रविवार, 17 फ़रवरी 2019

गजगमिनियॉं का सा‍क्षात्‍मकार

आज ही सुबह मैं तैयार होकर अपने आफिस में बैठ गया था। मेरी पूर्व प्रेमिका गजगमिनियॉं ने बताया था कि आज तुम्‍हारी बढ़ती लोकप्रियता से प्रभावित होकर जलनिस टीवी चैनल वाले तुम्‍हारी साक्षात्‍कार लेने आ रहे हैं।
ठीक 11 बज कर 11 मिनट 11 सेकेन्‍ड 11 पल पर जलनिस टीवी के रिपोर्ट उल्‍टांन बकबकी मेरे धरधरनियॉंपुर वाले आफिस में आ गये। फिर क्‍या था मैं सूट बूट पहन कर गले में फॉंस लगा कर आराम से बिलकुल जेन्‍टीलमैन की तरह बैठ गया। बगल मे मेरी गजगमिनियॉं भी आ चिपकी। मेरी टीवी पर साक्षात्‍कार की खब़र पाकर मेरी एक पूर्व प्रेमिका मजग‍मिनियॉं भी आ गई मगर उसने गजगमिनियॉं को मुझसे चिपकते देख दिया। फिर क्‍या था, गुस्‍से में चेहरा लाल कर वह उल्‍टे पॉंव लौट गई, मैं उसे बुलाने के लिए बाहर निकलने वाला था तब तक लाइटे जल गई, मेरे कालर में एक काला सा छुईमुई कीड़े से कुछ लगा चिपका दिया गया।
तभी बम विस्‍पोट हुआ, मेरी वाइफ होम आ धमकी, मेरी बगल में गजगमिनियॉं को देख कर वह चन्‍द्रमुखी से ज्‍वालामुखी, बंगालामुखी और न जाने कौन कौन सी मुखी बन गई पता ही नहीं चला। इसके पहले कि मेरा पहला साक्षात्कार अंतिम साक्षात्‍कार बनता आज पहली बार हसुआ अपनी तरफ खीचता है कहावत को चरितार्थ होते ‍देखा जब भभुआ से आये डा रमेश तिवारी जी ने बड़ी आसानी से मेरी ज्‍वालामुखी से गिटपिट बात कर उसको कन्‍ट्रोल कर लिया, मैं तो उनकी भाषा भी नहीं समझ पाया, दिमाग था नहीं जो लगाता यह फिर यह सोच कर दोनो एक ही प्रान्‍त के हैं, कुछ कहा सुना होगा, मैं चुप हो गया। मेरी वाइफ होम मेरे बगल मे बैठी और शुरू हुआ मेरा पहला साक्षात्‍कार।
उल्‍आन बकबकी- अापका हमारे न्‍यूज चैनल में स्‍वागत है, आप हमारे दर्शको को ये बताईये कि आप लिखते है
मैं- मैं हिन्‍दी के अक्षर लिखता हूँ।
उलटान बकबकी - मेरा मतलब आप कौन सी विधा लिखते हैं जैसे आप व्‍यंग्‍य लिखते हैं
मैं ' नहीं व्‍यंग्‍य तो सुभाषचंदर सर, गिरीश पंकज सर, अरूर्ण अर्णव खरे सर डा; रमेश तिवारी सर जैसे लोग लिखते हैं।
उलटान बकबकी- तो आप क्‍या लिखते हैं लघुकथा‍ लिखते हैं नहीं
मैं'- वो तो सतीश राज पुष्‍करना सर और योगराज प्रभाकर सर लिखते है,
उलटान बकबकी- वह थोडा गुस्‍से में तो क्‍या समीक्षा लिखते हैं
मैं- नहीं वो तो धनश्‍याम मैथिल अमृत सर लिखते हैं।
उलटान बकबकी'- ओह तो आप काव्‍य लिखते है जैसे गजल।
नही मैं गजल नहीं लिखता वो तो दानिश जयपुरी भोपाल से लिखते है।
उलटान बकबकी - निश्‍चित आप गीतिका लिखते होेगे
मैं नही वो तो प्रोफेसर विश्‍वभर शुक्‍ल लिखते हैं।
उलटान बकबकी - मेरे भाई तब क्‍या तुम गीत लिखते हो
मैं - नहीं रिपोट साहब वह तो मेरी मॉं कान्ति शुक्‍ला लिखती हैं।
उलटान बकबकी' - आखिर मेरे बाप यह बताओं आप क्‍या लिखते हो
मैं'-- बताया तो मैं शब्‍द लिखता हूँ,
उलटान बकबकी-- चिच्‍लाते हुए आखिर उस शब्‍द का कुछ तो नाम होगा।
मैं - हॉं नाम है न क, ख ,ग वही लिखता हूँ।
उलटान बकबकी -मुझे समझाते हुए देखी अक्षरो के समूह से शब्‍द बनाता है ये आप जानते है, और शब्‍दो के समूह से वाक्‍य बनाता है जिसका प्रयोग आपने कक्षा दस मे किया होगा, किया है कि नहीं उसने कहा।
मैं - नहीं किया कक्षा दस में क्‍योकि करता तो हिन्‍दी में तीन साल फेल नहीं होता और चौथे साल हाईस्‍कूल पास भी किया तो चोरी से।
उलटान बकबकी- तो आप लिखते कैसे क्‍या है, पब्लिक पढ़ती क्‍या है आपको कह कर बुलाती हैं।
मैं - उलटान जी नास्‍ते का समय हो गया चलीये नास्‍ता पानी कीजिए फिर बैठेंगें आपके सवालो का जबाब देने ब्रेक के बाद
उलटान बकबकी- मेरे बाप मेरे को अब सवाल नहीं पूछना है, वह बाल नोच चुका था, इसके पहले की वह अपने कपड़े फाड़े में दोपहर के डीनर पर जा रहा हूँ आता हूँ ब्रेकफास्‍ट के बाद।
तब आप सोचीये मैं क्‍या लिखता हूँ।

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