रविवार, 17 फ़रवरी 2019

गजग‍मिनियॉं का सासंद गांगा पार का

दूल्‍हा गंगापार के।।
तथाक‍थित ईमानदार,स्‍वच्‍छ छवि, विकासपुरूष रेल राज्य एंव दूर संचार मंत्री, सांसद गांगा पार के आदरणीय मनोज सिन्हा जी आपको दिपावली की बधाईयॉं एवं शुभकामनाएं, आशा यही करता हूँ कि इस बार कुछ ऐसा न हो कि आपको मजबूरी में आप को वोट देना पड़े। वैसे माननीय जैसे आप के लिए दो चार गॉंव की नाराजगी खुशी मायने नहीं रखती वैसे ही आपके लिए दो चार दस वोट भी मायने नहीं रखता। इस का मुझे और गहमर वासीयों को फर्क है।
वैसे माननीय इस पोस्‍ट को पढ़ कर आपके और माननीय मोदी जी के भक्‍त और वाराणसी में 9 जुलाई को हुए आई0डी0सेल कार्यकर्ता बैठक में भाग लेने वाले कार्याकर्ता हमारे ऊपर चढ़ बैठने को तैयार है। ओमप्रकाश और कॉंग्रेस की तुलना कर बैठेगें।
माननीय मंत्री जी आपने जनपद का बहुत विकास किया। एक बात कि कसक है कि हमारे गहमर में क्‍या किया आपने, मैं तो माननीय कुएं का मेढ़क हूँ, बस गहमर की बात करता हूँ। ओम प्रकाश सिंह हमारे बिरादर थे, एक ही गोत्र के थे उसके बाद भी हमने टी0वी0 रोड को लेकर जब तक वह मंत्री रहे उनका विरोध किया, टी0वी0रोड बन गया विरोध खत्‍म, वो तो हमारे गहमर के एक ऐसी चीज दे गये जिसकी कल्‍पना भी नहीं था, वह हैं पक्‍का गंगाघाट। हम तो ठहरे घुमक्‍ड प्रवृति के आदमी गौमुख से लेकर गंगासागर तक एक भी ऐसा गॉंव नहीं देखा जहॉं के घाट पक्‍के हो, यह एक अध्‍यया था। हमारा विरोध खत्‍म था और जो उनकी गलतीयॉं थी उसका सबक उनको हारा कर दिया गया। तो माननीय हमारे गहमर को क्‍या दिया आपने। आपने जिस धूमघाम से स्‍टेशन की लम्‍बाई का पीताा काटा उसका श्रेय आप ले लें लेकिन हकीकत तो आप भी जानते है कि वह आपका प्रोजेक्‍ट था ही नहीं वह तो माननीय राधे मोहन सिंह जी का प्रोजेक्‍ट था। गहमर रेलवे स्‍टेशन पर जिस ट्रेन कामाख्‍या एक्‍सप्रेक्‍स के ठहराब का श्रेय लेते है वह भी राधेमोहन सिंह की देन है। आपने दिया क्‍या रलेमंत्री होते भी वही एक साप्‍ताहिक गरीब रथ। आप गहमर आते है तो ट्रेन की मॉंग पर 15 मिनट के नुकसान की बात करते है, तमात ज्ञान की बाते बघारते है, और वही अगले ही दिन कछवा रोड में दो -दो ट्रेन का ठहराब देते हैं, वहॉं आपका ज्ञान कहॉं चला गया, क्‍या वहॉं ट्रेने लेट नहीं होती । गहमर के सेना के जबान वर्षो से देश की सीमाओं पर जाने वाली महत्‍वपूर्ण ट्रेनो का ठहराव मॅागते मॉंगते कु्छ तो सेवानिवृत हो गये, कुछ ने तो कहना छोड दिया। अपने एक इन्‍टर सीटी भी चलाई वो भी राजधानी से कम नहीं। अापने कहा कि हर जगह स्‍टापेज हो जाये तो इन्‍टरसीटी का मतलब क्‍या तो महोदय अन्‍य इन्‍टरसीटियों को भी देख लें जरा। खैर कोई बात नहीं गहमर ने कभी किसी सी भीँख नहीं मॉंगी, न आपसे मॉंगेंगा। आपको दिये अपने पत्रको का जबाब सूद समेत लेगा। महोदय यदि गहमर की रेल सुविधाओं को देखें तो आप से अच्‍छा राधे मोहन सिंह ही थे जो केवल सांसद रहते हए गहमर को दो दो ट्रेने दिये, आरक्षण काउन्‍टर दिये। प्‍लेटफार्म की लम्‍बाई दिये। खैर गहमर की बात छोडीए महोदय दिलदारनगर, जमानियॉं में रेलवे फाटक बंद होने से लम्‍बा लम्‍बा जाम लगता है, मगर आपने एक भी ओवरव्रज बनवाने की बात ही नहीं सोची, जबकि वह एन एच भी है। महोदय हमारे गहमर में पूर्वी पश्‍िचिम दो पम्‍प कैनाल है, मुझे मालूम है कि जब तक उसमें केन्‍द्र का पूर्ण हस्‍तक्षेप न हो न उसकी बोरिंग गंगा में दूर जा सकती है और न उसका जिणोद्वार हो सकता है आपने उसे देखा ही नहीं। गहमर के किसानो ने आपकी ही सरकार के द्वारा तय किये गये एवं बाद में उसे कही और बनवाये गये गांग पर पीपे की पुल की मॉंग आज भी करते है, मगर शायद आपके मन में यह बात गॉंठ कर चुकी है कि मॉंग गहमर ही तो करता है, सुनने समझने की जरूरत ही नहीं। माननीय गहमर ने आपको अकेले 17 वोट दिया था इस लिए माननीय गहमर से आपका बहुत प्रेम है, आप गहमर के लिए जान नेवक्षावर करते हैं, इस लिए तो अपने जगह जगह रेलवे की कई योजनाओं, कारखानो का शिलान्‍यास किया मगर अपने जमानियॉं और गहमर क्षेत्र को इससे विमुख रखा,इसका कारण भी मैं जानता हूँ आपको मालूम है कि यहॉं के लोगो को काम नहीं चाहिए, इस लिए आपकी 70 सालो में नही हुआ तो किसी ने नहीं कहा कि तर्ज पर आपने भी जमानियॉं गहमर को औद्योगिक क्षेत्र बनाने का कोई प्रयास नहीं किया। आने कई महापुरूषो के नाम से गाड़ीयॉं चलाई, सुहेल देव और न जाने कौन कौन मगर भारत में जासूसी उपन्‍यास के जनक गोपाल राम गहमरी, और विश्‍वनाथ सिंह गहमरी दिखाई नहीं दिये। लोग कहते है कि गाजीपुर पर बनने वाला रेलबिज विश्‍वनाथ सिंह के नाम पर होगा, तो माननीय मंत्री जी सपने देखना अच्‍छी बात है। वैसे माननीय मंत्री जी आपके गहमर प्रेम का उदाहरण इससे अच्‍छा क्‍या होगा कि जहॉं तक मेरी यादशास्‍त है आप मंत्रीय बनने के बाद 5 या 6 बार गहमर चार साल में आये, जिसमें तीन बार गहमर रेलवे स्‍टेशन पर लाली पाप देने, एक बार पकड़ीतर अपने स्‍वागत में, एक बार हमारे रोबेट विधायक जी फक्‍शन में औएक आध बार आये होगे आप तो याद नहीं। आप के शासन काल में चार तो मैं अपनी ऑंखो से देख रहा हूँ गहमर, भदौरा, दिलदारनगर, जमानियॉं के दूरसंचार केन्‍द्र किस हालत में है, जमानियॉं दूर संचार केन्‍द्र की तो बिलडिंग में बैठने से डर लगता है। माननीय मंत्री जी अापने कहा कि आप स्‍वर्गीय कल्‍पनाथ राय, स्‍वर्गीर्य कमला पति त्रिपाठी जी के तरह विकास किये है, तो अब यही कहूँगा कि अपने मुहँ मिया मिठू की कहावत चरितार्थ करना मेादी सरकार के मंत्रियों की आदत है। आपके ही के पार्टी के एक वरिष्‍ठ नेता और मेरे बड़े भाई कहते है कि आपने बहुत विकास किया 30-:30 लाख की लागत से टायलेट बना दिया, अच्‍छा किया आपने खाने की व्‍यवस्‍थ्‍ाा भले नहीं किया, निकालने की व्‍यवस्‍था काँफी अच्‍छे तरह से कर दिया।
माननीय मंत्री जी आपके गंगापार के विकास को हम गंगापार वाले वर्षो तक याद रखेगें। वर्ष 1989 में एक फिल्‍म आई थी दूल्‍हा गंगा पर के, उस समय मैं 9 साल था और मैं उस फिल्‍म को नहीं देखा तो इतिहास ने सोचा कि अब यदि वह फिल्‍म इसको दिखाई जाये तो न इसको मजा आयेगा, इस लिए उसने मुझे एक हकीकत के धरातल पर बना मिलते जुलते नाम की एक फिल्‍म बना कर दिखाई, जिसका नाम था सांसद गंगा पार के और आपने अपने कार्य और अपने चरित्र से सिद्व कर दिया कि आप वास्‍तव में सांसद गंगा पर के ही है।
अत: माननीय सांसद गंगा पार के मनोज सिन्‍हा जी पत्र के अंत में यही कामना करते है कि आप इसी तरह गहमरवासीयों को लालीपाप दिया देते रहें और अपना उल्‍लू सीधा करने का प्रयास करते रहें।
जय सांसद गंगापार के, जय आई डी सेल के कार्यकर्ता, जय गहमर।।

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