अगर
गहमर,दिलदारनगर व रेवतीपुर थाना क्षेत्र के कपड़े और पारचून के दुकानदारो
ने कफन और क्रियाकर्म के सामानों का स्टाक जमा नहीं किया है, तो वह किसी
तरह बनारस ट्रेन से जाकर अपने दुकानो में प्रयाप्त स्टाक रख ले, क्योकि अब
इसकी जरूरत अधिक पड़ सकती है। बरसात के मौसम में कोई बिमार गहमर क्षेत्र से
गाजीपुर या बनारस पहुँच तो पायेगा नही, तो वह ऊपर ही जायेगा और सड़क
दुर्घटना में कुछ लोग अलग ऊपर जायेगें और दोनो आप सबकी बिक्री
बढ़ायेगें।जमानियाँ के पूर्व कबीनामंत्री ने तो 220 करोड़ का सब्जबाग क्षेत्र
की जनता को दिखा कर ताड़ीघाट-बारा रोड पर निर्माण कार्य ऐसा शुरू कराया कि 9
महीने में 35 किलोमीटर की सड़क समुद्र से नदी भी न बन सकी। भले आप ने उनको
उनकी करनी का फल दिया, वर्तमान से भूत बना कर, मगर चलेगे कहाँ? पैदल तो चल
नहीं सकते, साइकिल और कार के तो सपने देखना ''कलयुग में देव दर्शन के बराबर
है। गाजीपुर जनपद के तथाकथित स्वच्छ छवि , विकासपुरूष रेल और कौन-कौन
मंत्रि मनोज सिन्हा की तो माया ही निराली है। चुनाव जीतने के बाद ही 90 दिन
में इस रोड को नेशनल हाईवे करा रहे थे। बात सही निकली हाईवे हो गई, मगर
सुविधा की नहीं मौत की हाईवे। आज गहमर क्षेत्र के लोग यदि अचानक बिमार पड़
जाये तो गाजीपुर जिला मुख्यालय किधर से और कैसे पहुँचेगें? इसका जबाब गूगल
मैप भी देने में शर्मा जायेगा, उसकी तकनीकी जानकारी इस मार्ग के समुद्र
मेंं डूब कर मर जाये। मंत्री जी को इससे क्या, भूत की आये, मोदी लहर में
बाजी मारे.. विधान सभा चुनाव में पूरे जनपद का मटियामेट करते हुए तेजतर्राक
लोगो को बाहर करते हुए, अपना भविष्य सुरक्षित किया, और महिला शक्ति के नाम
पूरे जनपद के विधान सभाओ में ऐसे ऐसे लोगो को योगी मोदी लहर भाँप कर टिकट
दिलवाये, जिनसे विकास कार्य की कल्पना खुद में एक कल्पना का स्वपन है।
चुनाव बाद मुख्यमंत्री बनने का मुँगेरी लाल के तरह सपने देखे और जब इनके
सपने टूटे तो सबके तोड़े। गाजीपुर-बारा सड़क पर वर्तमान जमानियाँ विधायक की
चर्चा ही बेमानी है। चुनाव जीतने से पहले भले कागजो से शिकायत के अंबार
लगा दिये हो मगर हकीकत के धरातल पर सड़क के लिए कुछ करते तो नहीं देखा, करती
भी कैसे तत्कालिक विधायक से मौसी-मौसा का नाता जो निभाना था। अब जब जीत कर
खुद विधान सभा पहुँच गई तो पहले पुरानी समस्याओं कई स्थानीय प्रतिष्ठानो
पर धाक, चुनावी विरोधीयों को पटकनी, स्थानीय राजनीति से मौका मिलने के बाद
ही तो कुछ सोचा जायें। फिर चुनाव में करोडो के खर्च की भी तो भरपाई होनी
हैं..ऐसे में ताड़ीघाट -बारा मार्ग को मुद्दा बना कर क्या होगा। कितना अच्छा
तो है सड़क खराब है तो, लोग मरेगे, कफ़न बेचने वालो को फायदा, श्राद्ध के
समान बेचने वालो को फायदा, हलुआई को फायदा, सब्जी वाले को फायदा, राशन वाले
को फायदा, टेन्ट वाले को फायदा, भोज खाने वाले को फायदा, और विधायक और
सांसद महोदय को तो जब इतनों का फायदा होगा तो खुशी होगी ही, साथ ही
संवेदनाऐ जता कर आगामी चुनावो में उनके मत पाने का फायदा, राम मंदिर की
तरह लाजबाब चुनाबी मुद्दा, लाखो लोगो की भावनाओ से खेलने का फायदा। अब कौन
सासंद और विधायक होगा जो एक सड़क बनवा कर इतना फायदा छोड़ना चाहेगा।। हम भी
पागल ही हैं, जो उनका इतना फायदा नहीं समझते, दिन रात बस सड़क सड़क करते रहते
हैं।।
कफ़न को बेचने वालो, कफ़न से भर गोदामो को।
तुम्हारे साथ हैं नेता, कमा कर लाल हो जाओ।।
अखंड गहमरी, गहमर।।
तुम्हारे साथ हैं नेता, कमा कर लाल हो जाओ।।
अखंड गहमरी, गहमर।।
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