रविवार, 17 फ़रवरी 2019

आदरणीय सुप्रीम कोर्ट जी

आदरणीय सुप्रीमकोर्ट जी
हिन्दू धर्म को छोड़ कर जितने भी संबोधन अन्य धर्मो में सम्मान देने के लिए बने है, उन सारे सम्मान सूचक शब्दो से, वाक्यो से मैं अपना को सम्मान ज्ञापित करता हूँ। हिन्दू धर्म के सम्मान सूचक संबोधनो से आपका सम्मान इस लिये नहीं करूगाँ कि आपको हिन्दू धर्म, इसके त्यौहारो, इसकी संस्कृति से बहुत ही नफरत है।आप के भावनाओं एवं आदेशो का सम्मान करना तो हमारा नैतिक धर्म है, हमारी सभ्यता है, या दूसरे शब्दो में कहें तो हम आम जनता की मजबूरी है। आपके आदेशो को मानना ,उनका सम्मान करना, उसको बिना-सोचे समझे पालन करना केवल आम जनता की ही मजबूरी है, क्योकि नेता और अधिकारी तो आपके आदेशों को जूते की नोंक पर रखते हैं, आपकौ झुनझुने जैसा बजाते हैं, आपके आदेशो का दशको तक अवहेलना करते हैं और आप उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाते। वह तो छात्रो पर, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी पर, गरीब जनता पर अपनी बात थोपने के लिए आप का सहारा लेते हैं। आप भी अपना रोब उन पर और हिन्दूओं पर दिखाते हैं। आप तो सबसे अधिक लाचार हिन्दू और उसके त्यौहारो को समझते हैं, दही-डाड़ी हो, होली हो, प्रतिमा विसर्जन हो, दिपावली हो सब हिन्दूओं के त्यौहार आप की ढेड़ी नजर के भेट चढ़ चुके हैं। मंदिरो के बाजे, त्यौहारो पर कार्यक्रम के आयोजनो पर आपकी मुहर लग चुकी है। राम मंदिर, आपके कलम के नीचे दबा हुआ है। आपको होली में बहने वाला पानी, दही-डाड़ी की दुर्घटना, दिपावली में प्रदूषण, प्रतिमा विसर्जन से नही दूषित, बाजाओ से शोर आपको दिखाई दिये और आपने उनको बंद करा दिया या उनका स्वरूप बदला या समय की पाबंदी लगाई। बहुत से हिन्दू मान्यता पर कुठाराघात करते हुए आपको जरा भी परेशानी नहीं होती। मगर आपको अन्य धर्मो के बकरीद, जलीलकट्टू, मुहर्रम में मातम का अंदाज सब कुछ आप की निगाह में जाजय है, उसके विषय में आप मौन रहते हैं, आपकी नशे दुखने लगती है।
ऐसे माननीय सर्वोच्च न्यायालय महोदय मैं अखंड गहमरी अभी तक यह सोच रहा हूँ कि आपने हिन्दू महिलाओं द्वारा माथे पर लगाये जाने वाली बिन्दी पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया, उससे चर्म रोग का खतरा बढ़ता है। आप ने अभी तक व्रतो पर पावंदी क्यों नहीं लगाई खाली पेट रहने से गैस होता है। आपने करवा चौथ एवं अन्य वो त्यौहार जिसमें पति पूजे जाते है बराबरी के अधिकार के तहत प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया, ऐसे कई रीति-रिवाजो पर भी प्रतिबंध आपके आदेश की राह देख रहे हैं। हम आप से यह आशा करते हुऐ अपना पत्र समाप्त करते हैं कि आप जल्द से जल्द हिन्दूओ के अन्य त्यौहारो, संस्कृति, आयोजन पद्धति पर प्रतिबंध लगाते हुए हिन्दूओं को अपने ही घर में बेगाना करने की प्रक्रियाओं को जारी रखेंगे तथा अन्य धर्मो, नेताओं एवं अधिकारियों को अपने आदेश को ठेंगे पर रखने हेतु सम्मानित करेगे। उनके विरोध को सिर माथे पर बैठाये, उनके लिए कलम का प्रयोग नहीं करेग।
‌जय हिंद, ,akhand gahmari

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