कुछ
दिनो से मैं बहुत व्यस्त था। अब आप सोच रहे होगें कि कौन सा मैं मोदी जी
हूँ जो भ्रमण और मीटिंग के साथ-साथ चुनाव में झूठ बोलो आन्दोलन के तहत
व्यस्त हूँ ? तो आप गलत है। मैं उस सेवा में व्यस्त था जो मोदी जी कभी नहीं
कर सकते। बिल्कुल सही, बिल्कुल सही सोचा आपने। मैं वास्तव में पत्नी सेवा
में वयस्त था। मैं पत्नी सेवा दल के अध्यक्ष रमेश तिवारी जी के कथनानुसार
पत्नी सेवा से बढ़ कर संसार में कोई सुख नहीं है, सभी को यह करना चाहिए का न
सिर्फ पालन करता हूँ बल्कि 'सुबह- सुबह पत्नी के सैंडिल अथवा झाडू से पिट
कर घर से निकलने वाले व्यक्ति के सफलता का प्रतिशत अधिक होता है,चोरियन
न्यूज चैनल द्वारा कराये गये इस सर्वे पर विश्वास भी करता हूँ ।यही कारण
है कि मैं पत्नी साधना में लीन रह कर जो आन्नद ,नूतन कार्य की परिकल्पना
मात्र से प्राप्त होता है, प्राप्त करता हूँ। रोज की भाँति आज भी सुबह-सुबह
मैं अपने वाइफ होम की सेवा से निवृत होकर बबलू भैया के ईट भट्ठे पर बैठा
ही था कि मेरी पूर्व प्रेमिका गजगमिनियाँ दूर से ही विकराल रुप में आती
दिखाई दी। उसके विकराल रूप देख कर मैं होने वाले घटना की कल्पना मात्र से
मैं मन ही मन हनुमान चालीसा का पाठ करने लगा, तभी मन में विचार आया हनुमान
जी तो ठहरे बाल ब्रहृमचारी, वो क्यों इस प्रेम प्रसंग के विवाद में पड़ेगे।
मैनें कृष्ण भगवान को याद किया उन्होंने भी हाथ खड़े कर दिये। तब तक तूफान
सामने आ चुका था और मेरे हसीन से चेहरे पर अपने 9 नम्बर की सेडिंल से कही 9
कही 6 कही 99 कही 96 तो कही 66 और 69 का निशान दे कर चीखते हुए बोल चुका
था '' नसपीटे तूँ यहाँ मर रहा है मैं तुझे पागलो सा खोज रही हूँ। मेरी क्या
मज़ाल थी जो उसकी चीख को चीख कहता जबकि उसकी चीख से बबलू भैया के भट्टे के
ईट के चट्टे चटक कर सैकड़ो ईंटो का मिलाप जमीन से करा चुके थे। मैंने अपने
दर्द को पान की गिलौरी में रख कर चबा गया और अदंर से पिपरमिंट की तरह ठंडक
लाते हुए उसकी आँखो में आँखे डाल कर'' कहो प्रिय इस चाँद से चेहरे पर सूरज
की प्रचंड ज्वाला क्यों? मेरी ने अपना सिर झटक कर गुस्से का इजहार किया।
मैने हार नहीं मानी और उसके बालो को सहलाते हुए मसकरी कर बोल पड़ा. हे प्रेम
की देवी तुम्हारे इस प्रचंड रूप की ज्वाला में अखंड का दिल खंड- खंड हो
रहा है, और ऐसा हो गया तो कहाँ से मजबूत जोड़ो वाला फेविकाल लाओगी..इस लिए
अपने क्रोध की अग्नि में मेरे प्रेम का जल प्रवाहित करो प्रिय। पारा कुछ
डाउन आया, मुझे संतुष्टि मिली..तभी आग फिर दहकी, मैं ठिठका.. ये बताओ उत्तर
प्रदेश सरकार के मंत्री और अधिकारी कौन सा भाँग पीते हैं? जल्दी बताओ नहीं
तो सामने पड़े ईटो से तुम्हारा मुहँ कूच दूँगी.।गजगमिनियाँ का जोर से यह
चिल्लाना था कि पास खड़े बबलू भैया अपने को ईंटो के पीछे छुपा लिये। मुझे तौ
पता.नहीं है प्रिय, मगर आज तुमको क्या हो गया है, चेहरा लाल और बातें
बहकी-बहकी, कहीं आज रंगचोटई बाबा तो नहीं मिल गये? नहीं मुझको कुछ नहीं
हुआ, न कोई मिला, तुमसे जो पूछा बस वो बताओ। मेरी गजगमिनियाँ क्रोध से
काँपते हुए बोली। मैं समझ चुका था कि आज गजगमिनियाँ का टेंपर हिटलट से अधिक
टाइट है। मैंने उसके टैंम्पर को नीचे लाने का एक और प्रयास किया, सुनो
मेरी बात , तुम तीन महीने से UpTet की परीक्षा में इस कदर वयस्त थी कि मिली
ही नहीं, अब तो पेपर हो गया, चलो लतियावन भाई के होटल में चल कर कैंडल
लाइट लंच करते हैं। तड़ाक उसका हाथ घूमा और मेरे प्यारे प्यारे गालो को
लाल कर गया, सीधी बात समझ मे नहीं आती मैं पूछ रही हूँ कुछ, वह चिल्लाई।
मैं समझ चुका था कि आज मेरे प्रेम रूपी वर्षा की फुहार उसके अंदर लगी किसी आग को बुझाने में ना काफी है।
तभी उसने मेर गालो को अपने हाथो से सहलाने लगी, उसके ऑंखो में अॉंसू आ गये थे, मैं दहल गया। आज इस शेरनी को क्या हो गया। तब तक पास खड़े बबलू भैया ने हमें उसे अंदर अपने शेड में ले जाने का ईशारा किया। मैने उसके हाथो को पकड़ा और उसे अंदर ले आया, पास रखे जल से उसके चॉंद जैसे मुखड़े पर आये अश्को की लकीरे साफ कराई।
अब वह मेरे कंधे पर बिलख बिलख कर रोये जा रही थी। कुछ रोने के बाद उसने कहॉं , बताओं मेरे पूर्व प्रेमी खरखड़ी आखिर हम लोगो की खता क्या है यही कि हम उत्तर प्रदेश में रहते हैं और उत्तर प्रदेश की परीक्षाओं पर विश्वास करते हैं। मैं समझ चुका था कि उसके टैट के परीक्षा में इस बार भी कुछ गलत हुआ है। ये मेरे प्यार की देवी बताओं जरा पूरी बात मैने प्रेम की परिभाषा को प्रदर्शति करते हुए उससे कहा।
मैं बिना रूके पूछ पडा कि परीक्षा कैसी गई। मेरे इतना सुनते ही वह फिर भडक गई, बोली परीक्षा तो तब हो जब परीक्षा लेने वाला परीक्षा को परीक्षा की तहर लें। वह तो बदला निकाल रहा है।
मैं पूरी बात जानना चाहता हूँ मैने भी अब गंम्भीरता का लिवाादा ओड़ लिया था। वह बोल पडी पहले परीक्षा मे गलत प्रश्न पूछे जाते हैं, एक एक प्रश्न जिनके दो-दो, तीन-तीन विकल्प सही हो दिये जाते है। और फिर भॉंग पी कर उसकी उत्तर सीट जारी की जाती है, जिस पर पहले ही कह दिया जाता है कि आप्पति डालो।
मैं उसके चेहरे की तरफ देखे जा रहा था, और वह बोले जा रही थी।
जब आप्पति डाली जाती है तो दारू के नशे में बैठे लोग बिना सोचे समझे अंतिम निर्णय सुना दे ते हैं, कि बस एक दो प्रश्न ठीक होगें।
मैने कहा कि यह तो प्रकिया है इस में परेशान होने की क्या बात है, ये तो पिछले साल भी हुआ था प्रिय, तुम तो इलाहाबाद से दिल्ली तक लड़ी, फिर इस बार क्या परेशानी है।
हॉं लड़ी थी तुम्हारा क्या जाता है हम खेत बेच कर लडे, या बच्चों की खुशियॉ लुटा कर तुम्हारा क्या जाता है, तुम तो सरकार हो तुम्हारे पास तो फौज है , क्या हुआ पिछले साल का सिंगल बेच, डबल ब्रेच, सुप्रीम र्कोट होते हुए आज तक मामला पेडिग, और फिर तैयारी अब वही क्रम की, मन तो करता है कि क्या करूँ? बोलते बोलते उसके दॉंत दॉंतो पे चढ गये, क्रोध की अग्नी से चेहरा लाल हो गया । मैं 5 कदम पीछे हट गया क्योकि अभी तो उसने शब्दो से ही मुझे सरकार समझ कर प्रहार किया हैा यदि कही उसने बबलू भैया के पास रखे ईंटो से सरकार समझ कर प्रहार कर दिया ताे मेरी वाइफ होम कहॉं जायेगी मेरे तो चेहरे का इतिहास और भूगोल ही बदल जायेगा।
फिर मुझे भी बैठ कर सड़क के किनारे आते जाते लोगो से कहना पड़ेगा कि मेरी पूर्व प्रेमिका के लिए हुए जख़्मों के ईलाज के लिए एक हजार रूपये दे दो बाबा, तुम्हें भी तुम्हारी पूर्व प्रेमिका मिलेगी। तभी वह चीखी कहॉं खो गये मुगेंरी लाल मेरी बाते सुन भी रहे हो या, आगे के शब्द उसने अधूरे छोड दिये
मैं पूरी तन्मयता से सुन रहा हूँ प्रिय लोग उतनी तन्मयता से कुछ नहीं सुनते ।
तो सुननो, समझो और उपाय बताओं उसे ऑंखे दिखाते हुए कहा।
मैं केवल सर हिला सका। मेरे दिल की मलिका ने फिर कहॉं, कि मैं सुबह घर का काम करती हूँ, स्कूल जाती हूँ, पढाती हूँ , बी0एल0ओं की डियुटी और सर्वे करती हूँ, रात में घर का काम और उसमें में समय निकाल कर गॉंव के महोैल में पढाई करती हूँ, न कोचिंग, न टियूशन और जब परीक्षा आता है तो उल्टे सीधे प्रश्न, उल्टे सीधे जबाब, उल्टे सीधे आन्सर सीट आखिर क्या चाहती है तुम्हारी सरकारें, ?
मैं मंद मंद मुस्कुराते बोल पड़ा मेरी गजगमिनियाँ गुस्सा थूकँ दो, तुम्हारा गोरा चेहरा काला पड़ जायेगा।
मेरी मुस्कान देख कर वह पागल हो गई, और फिर जो किया आप उसकी कल्पना करें, क्योंकि कभी न कभी तो उस गली से आप भी तो गुजरे ही हैं।
मैं सीधा हुआ, प्रेम दर्शाया, कान पकड़ा तब वह नार्मल हुई।आहिस्ता से बोली सपा, बसपा, भाजपा सबके राज में युवा परीक्षा के बाद उच्च न्यायालय के सिंगल बेंच, डबल बेंच, स्पेशल अपील , फिर उच्चतम न्यायालय के सिंगल बेच , डबल बेचं और स्पेशल अपील लड़ रहे हैं, तुम्ही बताओ सरकार के पास तो अधिवक्ता की फौज और पैसों का सागर है, उसका कुछ बिगड़ना भी नहीऔ, परीक्षा के नाम पर अरबो रूपये अपने कोश में जमा करा लेती है। जानते हो इस इस बार टैट की परीक्षा में कितना धन आया?
मैं शराफत से ना में सिर हिलाया।
दिन भर वाटस्प चैट करते हो, मोबाइल ले कर गिटरपिटर करते हो जरा जानकारी भी रखा करो। वह गुस्से में बोली.
मैं केवल जी कह सका
जोडो 2255569उम्मीदवारों में 400 से गुणा करो और देखो कितना धन आया।
मैं जमीन पर ईंट के टुकड़े लेकर गुणा भाग करने लगा, दस मिनट बीत गया।
उसने अपना सिर पीट लिया और पास खड़े बबलू भैया को देखते हुए कहा '' पता नहीं इस पागल के प्यार में कैसे पड गई? हाय रे मैं, मगर मैं इसको छोड़ भी नहीं सकती, वो जूही चावला कहती है न ढ़ेडा है मगर मेरा हैं.।
मैं और बबलू भैया उसे देख कर मुस्कुरा रहे थे। उसकी नजर हम दोनो के चेहरे पर गई , हमें मुस्कुराते देख वह बनाबटी क्रोध दिखाते हुए बबलू भैया से बोली '' ये तो पागल हैं भैया आप ही बताईंये आज की परीक्षा और परीक्षा के बाद की हालत देख कर आज का युवा अपनी तैयारी कर परीक्षा दे उसके घर बार बेच कर न्यायालय में लड़ाई लड़े या फिर हाथो में तलवार उठा कर अपराधी की संख्या में एक और इजाफा करें।
उसकी बातें सुन कर बबलू भैया परेशान हो गये? उसे समझाने लगे, मगर उनकी आवाज से यही लगता था जैसे वह मुर्दे को सास दे रहे हैं, उनकी आवाज उनकी बातो का समर्थन नहीं कर रही थी.. और मैं तो आप जानते ही हैं क्या कर सकता था.. खैर मैने किसी तरह अपनी गजगमिनियाँ को समझाया और फिर न्यायालय में चलने का आश्वासन देकर उसे कैंडिल लाइट लंच के लिए तैयार किया और चल पड़ा उसकी बाहो में बाहो डाले चल पड़ा लतियावन भाई के ढाबे की तरफ , क्योंकि धीरे धीरे मेरा पत्नी सेवा का समय शुरू होने वाला था।
अखंड गहमरी, गहमर गाजीपुर।
मैं समझ चुका था कि आज मेरे प्रेम रूपी वर्षा की फुहार उसके अंदर लगी किसी आग को बुझाने में ना काफी है।
तभी उसने मेर गालो को अपने हाथो से सहलाने लगी, उसके ऑंखो में अॉंसू आ गये थे, मैं दहल गया। आज इस शेरनी को क्या हो गया। तब तक पास खड़े बबलू भैया ने हमें उसे अंदर अपने शेड में ले जाने का ईशारा किया। मैने उसके हाथो को पकड़ा और उसे अंदर ले आया, पास रखे जल से उसके चॉंद जैसे मुखड़े पर आये अश्को की लकीरे साफ कराई।
अब वह मेरे कंधे पर बिलख बिलख कर रोये जा रही थी। कुछ रोने के बाद उसने कहॉं , बताओं मेरे पूर्व प्रेमी खरखड़ी आखिर हम लोगो की खता क्या है यही कि हम उत्तर प्रदेश में रहते हैं और उत्तर प्रदेश की परीक्षाओं पर विश्वास करते हैं। मैं समझ चुका था कि उसके टैट के परीक्षा में इस बार भी कुछ गलत हुआ है। ये मेरे प्यार की देवी बताओं जरा पूरी बात मैने प्रेम की परिभाषा को प्रदर्शति करते हुए उससे कहा।
मैं बिना रूके पूछ पडा कि परीक्षा कैसी गई। मेरे इतना सुनते ही वह फिर भडक गई, बोली परीक्षा तो तब हो जब परीक्षा लेने वाला परीक्षा को परीक्षा की तहर लें। वह तो बदला निकाल रहा है।
मैं पूरी बात जानना चाहता हूँ मैने भी अब गंम्भीरता का लिवाादा ओड़ लिया था। वह बोल पडी पहले परीक्षा मे गलत प्रश्न पूछे जाते हैं, एक एक प्रश्न जिनके दो-दो, तीन-तीन विकल्प सही हो दिये जाते है। और फिर भॉंग पी कर उसकी उत्तर सीट जारी की जाती है, जिस पर पहले ही कह दिया जाता है कि आप्पति डालो।
मैं उसके चेहरे की तरफ देखे जा रहा था, और वह बोले जा रही थी।
जब आप्पति डाली जाती है तो दारू के नशे में बैठे लोग बिना सोचे समझे अंतिम निर्णय सुना दे ते हैं, कि बस एक दो प्रश्न ठीक होगें।
मैने कहा कि यह तो प्रकिया है इस में परेशान होने की क्या बात है, ये तो पिछले साल भी हुआ था प्रिय, तुम तो इलाहाबाद से दिल्ली तक लड़ी, फिर इस बार क्या परेशानी है।
हॉं लड़ी थी तुम्हारा क्या जाता है हम खेत बेच कर लडे, या बच्चों की खुशियॉ लुटा कर तुम्हारा क्या जाता है, तुम तो सरकार हो तुम्हारे पास तो फौज है , क्या हुआ पिछले साल का सिंगल बेच, डबल ब्रेच, सुप्रीम र्कोट होते हुए आज तक मामला पेडिग, और फिर तैयारी अब वही क्रम की, मन तो करता है कि क्या करूँ? बोलते बोलते उसके दॉंत दॉंतो पे चढ गये, क्रोध की अग्नी से चेहरा लाल हो गया । मैं 5 कदम पीछे हट गया क्योकि अभी तो उसने शब्दो से ही मुझे सरकार समझ कर प्रहार किया हैा यदि कही उसने बबलू भैया के पास रखे ईंटो से सरकार समझ कर प्रहार कर दिया ताे मेरी वाइफ होम कहॉं जायेगी मेरे तो चेहरे का इतिहास और भूगोल ही बदल जायेगा।
फिर मुझे भी बैठ कर सड़क के किनारे आते जाते लोगो से कहना पड़ेगा कि मेरी पूर्व प्रेमिका के लिए हुए जख़्मों के ईलाज के लिए एक हजार रूपये दे दो बाबा, तुम्हें भी तुम्हारी पूर्व प्रेमिका मिलेगी। तभी वह चीखी कहॉं खो गये मुगेंरी लाल मेरी बाते सुन भी रहे हो या, आगे के शब्द उसने अधूरे छोड दिये
मैं पूरी तन्मयता से सुन रहा हूँ प्रिय लोग उतनी तन्मयता से कुछ नहीं सुनते ।
तो सुननो, समझो और उपाय बताओं उसे ऑंखे दिखाते हुए कहा।
मैं केवल सर हिला सका। मेरे दिल की मलिका ने फिर कहॉं, कि मैं सुबह घर का काम करती हूँ, स्कूल जाती हूँ, पढाती हूँ , बी0एल0ओं की डियुटी और सर्वे करती हूँ, रात में घर का काम और उसमें में समय निकाल कर गॉंव के महोैल में पढाई करती हूँ, न कोचिंग, न टियूशन और जब परीक्षा आता है तो उल्टे सीधे प्रश्न, उल्टे सीधे जबाब, उल्टे सीधे आन्सर सीट आखिर क्या चाहती है तुम्हारी सरकारें, ?
मैं मंद मंद मुस्कुराते बोल पड़ा मेरी गजगमिनियाँ गुस्सा थूकँ दो, तुम्हारा गोरा चेहरा काला पड़ जायेगा।
मेरी मुस्कान देख कर वह पागल हो गई, और फिर जो किया आप उसकी कल्पना करें, क्योंकि कभी न कभी तो उस गली से आप भी तो गुजरे ही हैं।
मैं सीधा हुआ, प्रेम दर्शाया, कान पकड़ा तब वह नार्मल हुई।आहिस्ता से बोली सपा, बसपा, भाजपा सबके राज में युवा परीक्षा के बाद उच्च न्यायालय के सिंगल बेंच, डबल बेंच, स्पेशल अपील , फिर उच्चतम न्यायालय के सिंगल बेच , डबल बेचं और स्पेशल अपील लड़ रहे हैं, तुम्ही बताओ सरकार के पास तो अधिवक्ता की फौज और पैसों का सागर है, उसका कुछ बिगड़ना भी नहीऔ, परीक्षा के नाम पर अरबो रूपये अपने कोश में जमा करा लेती है। जानते हो इस इस बार टैट की परीक्षा में कितना धन आया?
मैं शराफत से ना में सिर हिलाया।
दिन भर वाटस्प चैट करते हो, मोबाइल ले कर गिटरपिटर करते हो जरा जानकारी भी रखा करो। वह गुस्से में बोली.
मैं केवल जी कह सका
जोडो 2255569उम्मीदवारों में 400 से गुणा करो और देखो कितना धन आया।
मैं जमीन पर ईंट के टुकड़े लेकर गुणा भाग करने लगा, दस मिनट बीत गया।
उसने अपना सिर पीट लिया और पास खड़े बबलू भैया को देखते हुए कहा '' पता नहीं इस पागल के प्यार में कैसे पड गई? हाय रे मैं, मगर मैं इसको छोड़ भी नहीं सकती, वो जूही चावला कहती है न ढ़ेडा है मगर मेरा हैं.।
मैं और बबलू भैया उसे देख कर मुस्कुरा रहे थे। उसकी नजर हम दोनो के चेहरे पर गई , हमें मुस्कुराते देख वह बनाबटी क्रोध दिखाते हुए बबलू भैया से बोली '' ये तो पागल हैं भैया आप ही बताईंये आज की परीक्षा और परीक्षा के बाद की हालत देख कर आज का युवा अपनी तैयारी कर परीक्षा दे उसके घर बार बेच कर न्यायालय में लड़ाई लड़े या फिर हाथो में तलवार उठा कर अपराधी की संख्या में एक और इजाफा करें।
उसकी बातें सुन कर बबलू भैया परेशान हो गये? उसे समझाने लगे, मगर उनकी आवाज से यही लगता था जैसे वह मुर्दे को सास दे रहे हैं, उनकी आवाज उनकी बातो का समर्थन नहीं कर रही थी.. और मैं तो आप जानते ही हैं क्या कर सकता था.. खैर मैने किसी तरह अपनी गजगमिनियाँ को समझाया और फिर न्यायालय में चलने का आश्वासन देकर उसे कैंडिल लाइट लंच के लिए तैयार किया और चल पड़ा उसकी बाहो में बाहो डाले चल पड़ा लतियावन भाई के ढाबे की तरफ , क्योंकि धीरे धीरे मेरा पत्नी सेवा का समय शुरू होने वाला था।
अखंड गहमरी, गहमर गाजीपुर।
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