रविवार, 15 अक्टूबर 2017

हिन्दू धर्म का मज़ाक

कल यानि 21अप्रैल को दोपहर 1 बजे मैं एक आवश्यक कार्य से गाजीपुर कचहरी के तरफ जा रहा था, अभी मुख्य डाक घर के पास पहुँचा ही था कि जिन्दाबाद-मुर्दाबाद के नारे लगाते कुछ लोग उस कडी धूप में जाते दिखाई दिये। यहाँ तक तो बुरा लगने की कोई बात नहीं थी, लोकतन्त्र हैं। इस जिन्दाबाद मुर्दाबाद के नारे के साथ चल रहे "कमीने"(मुझे इस अपशब्द के प्रयोग पर कोई पश्चाताप नहीं) एक अर्थी लिये थे, और उस अर्थी पर EVM मशीन रखी थी, एक व्यक्ति बकायदा घंट भी लिये था, साथ में औरते में थी। सभी गंगाघाट की तरफ जा रहे थे। ऐसे में सवाल यह उठता है कि
1.क्या यह हिन्दू धर्म का मज़ाक नहीं है?
2 .क्या यह शव यात्रा निकालने वाले जो दाह देगा क्या वह सभी संस्कारो का पालन करेगा?
3. वह 13 दिनो तक दाह देने वाला बिना नमक के एक समय भोजन करेगा?
4 . उसके परिवार के सदस्य वैसे ही भोजन करेगें और नियमो का पालन करेगें जैसा कि मृतक का परिवार करता है?
5. उसके परिवार के सदस्य 10वें को सिर मुडंवायेगे?
6. वह 13 वे दिन ब्रहमभोज करेगें?

अगर नहीं तो किस हक से यह अपने राजनैतिक ढकोसले के लिए हिन्दू धर्म का मजाक उड़ा रहे है।। ऐसे कमीनो को बीच चौराहे पर खड़ा कर जूता मारना चाहिए।।
भारत में मुस्लिम और ईसाई तो हिन्दूधर्म के नियमों एवं आस्था के खिलाफ हैं ही, कुछ हरामखोर हिन्दू भी यह काम कर रहें हैं....ऐसे लोगो को समाज से ही बहिष्कार करना होगा।।।
हिन्दू धर्म का मज़ाक उड़ाने वाले अपने परिवार का भी मज़ाक उड़ायेगें

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें