सुबह
से आज बकलडीया पार्क में बैठे हम दोनो लव विक के आनंद में मगसूल थे। रोज
डे, चाकलेट से, टैडी डे, हग डे से गजुरते हुए हम वैलेंनटाइन डे तक आ पहुँचे
थे। वैसे आज सुबह सुबह वैलेंनटाइन डे मनाने से पहले बेलनटाइट डे मना चुका
था। बर्तन धोते समय वह शीशे का कप गिलास जो मेरे साले ने प्यार से
तिलकोत्वस में दिया था आज वह धोते समय ऐसा गिरा कि मेरे वाइफ होम के सारे
बेलन मेरे ऊपर ही गिरे। मैं यह सोच कर वाइफ होम के दिये उस गम को भूल बैठा
कि जब कुछ अच्छा होना होता है तो बुरा होता ही है। मैं अपने दर्द को
छुपाये बकलडीया गार्डन में अपनी प्यारी प्यारी गजगनमिनियॉं के बाहो में
बैठ कर ईश्क फरमा रहा था।
सुबह से शाम हो गई, हमारे आगे मूॅमफली के छिलको की बाढ आ गई थी, कभी मैं उसे खिलाता कभी वह मुझे खिलाती। अब तो अंगुलीयों में पटटी बधवाने की नौबत आ गई थी, आज मेरी अंगुलीयॉं जल्दीबाजी में कई बार उसके दॉंतो के नीचे आ गई खैर कोई बात नहीं प्यार किया तो डरना क्या।
अब तो बकलडीहा गार्डन के बंद होने का समय भी आ गया, कहते हैं न दिल नहीं भरा वही हाल था मेरा आज दिल नहीं भरा। अब तो एक साल के बाद ही यह दिन आयेगा।सूर्य देवता अपने घर जा चुके थे, हम दोनो भी अपने घर जाने के लिए निकल चुके थे। न कदम उठते थे, न मन, मगर जाना तो था ही चल पड़े अपनी अपनी मंंजिल की तरफ।
मैने अपना मोबाइल जो सुबह से ही वाइफ होम के डर से बंद पड़ा था, खोल लिया। मैसेज आने शुरू हो गये थे। तड-तड-पड़-पड़ लगातार मैसेज आते देख कर तो मेरी गजगनिमियॉं न जाने क्यों मेरा मोबाइल अपने हाथो में झपटा मारते हुए ले लिया।
खैर उसने मेरा मोबाइल मेरी तरफ दिखाते हुए बोली यह देख रहे हो, कुत्तो ने क्या किया, मेरा डर कुछ कम हुआ क्योंकि उसने कुत्तों ने कहा था, निश्चित ही वह पुलिंग शब्द का प्रयोग किया तो डर खत्म होना स्वभाविक था। उसका झपटा देख कर ऐसा लगा जैसे वह औरत न होकर बाज हो, जो चील को देखते ही झपटा मार देती हो। मैसेज मैसेज चेक करती रही, उसकी ऑंखे अंगारे में बदल जा रही थी, मैं डर गया। कही किसी कचगमिनियॉं ने बदमाशी मे आई लव यू तो लिख कर नहीं भेज दिया कि मैं पीटूँ और वह सुबह मेरा हाल पूछने आये। क्योंंकि मैं तो अकसर लोगो के साथ ऐसा करता था, तो कही शेर पर कोई सवा शेर तो नहीं मिल गया।
खैर उसने मेरा मोबाइल मेरी तरफ दिखाते हुए बोली यह देख रहे हो, कुत्तो ने क्या किया, मेरा डर कुछ कम हुआ क्योंकि उसने कुत्तों ने कहा था, निश्चित ही वह पुलिंग शब्द का प्रयोग किया तो डर खत्म होना स्वभाविक था।
मैने उसके हाथो से तेजी से मोबाइल लिया और वह बात देखने लगा जिससे उसका चेहरा गुस्से से लाल हो जा रहा था। मोबाइल देखा तो हर तरफ काश्मीर में पुलगामा में आतंकवादी हमले में 40 सी आर पी एफ के जवानो की शहादत की खबर थी।
मेरा चेहरा भी गुस्से से लाल होने लगा।
तभी एक झापड़ मेरे गाल पर पड़ा मैने हाथ से गालो को सहलाने लगा।
तुम तो कहते थे कि घाटी शांत हो गई है ये क्या है, गजगनिमियॉं ने दिन भर का प्यार निकले हुए एक झापड रसीद करते हुए पूछा।
घाटी तो शांत थी ही देखो कई दिनो से कोई वारदात नही हो रही थी। मैने धीरे से जबाब दिया, आप तो जानते ही है कि गजगमिनियॉं के आगे बोलने की औकात मेरी नहीं, उसमे भी जोर से ये तो सवाल ही पैदा नही हो सकता।
तो फिर ये क्या है।
पागल कुत्ते शहर के तरफ दौड रहे हैं, अँधेरे का लाभ उठा कर शेर को काट लिये है, उनकी पूरी विरादरी ही अब नष्ट हो जायेगी परेशान न हो, मैने अपनी गजगमिनयॉं को समझाते हुए कहा।
हाय हाय हाय मेरे लतखनीय प्रेमी, कितनी बार कुत्तो का कुनवा नष्ट किया है तुमने, मैं ने नहीं देखा क्या। अब तो गजगमिनियॉं का टेम्पर हाई होते जा रहा था। मैने तो समझ नहीं पा रहा था कि क्या जबाब दूँ।मैने दंड-बैठक किया, दारा सिंह को याद किया, हिम्मत जुटाई और सीधे से बोला मेरी खटखनियॉ डीयर अभी नेताओं ने कड़े शब्दो में निंदा किया है, कहा है कि बदला लेगें, एक बदले दस सर लायेगें। शांत रहो तेल देखो, तेल की धार देखो।
नियाहत ही लतखोर आदमी हो तुम मेरे पडपड़ीयॉं डीयर तुम्हारे नेताओं की कड़े शब्दो की निन्दा सुन कर तो पाकिस्तान के पैन्ट गीले हो गये, जिसको सुखाने के लिए वह तुम्हारे यहॉं बार बार बम के धमाके करता है। और रही दस सिर की बात तो इतना कहते हुए उसके दॉंत के ऊपर दॉंत चढ़ गये , मुट्टी बंद होने लगी।
मैं चार कदम पीछे हट गया कही ऐसा न हो वह मुझे ही पाकिस्तान समझ कर मेरी कुटाई भरे बाजार कर दें, और पुलिस मुझे लड़की छेडने के आरोप में अन्दर कर दें और मुक्तक लोक के एडमिन मुझे बाहर कर दें। हे भगवान चारो तरफ से मेरी ही जान आफत में।।
उसने मुझे पीछे हटता देख कर एक कदम आगे बढ़ाया और मेरे कालर पकड़े, कहा कि एक के बदले दस लाओ या पचास हजार, मगर क्या उस एक सर से होने वाले सपने को पूरा कर सकते हो, उस एक सर से जो अरमान जुड़ हैं उसे पूरा कर सकते हो। उस एक सर से मिटने वाली सिन्दूर की लाली को तुम दस सर से ला सकते हो।
मैं चुपचाप देख रहा था उसके चेहरे को, मेरे जुबान से कोई शब्द नहीं निकल रहे थे।
मैं पकपकी दास बिल्कुल शांत खडा था, मेरी शांति उसे बर्दाश्त नहीं हुई। हम चलते चलते आईक्रीम की दुकान पर पहुँच चुके थे। जाओं एक आईसक्रीम लाओ मेरे लिए उसने फरमान सुनाया, मैं उसे देख रहा था जाडे की रात में वह पसीने से तरबतर है।
मैंने ऑंख नीचे कर धीरे से कहा मेरी घटघटनिया जाड़े में आईक्रीम नहीं खाया जाता, तबीयत खराब हो जायेगी। तड़ तड उसने अपने चरण पादुका से मेरे सिर पर प्रहार करते हुए कहा, बहस नहीं मुझसे, एक दम बहस नहीं जो कह रही हूँ सुनो। मरता क्या न करता मैं भागा आईक्रीम लाकर उसकी सेवा में प्रस्तुत किया।
तुमको यहॉं जाडा लगा रहा है, कभी कल्पना किये हो कि जो सैनिक जीरो से भ्ाी नीचे के माहौल में रह कर देश की सुरक्षा करता है उसकी क्या हालत होगी।
ह, हा हाा, मेरे जुबान से आवाज नहीं निकल रही थी। ये ह हह हस क्या लगा रखा है ? साफ क्यों नहीं बोलते? तुम्हारे यह नेता एक अपनी सुरक्षा के लिए सैकड़ो गाडीयो का लाव नस्कर रख कर चलते हैं, हजारो सुरक्षा कर्मी रखे जाते हैं, क्यों क्या उनकी जान की बहुत कीमत है ?और एक आम सैनिक की जान की कीमत नहीं ?
है जानू बहुत कीमत है मैने कसाई के आगे बकरे के जैसी गिडगिडाहट लिये कहा।
कुछ कीमत नहीं तुम्हारे नेताओं के आगे सैनिको की, उनके जान की, तभी तो ये आये दिन हो रहा है।
काश्मीर की घाटी को तुम्हारे नेताओं ने वोटो का स्वर्ग समझ लिया है। अपनी राजनीति का अखाडा समझ लिया है।
कभी किसी नेता की मॉं, बहन बेटी का सुहाग उजड़ता तो समझ में आता कि एक सैनिक के शहीद होने के बाद उसके परिवार पर क्या बीतती है। तब उसके कलेजे को देखती, मगर यहॉं तो बंद कमरो में बैठक राजभोग करते हुए बस चमड़े की जबान चलानी है।
उसके गुस्से को देखते हुए आज न सिर्फ मैं वेलेनटाइन भूल चुका था बल्कि सुबह वाइफ होम के बेलनटाइट को भी भूल चुका था।मैं उसके प्यारे लम्बे घने मुलायम बालो को अपने हाथो में लिया और बोला घर चलो प्रियागंना, अब तुम बनती जा रही हो विरांगना, उसके चेहरे पर हल्की हँसी आई, जैसे लगा कि हजारो फूल चमक उठे हो, मेरा दिल बाग बाग होने लगा।
उसने मुस्कुराते हुए कहा मेरे बटोरन पूर्व सैंया तुम्हारे बस की बात नहीं मेरे अन्दर की आग सह जाना , कही तुम न जल आओ।
मैं दहल उठा, अभी तो पल पहले शीतल छॉंव देने वाली प्रेमिका अरे मतलब वही पूर्व प्रेमिका अब मुझे जलाने की बात करने लगी, मैं चार कदम पीछे हट गया, पता नहीं कब रौद्व रूप में आ जाये।
तभी उसकी आईसक्रीम का आधा हिस्सा गल कर नीचे गिर गया, उसने उठा कर उसे ऐसे फेंका जैसे वह आईसक्रीम नहीं बम को गालो हो और दूसरी तरफ पाकिस्तान हो।
आऊ आऊ मुहँ में की आईसक्रीम तेजी से चबाते हुए बोली। आज तुम्हारे नेता पाकिस्तान को दोष क्यों देते हैं, क्यों प्रार्थना करते हुए उससे आतंकवाद बंद करने की, कभी दुश्मन से भी निवदेन किया जाता है अगर दुश्मन तुम्हारी बात मान लें तो फिर वह दुश्मन ही कहॉं रहा।
मैने कहा छोडो जाने दो, हम अपनी बात करें, चलते चलते गाने सुने।
अब गाने सुनने लायक भ्ीा नहीं रहेगो, जो तुम्हारा हाल है वह अब काश्मीर तो काश्मीर तुम्हारे तडतियावनपुर में आंतकवादी घुस कर मारेगें और तुम बस कड़ी निंदा करोगें।
आज तक क्या किया तुमने और तुम्हारे नेताओं ने
ऐसी बात नहीं गजगमिनियॉं, हमने और हमारे नेता ने पाकिस्तान को अलग थलग कर दिया। उसकी कमर तोड़ कर रख दिया।
हा हा हा हा हा कमर तोड कर रख दिया, हा हा हा जब कमर तोड कर रख दिया तो वह टूटी कमर से तुम्हारी कोख उजाड रहा है, तुम्हारे सिन्दुर मिटा रहा है, ये कैसी कमर टूटी है उसकी ।
मैने तो उसकी बाते सुन कर अब संतोष साहिल भाई की तरफ देखने लगा जो काफी देर से खम्भे के पीछे खडे हो कर हमारी बातें सुन रहे थे। वह मुझे चुप रहने का ईशारा कर रहे थे, मैं उनकी तरफ देख कर चेहरा हिला रहा था, तभी उसने पूछा क्या उधर देख कर ईशारे कर रहे हो, कौन है उधर, इतना सुनने ही संतोष साहिल भाई ईट की दिवार फॉंद कर झाडी में जा छुपे।
मैने धीरे से कहा अब कल बात करते हैं चलो घर चला जाये।
नहीं करनी है मुझे तुमसे बात, बिल्कुल नहीं करनी है, जाओ पहले अपने नेताओं से बात करो और पूछो कि काश्मीर को भारत का अंग मुहँ से कहते रहेगें या 370 पर कार्यावाही करेगें। भारतीय सेना को गीदड बनाने का काम , उनको मौत में मुख में ढकेले का काम कब तक करेगें।
यह कह कर उसने अपनी कबेरा गाडी स्टार्ट की और चल दी अपने घर की तरफ
मैं तो उसकी आवाज से ऐसे ही डरा हुआ था, अब तो उसने मुझपे मिलने पर भी शर्त लगा दी। रात के दस बज चुके थे,सुबह की शुरूआत तो वाइफ होम के बेलन से हुई, आज खाना न बनाने की सजा फिर झाडू से ही मिलेगी, यह सोचते हुए मैं चल पडा अपने घर की ओर।
मुझे तो अब पिटना हैं , घर के काम करने हैं, आप जरा सोचीयेगा कि मेरी गजगमिनियॉं ने जो बात किया वह सही था कि गलत।
अखंड गहमरी
सुबह से शाम हो गई, हमारे आगे मूॅमफली के छिलको की बाढ आ गई थी, कभी मैं उसे खिलाता कभी वह मुझे खिलाती। अब तो अंगुलीयों में पटटी बधवाने की नौबत आ गई थी, आज मेरी अंगुलीयॉं जल्दीबाजी में कई बार उसके दॉंतो के नीचे आ गई खैर कोई बात नहीं प्यार किया तो डरना क्या।
अब तो बकलडीहा गार्डन के बंद होने का समय भी आ गया, कहते हैं न दिल नहीं भरा वही हाल था मेरा आज दिल नहीं भरा। अब तो एक साल के बाद ही यह दिन आयेगा।सूर्य देवता अपने घर जा चुके थे, हम दोनो भी अपने घर जाने के लिए निकल चुके थे। न कदम उठते थे, न मन, मगर जाना तो था ही चल पड़े अपनी अपनी मंंजिल की तरफ।
मैने अपना मोबाइल जो सुबह से ही वाइफ होम के डर से बंद पड़ा था, खोल लिया। मैसेज आने शुरू हो गये थे। तड-तड-पड़-पड़ लगातार मैसेज आते देख कर तो मेरी गजगनिमियॉं न जाने क्यों मेरा मोबाइल अपने हाथो में झपटा मारते हुए ले लिया।
खैर उसने मेरा मोबाइल मेरी तरफ दिखाते हुए बोली यह देख रहे हो, कुत्तो ने क्या किया, मेरा डर कुछ कम हुआ क्योंकि उसने कुत्तों ने कहा था, निश्चित ही वह पुलिंग शब्द का प्रयोग किया तो डर खत्म होना स्वभाविक था। उसका झपटा देख कर ऐसा लगा जैसे वह औरत न होकर बाज हो, जो चील को देखते ही झपटा मार देती हो। मैसेज मैसेज चेक करती रही, उसकी ऑंखे अंगारे में बदल जा रही थी, मैं डर गया। कही किसी कचगमिनियॉं ने बदमाशी मे आई लव यू तो लिख कर नहीं भेज दिया कि मैं पीटूँ और वह सुबह मेरा हाल पूछने आये। क्योंंकि मैं तो अकसर लोगो के साथ ऐसा करता था, तो कही शेर पर कोई सवा शेर तो नहीं मिल गया।
खैर उसने मेरा मोबाइल मेरी तरफ दिखाते हुए बोली यह देख रहे हो, कुत्तो ने क्या किया, मेरा डर कुछ कम हुआ क्योंकि उसने कुत्तों ने कहा था, निश्चित ही वह पुलिंग शब्द का प्रयोग किया तो डर खत्म होना स्वभाविक था।
मैने उसके हाथो से तेजी से मोबाइल लिया और वह बात देखने लगा जिससे उसका चेहरा गुस्से से लाल हो जा रहा था। मोबाइल देखा तो हर तरफ काश्मीर में पुलगामा में आतंकवादी हमले में 40 सी आर पी एफ के जवानो की शहादत की खबर थी।
मेरा चेहरा भी गुस्से से लाल होने लगा।
तभी एक झापड़ मेरे गाल पर पड़ा मैने हाथ से गालो को सहलाने लगा।
तुम तो कहते थे कि घाटी शांत हो गई है ये क्या है, गजगनिमियॉं ने दिन भर का प्यार निकले हुए एक झापड रसीद करते हुए पूछा।
घाटी तो शांत थी ही देखो कई दिनो से कोई वारदात नही हो रही थी। मैने धीरे से जबाब दिया, आप तो जानते ही है कि गजगमिनियॉं के आगे बोलने की औकात मेरी नहीं, उसमे भी जोर से ये तो सवाल ही पैदा नही हो सकता।
तो फिर ये क्या है।
पागल कुत्ते शहर के तरफ दौड रहे हैं, अँधेरे का लाभ उठा कर शेर को काट लिये है, उनकी पूरी विरादरी ही अब नष्ट हो जायेगी परेशान न हो, मैने अपनी गजगमिनयॉं को समझाते हुए कहा।
हाय हाय हाय मेरे लतखनीय प्रेमी, कितनी बार कुत्तो का कुनवा नष्ट किया है तुमने, मैं ने नहीं देखा क्या। अब तो गजगमिनियॉं का टेम्पर हाई होते जा रहा था। मैने तो समझ नहीं पा रहा था कि क्या जबाब दूँ।मैने दंड-बैठक किया, दारा सिंह को याद किया, हिम्मत जुटाई और सीधे से बोला मेरी खटखनियॉ डीयर अभी नेताओं ने कड़े शब्दो में निंदा किया है, कहा है कि बदला लेगें, एक बदले दस सर लायेगें। शांत रहो तेल देखो, तेल की धार देखो।
नियाहत ही लतखोर आदमी हो तुम मेरे पडपड़ीयॉं डीयर तुम्हारे नेताओं की कड़े शब्दो की निन्दा सुन कर तो पाकिस्तान के पैन्ट गीले हो गये, जिसको सुखाने के लिए वह तुम्हारे यहॉं बार बार बम के धमाके करता है। और रही दस सिर की बात तो इतना कहते हुए उसके दॉंत के ऊपर दॉंत चढ़ गये , मुट्टी बंद होने लगी।
मैं चार कदम पीछे हट गया कही ऐसा न हो वह मुझे ही पाकिस्तान समझ कर मेरी कुटाई भरे बाजार कर दें, और पुलिस मुझे लड़की छेडने के आरोप में अन्दर कर दें और मुक्तक लोक के एडमिन मुझे बाहर कर दें। हे भगवान चारो तरफ से मेरी ही जान आफत में।।
उसने मुझे पीछे हटता देख कर एक कदम आगे बढ़ाया और मेरे कालर पकड़े, कहा कि एक के बदले दस लाओ या पचास हजार, मगर क्या उस एक सर से होने वाले सपने को पूरा कर सकते हो, उस एक सर से जो अरमान जुड़ हैं उसे पूरा कर सकते हो। उस एक सर से मिटने वाली सिन्दूर की लाली को तुम दस सर से ला सकते हो।
मैं चुपचाप देख रहा था उसके चेहरे को, मेरे जुबान से कोई शब्द नहीं निकल रहे थे।
मैं पकपकी दास बिल्कुल शांत खडा था, मेरी शांति उसे बर्दाश्त नहीं हुई। हम चलते चलते आईक्रीम की दुकान पर पहुँच चुके थे। जाओं एक आईसक्रीम लाओ मेरे लिए उसने फरमान सुनाया, मैं उसे देख रहा था जाडे की रात में वह पसीने से तरबतर है।
मैंने ऑंख नीचे कर धीरे से कहा मेरी घटघटनिया जाड़े में आईक्रीम नहीं खाया जाता, तबीयत खराब हो जायेगी। तड़ तड उसने अपने चरण पादुका से मेरे सिर पर प्रहार करते हुए कहा, बहस नहीं मुझसे, एक दम बहस नहीं जो कह रही हूँ सुनो। मरता क्या न करता मैं भागा आईक्रीम लाकर उसकी सेवा में प्रस्तुत किया।
तुमको यहॉं जाडा लगा रहा है, कभी कल्पना किये हो कि जो सैनिक जीरो से भ्ाी नीचे के माहौल में रह कर देश की सुरक्षा करता है उसकी क्या हालत होगी।
ह, हा हाा, मेरे जुबान से आवाज नहीं निकल रही थी। ये ह हह हस क्या लगा रखा है ? साफ क्यों नहीं बोलते? तुम्हारे यह नेता एक अपनी सुरक्षा के लिए सैकड़ो गाडीयो का लाव नस्कर रख कर चलते हैं, हजारो सुरक्षा कर्मी रखे जाते हैं, क्यों क्या उनकी जान की बहुत कीमत है ?और एक आम सैनिक की जान की कीमत नहीं ?
है जानू बहुत कीमत है मैने कसाई के आगे बकरे के जैसी गिडगिडाहट लिये कहा।
कुछ कीमत नहीं तुम्हारे नेताओं के आगे सैनिको की, उनके जान की, तभी तो ये आये दिन हो रहा है।
काश्मीर की घाटी को तुम्हारे नेताओं ने वोटो का स्वर्ग समझ लिया है। अपनी राजनीति का अखाडा समझ लिया है।
कभी किसी नेता की मॉं, बहन बेटी का सुहाग उजड़ता तो समझ में आता कि एक सैनिक के शहीद होने के बाद उसके परिवार पर क्या बीतती है। तब उसके कलेजे को देखती, मगर यहॉं तो बंद कमरो में बैठक राजभोग करते हुए बस चमड़े की जबान चलानी है।
उसके गुस्से को देखते हुए आज न सिर्फ मैं वेलेनटाइन भूल चुका था बल्कि सुबह वाइफ होम के बेलनटाइट को भी भूल चुका था।मैं उसके प्यारे लम्बे घने मुलायम बालो को अपने हाथो में लिया और बोला घर चलो प्रियागंना, अब तुम बनती जा रही हो विरांगना, उसके चेहरे पर हल्की हँसी आई, जैसे लगा कि हजारो फूल चमक उठे हो, मेरा दिल बाग बाग होने लगा।
उसने मुस्कुराते हुए कहा मेरे बटोरन पूर्व सैंया तुम्हारे बस की बात नहीं मेरे अन्दर की आग सह जाना , कही तुम न जल आओ।
मैं दहल उठा, अभी तो पल पहले शीतल छॉंव देने वाली प्रेमिका अरे मतलब वही पूर्व प्रेमिका अब मुझे जलाने की बात करने लगी, मैं चार कदम पीछे हट गया, पता नहीं कब रौद्व रूप में आ जाये।
तभी उसकी आईसक्रीम का आधा हिस्सा गल कर नीचे गिर गया, उसने उठा कर उसे ऐसे फेंका जैसे वह आईसक्रीम नहीं बम को गालो हो और दूसरी तरफ पाकिस्तान हो।
आऊ आऊ मुहँ में की आईसक्रीम तेजी से चबाते हुए बोली। आज तुम्हारे नेता पाकिस्तान को दोष क्यों देते हैं, क्यों प्रार्थना करते हुए उससे आतंकवाद बंद करने की, कभी दुश्मन से भी निवदेन किया जाता है अगर दुश्मन तुम्हारी बात मान लें तो फिर वह दुश्मन ही कहॉं रहा।
मैने कहा छोडो जाने दो, हम अपनी बात करें, चलते चलते गाने सुने।
अब गाने सुनने लायक भ्ीा नहीं रहेगो, जो तुम्हारा हाल है वह अब काश्मीर तो काश्मीर तुम्हारे तडतियावनपुर में आंतकवादी घुस कर मारेगें और तुम बस कड़ी निंदा करोगें।
आज तक क्या किया तुमने और तुम्हारे नेताओं ने
ऐसी बात नहीं गजगमिनियॉं, हमने और हमारे नेता ने पाकिस्तान को अलग थलग कर दिया। उसकी कमर तोड़ कर रख दिया।
हा हा हा हा हा कमर तोड कर रख दिया, हा हा हा जब कमर तोड कर रख दिया तो वह टूटी कमर से तुम्हारी कोख उजाड रहा है, तुम्हारे सिन्दुर मिटा रहा है, ये कैसी कमर टूटी है उसकी ।
मैने तो उसकी बाते सुन कर अब संतोष साहिल भाई की तरफ देखने लगा जो काफी देर से खम्भे के पीछे खडे हो कर हमारी बातें सुन रहे थे। वह मुझे चुप रहने का ईशारा कर रहे थे, मैं उनकी तरफ देख कर चेहरा हिला रहा था, तभी उसने पूछा क्या उधर देख कर ईशारे कर रहे हो, कौन है उधर, इतना सुनने ही संतोष साहिल भाई ईट की दिवार फॉंद कर झाडी में जा छुपे।
मैने धीरे से कहा अब कल बात करते हैं चलो घर चला जाये।
नहीं करनी है मुझे तुमसे बात, बिल्कुल नहीं करनी है, जाओ पहले अपने नेताओं से बात करो और पूछो कि काश्मीर को भारत का अंग मुहँ से कहते रहेगें या 370 पर कार्यावाही करेगें। भारतीय सेना को गीदड बनाने का काम , उनको मौत में मुख में ढकेले का काम कब तक करेगें।
यह कह कर उसने अपनी कबेरा गाडी स्टार्ट की और चल दी अपने घर की तरफ
मैं तो उसकी आवाज से ऐसे ही डरा हुआ था, अब तो उसने मुझपे मिलने पर भी शर्त लगा दी। रात के दस बज चुके थे,सुबह की शुरूआत तो वाइफ होम के बेलन से हुई, आज खाना न बनाने की सजा फिर झाडू से ही मिलेगी, यह सोचते हुए मैं चल पडा अपने घर की ओर।
मुझे तो अब पिटना हैं , घर के काम करने हैं, आप जरा सोचीयेगा कि मेरी गजगमिनियॉं ने जो बात किया वह सही था कि गलत।
अखंड गहमरी
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