वर्षो बाद आज माननीय रेल राज्यमंत्री जी सकलडीहा से बारा तक करोड़ो रूपये
की परियोजनाओं का लोकापर्ण और शिलान्यास किये। बहुत ही अच्छी बात है ,
खुशी हुई कि आज चार साल 6 महीने के बाद माननीय मनोज सिन्हा जी ने गाजीपुर
के पूर्व सांसद राधेमोहन सिंह द्वारा जनवरी 2014 में स्वीकृत कराये गये
गहमर रेलवे स्टेशन की लम्बाई एवं सुन्दरीकरण के कार्य को पूरा किया ।
वैसे भी मनेाज सिन्हा का इन्तजार गहमर गाँव बहुत दिनो से कर रहा था। आज
मनोज जी सरकारी कार्यक्रम के तहत गहमर आये और गहमर की जनता की आशाओं पर
कितना खरा उतरे वह तो गहमर की जनता ही बता पायेगी क्योंकि हम तो ठहरे
विरोधी खेमा, हर बात गलत ही लगेगी। वैसे आज मनोज सिन्हा जी का यह
लोकापर्ण और शिलान्यास का सरकारी कार्यक्रम मेरे गले नहीं उतरा। अमृतसर
में 19 अक्टूबर की रात रावण दहन के दौरान हुए हुए रेल हादसे को अभी 40
घंटे भी नहीं बीते। लोगो की माने तो 13 अप्रैल 1919 के यह दूसरा जलियावाला
बाग कांड था। जिसमें सैकड़ो लोग अपनी जान गँवा बैठे। सैकड़ो अपाहिज हो गये।
सैकड़ लोग अस्पताल में जिन्दगी और मौत के बीच में फँसे हुए हैं। ऐसे समय
में माननीय मंत्री जी का यह कार्यक्रम मानवीय संवेदनाओं की हद में कहाँ तक
उचित है मुझे समझ में नहीं आ रहा है। माननीय रेलमंत्री जी शायद यह भूल गये
कि आज हर व्यक्ति उस घटना को लेकर दुखी है। हर आदमी चाहे वह किसी दल का
हो, किसी जाति का हो इस हृदय विदारक कांड को लेकर आहत है।यही नहीं पंजाब
में घटना होने के वाबजूद इसका सीधा असर यूपी और बिहार पर पड़ा है, आप जहाँ
के प्रतिनिधि हैं वह गाजीपुर, जौनपुर, आजमगढ़ और पड़ोसी राज्य बिहार के न
जाने कितने घरो के चुल्हें बंद हो गये, रावण के साथ जल गया कितनो का
सुहाग, कितनो की गोद, माँ दुर्गा के प्रतिमा के साथ विसर्जित हो गये कितनो
के अरमान। ऐसे समय में जब माननीय महोदय को अपने विभागीय कर्मचारीयों के साथ
कंधा से कंधा मिला कर पूरे घटना पर निगाहें रखते हुए, पीड़ितो को न्याय
दिलाना चाहिए आप चुनावी आचार संहिता के डर से अपने वर्षो से लंबित पड़े
कार्यो को याद करने चले है। माननीय महोदय मृतको को तो लौटा नहीं सकते, मगर
आप की कार्य कुशलता आपका अधिकारीयों,कर्मचारीयों के साथ रहना, अस्पताल में
निगाह रखना कई लोगो की जिन्दगीयों को बचा सकता है। माननीय मंत्री जी भले
ही यह कार्यक्रम रेल का नहीं था, ड्राइवर दोषी नहीं था, मगर कही न कही इस
घटना का जिम्मेदार रेल प्रशासन भी है, रेलवे के क्रिया-कलापो में गड़बडी
इस घटना की जिम्मेदार है। जिससे आप और आपका विभाग, आपके विभाग के अधिकारी
अपना पल्ला नहीं झाड़ सकते हैं। आपको भी जिम्मेदारी लेनी होगी, आप चाहे
या न चाहे। आपको आज घटना स्थल या दुखी परिजनो के बीच रहना चाहिए, उनके गमो
में शरीक होना चाहिए था, ना कि लोकापर्ण और शिलान्यास के कार्यक्रम में।
माननीय जी घटना में आहत लोग समाज के गरीब तबके से आते थे, रोजी रोजगार की
तलाश में परदेश में थे इस लिए आपके विभाग की जिम्मेदारी और अधिक थी, मगर
शायद आपकी सोच रही हो कि यह गरीब आपको दे भी क्या सकते हैं।
माननीय मंत्री जी मैं पूरे गाजीपुर जनपद एवं गहमर की जनता की तरह से एक बात अंहकार और अभिमान के साथ-साथ बहुत ही जिम्मेदारी से कहना चाहूँगा कि जब 20 नवम्बर 2016 को पुरखाया रेलवे स्टेशन के पास दलेलनगर के पास इन्दौर पटना एक्सप्रेक्स दुर्घटना ग्रस्त हुई तो उस दिन गहमर में पूर्वांचल बचाओं आन्दोलन के तहत रेल रोको योजना थी, परन्तु जैसे ही इस घटना की सूचना मिली, गहमर गॉंव के लोगो ने इस रेल रोको आन्दोलन का विरोध यह कह कर कर दिया कि आज पूरा देश आहत है और आज यदि यह आंन्दोलन होता है तो मेरा मंत्री पूरे देश को क्या मुहँ दिखाये कि वह जहाँ से सांसद है वहॉं के लोग ही इस प्रकार अमानवीय हो गये है कि उन्हें 152 लोगो की जिन्दगी से जाने का कोई गम नहीं, वह स्वार्थ हैं। इस लिए आज यदि यह आपका कार्यक्रम निरस्त भी होता तो सकलडीहा से लेकर गहमर की जनता आप को जितना सिर माथे पर बैठाई है उतना ही बैठा थी। खैर माननीय सिन्हा जी आप के लिए मानवीय मुल्य कितनी अहमित रखते हैं मुझे मालूम है, लोकसभा का चुनाव हारने के बाद आप गाजीपुर क्षेत्र से गदहे के सींग की तरह गायब हुए, आप उस दौरान आग से तवाह हुए शेरपुर गॉंव में एक दिन नहीं गये, वर्ष 2013 में बाढ़ से त्रस्त गाजीपुर जनपद के गॉंवो में एक दिन आपके चरण नहीं गये। 2005 से 2009 तक गहमर के किसान मारे जा रहे थे मगर आपका आगमन नहीं हुआ। 2013 में गहमर के युवको द्वारा किये गये गहमर बचाओ आन्दोलन की आग लखनऊ तक पहुँच गई, मगर उसकी तपिश को आपने महसूस नहीं किया। ऐसे में आपसे मानवीय संवदेना की बात करना बेमानी है।
आप लगे रहें अब चुनाव नजदीक है, मैं आपके द्वारा किये गये विकास कार्यो पर कोई बहस नहीं करना चाहता, क्योंकि मैं विकास दिखाने में यकीन रखता हूँ और समय आने पर दिखाऊँगा भी। मुझे यह महसूस हो रहा है कि गत 2014 लोकसभा चुनावो की थकावट उतर चुकी है, समय कम बचा है 4 साल 6 महीने का कोटा 3 महीने में पूरा करने में लगे रहीये और कामना करीये कि यह चुनाव कोई लहर या कोई ऐसा दाँव लेकर आये जिससे आप की नैया दुबारा पार लगे।
जय हिन्द, जय भारत, जय गहमर।
माननीय मंत्री जी मैं पूरे गाजीपुर जनपद एवं गहमर की जनता की तरह से एक बात अंहकार और अभिमान के साथ-साथ बहुत ही जिम्मेदारी से कहना चाहूँगा कि जब 20 नवम्बर 2016 को पुरखाया रेलवे स्टेशन के पास दलेलनगर के पास इन्दौर पटना एक्सप्रेक्स दुर्घटना ग्रस्त हुई तो उस दिन गहमर में पूर्वांचल बचाओं आन्दोलन के तहत रेल रोको योजना थी, परन्तु जैसे ही इस घटना की सूचना मिली, गहमर गॉंव के लोगो ने इस रेल रोको आन्दोलन का विरोध यह कह कर कर दिया कि आज पूरा देश आहत है और आज यदि यह आंन्दोलन होता है तो मेरा मंत्री पूरे देश को क्या मुहँ दिखाये कि वह जहाँ से सांसद है वहॉं के लोग ही इस प्रकार अमानवीय हो गये है कि उन्हें 152 लोगो की जिन्दगी से जाने का कोई गम नहीं, वह स्वार्थ हैं। इस लिए आज यदि यह आपका कार्यक्रम निरस्त भी होता तो सकलडीहा से लेकर गहमर की जनता आप को जितना सिर माथे पर बैठाई है उतना ही बैठा थी। खैर माननीय सिन्हा जी आप के लिए मानवीय मुल्य कितनी अहमित रखते हैं मुझे मालूम है, लोकसभा का चुनाव हारने के बाद आप गाजीपुर क्षेत्र से गदहे के सींग की तरह गायब हुए, आप उस दौरान आग से तवाह हुए शेरपुर गॉंव में एक दिन नहीं गये, वर्ष 2013 में बाढ़ से त्रस्त गाजीपुर जनपद के गॉंवो में एक दिन आपके चरण नहीं गये। 2005 से 2009 तक गहमर के किसान मारे जा रहे थे मगर आपका आगमन नहीं हुआ। 2013 में गहमर के युवको द्वारा किये गये गहमर बचाओ आन्दोलन की आग लखनऊ तक पहुँच गई, मगर उसकी तपिश को आपने महसूस नहीं किया। ऐसे में आपसे मानवीय संवदेना की बात करना बेमानी है।
आप लगे रहें अब चुनाव नजदीक है, मैं आपके द्वारा किये गये विकास कार्यो पर कोई बहस नहीं करना चाहता, क्योंकि मैं विकास दिखाने में यकीन रखता हूँ और समय आने पर दिखाऊँगा भी। मुझे यह महसूस हो रहा है कि गत 2014 लोकसभा चुनावो की थकावट उतर चुकी है, समय कम बचा है 4 साल 6 महीने का कोटा 3 महीने में पूरा करने में लगे रहीये और कामना करीये कि यह चुनाव कोई लहर या कोई ऐसा दाँव लेकर आये जिससे आप की नैया दुबारा पार लगे।
जय हिन्द, जय भारत, जय गहमर।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें