मनुष्य में जन्म पाते ही मानव कई प्रकार के बंधनो में बंध जाता है जिसमें से एक संस्कार है विवाह संस्कार जो महज एक संस्कार न होकर तन-मन-का मिलन होता है। सात जन्मों का बंधन कहा जाता है, मगर आज के आधुनिक परिवेश में सात जन्मों का बंधन सात महीने में निभाना मुश्किल हो रहा है। आये दिन न्यायालयों में तलाक के लिये अर्जियॉं लगाई जा रही है। जो परिवार ऐसा नहीं कर पा रहे है वो एक दूसरे से अलग एकाकी जीवन जी रहे है।
इसका क्या कारण है हमारी सभ्यता पर हावी होती पश्चिमी सभ्यता, बढ़ती महत्वाकांक्षा, माता-पिता द्वारा चयन विवाह, या खुद प्रेम विवाह। मगर यदि इसका दोष प्रेम विवाह को माना जाये तो सबसे अधिक अलगाव और तलाक की घटना गाॅंवो में हो रही है जहाॅं अभी प्रेम विवाह का प्रचलन काफी कम है। फिर ऐसा क्यों। गाॅंवो में बढ़ती यह परम्परा बहुत ही अधिक घातक सिद्व हेा रही है।
ग्रामीण क्षेत्रों में युवा वर्ग अपने माॅं बाप की मर्जी से विवाह तो कर रहा है लेकिन वह एक दूसरे में पश्चिमी करण का मोह नहीं त्याग पा रहे है वह भौतिक सुख सुविधा की चाहत नहीं त्याग पा रहें है। कहा जाये तो हिन्दी फिल्मों के तर्ज पर ही युवा वर्ग अपने साथी को चाहता है। पर अपेक्षाये पूरी न होने पर वह विवाद करने से चूक नहीं रहा है। छोटी से छोटी बात भी पहाड़ो सी नजर आती है। एक दूसरे के जीवन साथी एक दूसरे को देखना पसंद नहीं करते, प्यार मिट जाता दोनो एक दूसरे पर दोषा रोपण करते हुए अलग रहना शुरू कर देते है। यहाॅं तक की समाज,घर परिवार की बाते सुनने को तैयार नहीं होते समझौते के सारे रास्ते बंद कर वह तलाक लेकर अकेले रहने की बात करते है। दाम्प्तय जीवन के बिगड़न के पीछे एक कारण शक भी निभाता है। पुरूष या स्त्री दोनो में कोई अगर गैर पुरूष या स्त्री से बात करे उसके साथ काम करें तो वह अवैध संबंध के दायरे में आ जाता है। बिना हकीकत जाने एक दूसरे पर दोषा रोपण और फिर विवाद नौबत तलाक तक पहुॅंच जाती है। और तलाक लेकर ही वह संतुष्ठ होते है।
आज देखा जाये तो विवाह विच्छेद में मोबाइल, फेसबुक, टिविटर और वाटस्प जैसे सोसल नेटवर्किग साइटो का भी कम योगदान नहीं है। पति घंटों कार्यालय में काम करके आने के बाद मनोरजंन के रूप में देर रात तक सोसल साइटों का इस्तमाल करता है। बाते करता है। कभी कभी वह दूसरो में अपनी पंसद की छवि तलाशते हुए अपने परिवार से दूर होने लगता है। पत्नी दिन भर एकाकी जीवन जीने के बाद रात बिस्तर पर भी अपने को अकेला पाती है। साथ ही दूसरे पक्ष से देखा जाये तो दिन भर घर में अकेली पड़ी स्त्रियों ने भी इसका प्रयोग शुरू में अकेला पन काटने के लिये किया मगर धीरे धीरे उनका आर्कषण दूसरो के प्रति बढ़ा और वह अपना अकेला पन दूसरो से बाँटते बाँटते दूसरे के साथ संबंध बना लेती है। राज खुलने पर तलाक या हत्या जैसी वारदार पर खत्म होता है।
आज के युग की यह विडम्बना हो गयी है कि पति-पत्नी दोनो एक दूसरे में राम सीता की छवि देखना तो पंसद करते है, मगर राम-सीता बनना नहीं चाहते है। खुद करें तो सही दूसरा करें तो गलत तो एक विवाद का कारण बनता है।
तलाक के बाद भी युवाओं की मुसकिल आसान नहीं होती। तलाक के बाद दूसरा विवाह करने के पश्चात भी स्त्री और पुरूष दोनो के दिमाग में ‘‘एक हाथ से ताली नहीं बजती ‘‘ की बात घूमते रहती है। शुरू में तो सब ठीक लगता है मगर फिर एक दूसरे पर शक शुरू हो जाता है। ‘‘शायद इसी लिये तलाक हुआ‘‘ जैसा जुमला आम होता है और फिर बात बात में डर की कही इस बार भी नहीं निभ पाया तो क्या होगा, हर तरफ अविश्वास ही अविश्वास, जिसका असर संतानो पर भी पडता है।
विवाह विच्छेदन में एक अहम पहलू परिवार भी साबित हेा रहा है पुरूष के परिवार के लोग अपने बेटे-भाई की गलतीयों को मानने को तैयार नहीं होते चाहे वह नशे की हालत में आकर पत्नी को प्रड़ाडित करना हो या पत्नी के इच्छाओं का गला घोटने की बात हो सभी मामलों में लडको के परिवार के लोग लडकेा का ही साथ देते है, जिससे शिकार औरत के मन में ससुराल पक्ष में प्रति नकारत्मक भाव आता चला जाता है और वह अपने पति के साथ साथ अपने ससुराल के लोगो के साथ भी रहना पंसद नहीं करती और पिता के घर चली है, और फिर काफी प्रयास करने पर भी वह जाने को तैयार नहीं होती।
वही दूसरा पहलू यह भी है कि बेटी के परिवार के लोग विवाह के बाद भी पुत्री के परिवार में हस्तक्षेप करने से बाज नहीं आते उनके घर की समस्या में बिना वजह टाॅंग अड़ातेे है और बात बात में लडकी को गलत सलाह दे डालते है। जिससे ससुराल पक्ष के लोग अपनी तौहीन समझते हुए लडकी को और प्रताडित करते है। बात को न समझते हुए पुत्री को अपने पास ले आते है और कानूनी कार्यवाही करने की धमकी देते है।
गाजीपुर जिले के एक गाँव में एक गुप्ता परिवार की एक लडकी ने अपना विवाह केवल इस लिये तोड दिया कि उसका पति उसको अपने माइके में रह कर स्नातक की परीक्षा देने से मना कर दिया और न मानने पर उस के उपर हाथ उठाया दोनो पति अपनी अब एक दूसरे से अगल रहते है लडकी जहा माइके में है वही उसका पति दिल्ली के नीजी संस्थान में कार्य करता है
वही गाजीपुर जिले के ही एक पंडित परिवार की एक लडकी ने अपना ससुराल छोड कर माइके में रह रही है कि दूसरे से प्रेम विवाह करने की चाहत केवल इस लिये रखती है कि उसके परिवार के लोगो को उसका आधुनिक जीवन पंसद नहीं है वह अपने मन पंसद परिधान नहीं पहन सकती ना तो वह अपनी भौतिक आकांक्षो को पूर्ण कर सकती है मगर उस लडकी ने यह सोचने की जहमत नहीं उठाई की उसके पिता ने किसी तहर उसका विवाह किया और उसके बाद उसकी तीन बहने और शादी योग्य है आखिर यह कहा की महत्वाकांक्षा जो अपने स्वार्थ के लिये अपनो की सुख की बलि चढा दे।
आखिर जो भी हो तलाक और विवाह विच्छेद हमारे समाज के लिये एक कंलक है, विवाह आपसी मेल का पर्याय है इसे सोच समझ कर निभाना ही होगा। जिससे एक तरफ तो परिवार टूटने से बचे और दूसरी तरह इस प्रकार के विच्छेद पर होने वाले अपराध को रोका जा सके।
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