लगाने पाक का झन्डा, उन्हें कश्मीर में मत दो।
ज़मी यह हिन्द की प्यारी, उन्हें समझा के फिर तू सो।
न माने बात गर तेरी, न वन्देमातरम बोले,
दिखा दो पाक की राहें, अरब के उन लुटेरो को।
अखंड गहमरी।।
लदी है टोकरी सर पे, तड़पता गोद में बालक।
मिटाये भूख कैसे वो, समझ उसकी न कुछ आये।।
बदन पीला पड़ा उसका, न मिलती पेट भर रोटी।
कहाँ से दूध छाती में, वो बालक के लिए लाये।।
अखंड गहमरी
स़जा ऐसी मुझे देगी, नहीं मालूम था मुझको।
सहारा प्यार का छीना, न रोने की कस़म देकर।।
जुबा खामोश रखना सीखना मुझको नहीं यारो।
बचे हैं चार दिन इस जिन्दगी के अब करोगे क्या?
जरा अब होश में आओ, दिखाओ हिन्द की ताकत।
बजा शंकर का डमरु तुम, सुनाओ हिन्द की ताकत।।
अगर अब पाक का झन्डा, दिखे कश्मीर में तो तुम..
जला कश्मीरी मुल्लो को, बताओ हिन्द की ताकत।।
बता दो याद अब उनकी मिटायूँ मैं कहॉं जाकर
लिखा जो प्यार के किस्से सुनायूँ मैं कहॉं जाकर
बजाकर जो कभी पायल जिगर के पास आती थी
नज़र उसको लगी मेरी बतायूँ मैं कहाँ जाकर
ज़मी यह हिन्द की प्यारी, उन्हें समझा के फिर तू सो।
न माने बात गर तेरी, न वन्देमातरम बोले,
दिखा दो पाक की राहें, अरब के उन लुटेरो को।
अखंड गहमरी।।
लदी है टोकरी सर पे, तड़पता गोद में बालक।
मिटाये भूख कैसे वो, समझ उसकी न कुछ आये।।
बदन पीला पड़ा उसका, न मिलती पेट भर रोटी।
कहाँ से दूध छाती में, वो बालक के लिए लाये।।
अखंड गहमरी
पड़ोसी कर रहा हो घर, अगर रौशन जला दीपक।।
तुम्हारे घर भी आयेगा उजाला, मत जलो उससे।।
अखंड गहमरी।।
तुम्हारे घर भी आयेगा उजाला, मत जलो उससे।।
अखंड गहमरी।।
स़जा ऐसी मुझे देगी, नहीं मालूम था मुझको।
सहारा प्यार का छीना, न रोने की कस़म देकर।।
जुबा खामोश रखना सीखना मुझको नहीं यारो।
बचे हैं चार दिन इस जिन्दगी के अब करोगे क्या?
अखंड गहमरी।।
जरा अब होश में आओ, दिखाओ हिन्द की ताकत।
बजा शंकर का डमरु तुम, सुनाओ हिन्द की ताकत।।
अगर अब पाक का झन्डा, दिखे कश्मीर में तो तुम..
जला कश्मीरी मुल्लो को, बताओ हिन्द की ताकत।।
अखंड गहमरी।।।
दिया जो जख़्म गाँधी ने, अभी भी भर न पाया वो।
लगा कर आग मुल्लो ने, जला कश्मीर को डाला।।
अखंड गहमरी।।
दिया जो जख़्म गाँधी ने, अभी भी भर न पाया वो।
लगा कर आग मुल्लो ने, जला कश्मीर को डाला।।
अखंड गहमरी।।
बता दो याद अब उनकी मिटायूँ मैं कहॉं जाकर
लिखा जो प्यार के किस्से सुनायूँ मैं कहॉं जाकर
बजाकर जो कभी पायल जिगर के पास आती थी
नज़र उसको लगी मेरी बतायूँ मैं कहाँ जाकर
न मैखाना शहर में है न उसका घर पता मुझको
जरा कोई बताये दिल लगायूँ मैं कहाँ जाकर
न पीया जाम क्यों मैने, अगर पूछो न तुम मुझसे
नजर बोतल में आई तुम दिखायूँ मैं कहाँ जाकर
मिला कर जाम में पानी कभी क्यूँ मै नहीं पीता
शहर में अश्क बहता है मिलायूँ मैं कहॉं जाकर
मुसीबत आ गई है जब, कहो क्यो तुम हो घबडाते।।
सबेरा हो न जब तक क्या, दिखाने राह रवि आते।।
पराया कोई न हैं जग में,तुम्हारे साथ रहते सब।
मगर जब धूप होती तेज, वो बस छॉंव में जाते।।
जरा कोई बताये दिल लगायूँ मैं कहाँ जाकर
न पीया जाम क्यों मैने, अगर पूछो न तुम मुझसे
नजर बोतल में आई तुम दिखायूँ मैं कहाँ जाकर
मिला कर जाम में पानी कभी क्यूँ मै नहीं पीता
शहर में अश्क बहता है मिलायूँ मैं कहॉं जाकर
मुसीबत आ गई है जब, कहो क्यो तुम हो घबडाते।।
सबेरा हो न जब तक क्या, दिखाने राह रवि आते।।
पराया कोई न हैं जग में,तुम्हारे साथ रहते सब।
मगर जब धूप होती तेज, वो बस छॉंव में जाते।।
अखंड गहमरी।।
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