ गये शहीनबाग।
तभी उसके पास कई महिलाएं दौड़ आई जो बड़े सम्मान उसे मंच पर ले गई। पूरे मतचमिश मिनट तक वो क्या क्या बोली में समझ में कुछ नहीं आया मगर गर्व तो इस बात का है कि उसकी हर बात पर खूब ताली बजी और हर बार एक स्वर गूजँता, हमारा नेता कैसा हो गजगमिनियाँ के जैसा हो।
कार्यक्रम समाप्त हो चुका था, उसके साथ साथ मेरा भी गदहे का जन्म छूँट चुका क्योंकि आशा थी हर अखबार में मेरी भी फोटो छपेगी। सब से निपटकर वह मेरे पास आई दूर से फ्लाइंग किस उड़ाते बोली, चलो मटमिटिया डार्लिंग घर चलते है, भाषणा सफल रहा , रास्ते में शिवगतिया साव का रसगुल्ला खाते हैं। रसगुल्ले की बात सुन कर मेरे इश्क का भूत उतर गया, मैने जेब की तरफ देखा तो जैसे लगा कि अंदर पड़ा 500 का नोट बोल रहा हो..बेटा अखंड गहमरी तुम नहीं सुधरेगा। आज तो तेरी बाँट लगेगी। मैं अब कर भी क्या सकता था। गजगमिनियाँ के हाथो में हाथ डाले शिवगतिया के दुकान पर रसोगुल्ला खाने पहुँच गया । उसके बाद तो आज मेरी वाइफ होम रसगुल्ले के साथ साथ उसके माँ-बापको भी निकालेगीं।।। जरा आप अखंड गहमरी की सलामती की प्रार्थना करें। बाकी तो आज पत्नी से पिटने का आनंद मुझे हस कर लेना ही होगा।
*अखंड गहमरी*
तुम एक बेहुदा इंसान हो गये हो, दिमाग ठिकाने नही है? क्रोध में काँपते हुए मेरी बाइफ होम चीख पड़ी।
क्या हुआ जानेमन क्यों ज्वालामुखी की तरह फट रही हो?
कई हजार पतियों की आत्मा को अपने अंदर समाहित कर मैं साहस से बोल पड़ा।
मैं आगे कुछ बोल पाता उसके पहले एक अदद चरण पादुका राफेल की तफ्तार से मेरे चाँद से मुखड़े की बढ़ी, निशान और समय अचूक , मेरा मुखड़ा साफ। स्वर में सिंह का गर्जन लाते चीखी, मैनें कहाँ भेजा? स्टेशन न? बोला था न कि मेरे ससुर के समधी की बेटी की ननद की माँ के बेटे की पत्नी की माँ की बेटी आने वाली है जा कर स्टेशन से ले आना?
अरे! मेरी चन्दरमुखी मैं तो भूल गया। अरे मेरी जाने-जिगर अब मान भी जाओ। देखो इसमें मेरा कोई दोष नहीं।
तो किसका दोष है? मेरा?
अरे नहीं चुनमुनकी तुम तो दोष रहित, रहम दिल, प्यारी प्यारी मेरी लतमरूआ डार्लिंग हो।
ये किस किस चुड़ैलों का नाम ले रहे हो तुम? मेरा नाम भी याद नहीं। रूको बताती हूँ। तड़ाक -तड़ाक
हाय माँ , बचाओ बचाओ अरे मेरी ममता डार्लिग सब दोष तुम्हारे रमेश तिवारी जी का है, जो सुबह सुबह शहीनबाग लेकर चले गये।
चल भाग यहाँ से वह गरजते हुए बोली, और दौड़ कर जल्दी से शिवगतिया साव का रसगुल्ला ले कर आवो।
जिसको लाने गये थे वह आ चुकि है।
जैसी आज्ञा सरकार की, मैं यूँ गया और यूँ आया। दर्द को मुस्कान में छुपा कर बोलना पड़ा।
आप तो मेरी पीड़ा समझ ही रहे होगें? समझ रहे हैं न?
ये लो पैसे और पूरा हिसाब देना। जाकर उस कलमुँहे संतोष को पान के पैसे मत दे देना, बहुत पान खाते हो।
अब जाओ मुँह मत देखो।
चलो भाई गहमरी , जान बची तो लाँखो पाये। चल दिया मैं बाजार की तरफ , अभी दस कदम ही गया था कि
ट्रीन-ट्रीन मेरा मोबाइल बज उठा।
नम्बर देख कर तो मेरे पैर जमीन से दस फीट ऊँचे उठ गये।
आप तो समझ ही गये होगें फोन किसका था?
बिल्कुल सही समझा फोन मेरी जाने जिगर, मेरी लखते जिगर, मेरी सूरज मुँखी, मेरी चनर मुखी, दिल की रानी, मेरी दिवानी, बहुत सयानी *मेरी पूर्व प्रेमिका नम्बर वन गजगमिनियाँ का था*
हैलो डियर
इलू इलू इलू इलू
उधर से जो जबाब मैं उसको शब्दों में बयां नही करता।
बस दो मिनट में पहुँच मैने उसे आश्वासन दिया।
अब यो मेरे कदमों ने अग्नि, पृथ्वी और राफेल के चाल को भी फेल कर दिया।
उसके घर के बाहर की खुशबु की मेरा रोम रोम महक उठा।
हाय पीछे से एक तेज आवाज के साथ मेरे पीठ पर थपकी पड़ी।
मैं पीछे मुड़ कर देखा और देखते भाग लिया जैसे कोई भूत मेरे सामने आ गया हो।
डरे डरो मत मैं ही हूँ तुम्हारी गजगमिनियाँ, उसने नकाब उठाते हुए हँस कर कहा।
तुम और इस वेष में?
हाँ आज मुझे चुनाव प्रचार करने शहीनबाग जाना है न, त़ो ऐसे जाना होगा।
खैर छ़़ोड़ो ये सब, तुम नहीं समझोगे मेरे सावरे बलम।
बस जल्दी से मेरे साथ चलो।
मरता क्या न करता हाथो में हाथ डाले चल पड़ा।
जानते हो मेरे लतखौक मतलब मुसलमान किसी से नहीं डरते वह अपने ऊपर अन्याय बर्दाश्त नहीं करते है।
हाँ जानता हूँ मेरी धमकियां।
क्या जानते हो ?
यही जानता हूँ कि वह कितने निडर हैं। निडर सद्दाम निडर लादेन बंकर में, गद्दाफ़ी को पुलिया में छुपे थे।
फालतू की बात मत करो वह थोड़ा गरम हुई।
गरम मत हो प्रिय अभी तो आगे सुनो इनकी वीरता।
ईदी अमीन को महिला के वेश में सऊदी, रोहिंग्याओं को वर्मा से , ISIS को बुर्के मे भागते देखा है। नियाजी सरेंडर करते हुए सुना है। जाकिर को मलेशिया में छिपा और न जाने कितने मुल्ले आतंकवादीयों को पहाड़ो व अन्य जगह छुप कर निर्दोषो पर वार करते देखा है। ये वीरता नहीं तो और क्या है? ये डर नहीं तो और क्या है?
कहते हुए मैं गजगमिनियाँ की तरफ डर से देखा जो मेरी बातों को हवा में उड़ते हर आने जाने वाले अंजान बेगाने को झुक कर सलाम कर रही थी। आज तो उसका रूप देख कर सियार भी शर्मा रहा होगा।
तुमको जो बोलना है बोलो मेरे सावरेबलम मगर मैं तो आज यही जानती हूँ कि मुसलमान डरते नहीं झुकते नहीं।
सरकार को हर हाल में कैब और एनआरसी वापस लेना होगा , हम कोई कागज नहीं दिखायेगें।
हा हा हा हा कागज होगा तो दिखाओगी न। देख लो जिनके पास है वह सीना ठोंक कर हैं।
तुम भी सठिया गये हो, किसके पास पुराने कागज होगें।
देख मेरी झुनझुनियाँ पहले दोनो बिल के अन्तर को समझो तब बोलो ।
हमें कुछ नहीं समझा, बस कागज नहीं दिखायेगें तो कागज नहीं दिखायेगें, देखती हूँ मेरे भाईयों को कौन भगाता है,?
अरे यार कौन किसको भगा रहा है।
कागज कागज कागज
अरे कागज तो घुसपैठियों को अलग करने को माँगा जा रहा है। वो तो दिखा देना चाहिए।
बिल्कुल नहीं।
तब चिल्लाओ वैसे ही जैसे कहते हो लाल किला, कुतुबमीनार, ताजमहल हमारा है, हमारे बाप दादाओ ने बनवाया है।
मतलब क्या है तुम्हारा? उसने घूरते हुए कहा।
देखो देखो क्रोध से तुम्हारे चेहरे की लाली तुम्हारी सुंदरता में 11 चाँद लगा रही है।
भागते हो कि नही, उसने हल्का शर्माते हुए कहा।
अच्छा मतलब बताओ क्या चाहते हो..हम लालकिले और ताजमहल का कागज दिखायें?
बिल्कुल यदि तुम्हारा है तो कागज दिखाओ। देखो हमने काश्मीर का कागज दिखा कर ले लिया, 5000 साल पहले बने राममंदिर का इतिहास, प्रमाण और कागज दिखा कर ले लिया। तुम कहते हो कि 50 साल पहले का कागज नहीं है।इसका मतलब है कि तुम घुसपैठिए हो। साँच को आँच.अभी मेरे पूरे शब्द निकले ही नहीं थे कि
अच्छा बंद करो अपनी ये जुबान आ गये शहीनबाग।
तभी उसके पास कई महिलाएं दौड़ आई जो बड़े सम्मान उसे मंच पर ले गई। पूरे मतचमिश मिनट तक वो क्या क्या बोली में समझ में कुछ नहीं आया मगर गर्व तो इस बात का है कि उसकी हर बात पर खूब ताली बजी और हर बार एक स्वर गूजँता, हमारा नेता कैसा हो गजगमिनियाँ के जैसा हो।
कार्यक्रम समाप्त हो चुका था, उसके साथ साथ मेरा भी गदहे का जन्म छूँट चुका क्योंकि आशा थी हर अखबार में मेरी भी फोटो छपेगी। सब से निपटकर वह मेरे पास आई दूर से फ्लाइंग किस उड़ाते बोली, चलो मटमिटिया डार्लिंग घर चलते है, भाषणा सफल रहा , रास्ते में शिवगतिया साव का रसगुल्ला खाते हैं। रसगुल्ले की बात सुन कर मेरे इश्क का भूत उतर गया, मैने जेब की तरफ देखा तो जैसे लगा कि अंदर पड़ा 500 का नोट बोल रहा हो..बेटा अखंड गहमरी तुम नहीं सुधरेगा। आज तो तेरी बाँट लगेगी। मैं अब कर भी क्या सकता था। गजगमिनियाँ के हाथो में हाथ डाले शिवगतिया के दुकान पर रसोगुल्ला खाने पहुँच गया । उसके बाद तो आज मेरी वाइफ होम रसगुल्ले के साथ साथ उसके माँ-बापको भी निकालेगीं।।। जरा आप अखंड गहमरी की सलामती की प्रार्थना करें। बाकी तो आज पत्नी से पिटने का आनंद मुझे हस कर लेना ही होगा।
*अखंड गहमरी*
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