एक स्वःलिखित कहानी...
आज सुबह से मन व्याकुल था। किसी भी कार्य में तन-मन साथ नहीं दे रहे थे। आफिस भी जाने का मन नहीं किया, इस लिए घूमते- टहलते एक मित्र के घर पहुँच गया। संयोग से वह घर पर ही था। मुझे अपने घर देख कर वह आश्चर्यचकित रह गया। वैसे तो फोन पर हमारे बीच बातें रोज होती थीं मगर सालो बाद जो मैं उसके घर आया था। हम दोनो साथ बैठे। बातो का दौर शुरू हुआ। शायद वह मेरी मानसिक हालत का अंदाजा लगा चुका था। वह जान चुका था कि मुझे आज किसी की याद सता रही थी। मेरे आँखो का भींगा कोना इस बात की गवाही उसे दे रहा था।
तुम जिसे चाहते हो उसे क्यों सारी बाते बता क्यों नहीं देते, कब तक अकेले घुटते रहोगे यार.. उसने मुझे परेशान देख कर कहा।
मैं उसे नहीं बता सकता कि मैं उसे चाहता हूँ, मैने चीखते हुए कहा..
मेरे लिए इतना बहुत है कि वो मुझसे दो बातें कर लेती है... मैं कुछ अपने को संभाल चुका था। मगर मेरे चेहरे पर बेबसी के भाव देखकर वह काँप उठा था..
वह घर के अन्दर जा कर मेरे लिए पानी लाया और उसके हाथ में एक कलम और कुछ पन्ने भी थे,
पहले उसने मुझे पानी पिलाया और फिर कलम कागज मेरे हाथ में देते हुए उसने कहा....
ऐसे नहीं चलती जीवन गाड़ी मित्र, अगर दो पटरिया मिल नहीं सकती तो कम से कम एक दूसरे के साथ तो चलती हैं. आखिर कब तक अपने प्रेम को अपने सीने में दबाये तड़पते रहोगे...यह कहते हुए उसकी आँखे डब डबा गई।
मेरे चेहरे को अपने हाथो में लेते हुए वह बोला ...मेरी आँखो में आँखे डालो मित्र, शायद कही तुमको दर्द दिखाई दें।तुम सबके सामने फौलाद का जिगर रखने वाला ये शख्स आज तक अपना प्यार न पा सका,,
कारण बस एक ही था मैं भी तुम्हारी तरह अपने प्यार का इजहार नहीं कर पाया... मैं उससे कभी नहीं पूछ पाया कि Do You Love Me..
और आज सब कुछ होते हुए भी अकेला....अब उसके आँसू रूक नहीं रहे थे।
आज सुबह से मन व्याकुल था। किसी भी कार्य में तन-मन साथ नहीं दे रहे थे। आफिस भी जाने का मन नहीं किया, इस लिए घूमते- टहलते एक मित्र के घर पहुँच गया। संयोग से वह घर पर ही था। मुझे अपने घर देख कर वह आश्चर्यचकित रह गया। वैसे तो फोन पर हमारे बीच बातें रोज होती थीं मगर सालो बाद जो मैं उसके घर आया था। हम दोनो साथ बैठे। बातो का दौर शुरू हुआ। शायद वह मेरी मानसिक हालत का अंदाजा लगा चुका था। वह जान चुका था कि मुझे आज किसी की याद सता रही थी। मेरे आँखो का भींगा कोना इस बात की गवाही उसे दे रहा था।
तुम जिसे चाहते हो उसे क्यों सारी बाते बता क्यों नहीं देते, कब तक अकेले घुटते रहोगे यार.. उसने मुझे परेशान देख कर कहा।
मैं उसे नहीं बता सकता कि मैं उसे चाहता हूँ, मैने चीखते हुए कहा..
मेरे लिए इतना बहुत है कि वो मुझसे दो बातें कर लेती है... मैं कुछ अपने को संभाल चुका था। मगर मेरे चेहरे पर बेबसी के भाव देखकर वह काँप उठा था..
वह घर के अन्दर जा कर मेरे लिए पानी लाया और उसके हाथ में एक कलम और कुछ पन्ने भी थे,
पहले उसने मुझे पानी पिलाया और फिर कलम कागज मेरे हाथ में देते हुए उसने कहा....
ऐसे नहीं चलती जीवन गाड़ी मित्र, अगर दो पटरिया मिल नहीं सकती तो कम से कम एक दूसरे के साथ तो चलती हैं. आखिर कब तक अपने प्रेम को अपने सीने में दबाये तड़पते रहोगे...यह कहते हुए उसकी आँखे डब डबा गई।
मेरे चेहरे को अपने हाथो में लेते हुए वह बोला ...मेरी आँखो में आँखे डालो मित्र, शायद कही तुमको दर्द दिखाई दें।तुम सबके सामने फौलाद का जिगर रखने वाला ये शख्स आज तक अपना प्यार न पा सका,,
कारण बस एक ही था मैं भी तुम्हारी तरह अपने प्यार का इजहार नहीं कर पाया... मैं उससे कभी नहीं पूछ पाया कि Do You Love Me..
और आज सब कुछ होते हुए भी अकेला....अब उसके आँसू रूक नहीं रहे थे।
डाँ अखंड प्रताप सिंह..गहमर।।
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