जनता उल्लू ही बनती रहेगी।
माननीय प्रधानमंत्री जी,
वर्ष 2009 में जब भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव हारा तो सबकी जुबान पर था कि काश मोदी जी को प्रधानमंत्री का दावेदार बना कर चुनाव लड़ा गया होता तो यह दिन नहीं देखना पड़ता। 2009 से लेकर 2014 तक देश की सम्पूर्ण हिन्दूजाति ने जातिगत आधार भूल कर आपका सर्मथन सोशलमिडिया से लेकर हकीकत की धरातल पर किया। सबके सामने एक ही बात थी कि आपके आने से हिन्दुओं का सिर गर्व से ऊँचा होगा। पाकिस्तान को उसकी भाषा में जबाब मिलेगा। काश्मीर की समस्या खत्म होगी, धारा 370 खत्म होगी। घोटाले बाज जेल में होगें। भारत विकास की ओर अग्रसर होगा, नवयुवको को रोजगार मिलेगा। बड़ी कम्पनीयॉं मनमानी नहीं कर पायेगी, डीजल-पेट्रोल के मुल्य पर लगाम लगेगी। यही सोच कर देश के बूढे़,बच्चे,महिला-पुरूष सब ने एक स्वर में मोदी मोदी का नारा लगाया और मोदी जी आपको गद्वी पर बैठाया, मगर मोदी जी आपने तो 65 साल से चली आ रही सरकार के नीतियों पर चलना शुरू कर दिया, नोटबंदी काननू का हश्र क्या हुआ? इससे किसको सबसे अधिक परेशानीयों का समाना करना पड़ा? आपसे छुपा नहीं है, बैंक अपनी मनमानी कर रहे है, खातो पर, निकासी पर टैक्स पर टैक्स लगाये जा रहे है, लेन देन पर टैक्स, पैसे की सीमा पर जुर्माना। गरीबो की झोपडी में छेद पर छेद कर रही आपकी सरकार में कॉंग्रेस सरकार के किसी घोटाले में कोई जॉंच सामने नहीं आई, आपके नाक के नीचे विश्वविद्यालय में गद्वार हुए मगर आप कुछ नहीं बोले, सरहद पार से लाशे आती रही आप चुप हैं। काश्मीरी पंडितो का क्या हुआ? आप भी जानते हैं। काश्मीर में हिन्दू और हिन्दूओं के तीर्थेा के साथ क्या व्यवहार हो रहा है ? यह आप भी जानते हैं, मगर आप कुछ करेगें कैसे? आपने ने तो जाकर महबूबा से हाथ मिला लिया। आपके शासन में हिन्दू जाति गत विवाद को दूर होना भी एक मज़ाक बन कर रह गया। आप से जो सपने थे वो सब टूटते गये। आपको को खुद मालूम है कि आप की सरकार केवल हिन्दुओं के दम पर बनी, लेकिन आपकी मुसलिम तुष्ट्रीकरण नीति ने सबको सकेते में डाल दिया।
इन सारी चीजो के बाद भी उत्तर प्रदेश के चुनाव में आपको पूर्ण बहूमत मिला, मगर अब भी आप अपने वादें पूरे करने को तैयार नहीं। आप समझने को तैयार नहीं कि मोदी पर आरक्षण नहीं आरक्षण पर मोदी भारी है, पाक मोदी पर नहीं मोदी पाक पर भारी है, मुसलमान मोदी पर नहीं मोदी मुसलमान पर भारी हैं।
कहना चाहेगें कि आपने आरक्षण नीति के तहत पहले जिस प्रकार तैयारी करने वाले ओबीसी, एससी, एसटी को छूट इत्यादि दिया, और उसके बाद दलित राष्ट्रपति का खेल खेला है इससे साफ लगता है कि आप को खुद पता चल गया है कि अब जनता आपके लक्षेदार बातों में आने वाली नहीं, आप भ्ाी अब आरक्षण और मुसलिम की राजनीति के सहारे दुबारा संसद में पहुँचना चाहते हैं।
सही भी है शासन का नशा होता ही ऐसा है उल्लू बनाओं राज करो।
मगर अब जनता के पास विकल्प भ्ाी क्या है, चोर-चोर मौसेरे भाई कि तरह आप जनता को उल्लू बनाओं आपके बाद वो जनता को उल्लू बनायेगें।
भारत की जनता के नसीब में जब उल्लू बनना लिखा ही है तो क्या फर्क पड़ता है कौन बना रहा है। तो बनाईये आप भी खूब खेलीये आरक्षण का खेल क्या फर्क पड़ता है, आप दलित राष्ट्रपति बनाये या पेट्रोल कम्पनीयों को सिर पर चढ़ाये। हम तो बस एक ही बात कहेगें आप जीते या वो, हम जैसे है वैसे ही रहेगें। उल्लू बनते ही रहेगें।
माननीय प्रधानमंत्री जी,
वर्ष 2009 में जब भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव हारा तो सबकी जुबान पर था कि काश मोदी जी को प्रधानमंत्री का दावेदार बना कर चुनाव लड़ा गया होता तो यह दिन नहीं देखना पड़ता। 2009 से लेकर 2014 तक देश की सम्पूर्ण हिन्दूजाति ने जातिगत आधार भूल कर आपका सर्मथन सोशलमिडिया से लेकर हकीकत की धरातल पर किया। सबके सामने एक ही बात थी कि आपके आने से हिन्दुओं का सिर गर्व से ऊँचा होगा। पाकिस्तान को उसकी भाषा में जबाब मिलेगा। काश्मीर की समस्या खत्म होगी, धारा 370 खत्म होगी। घोटाले बाज जेल में होगें। भारत विकास की ओर अग्रसर होगा, नवयुवको को रोजगार मिलेगा। बड़ी कम्पनीयॉं मनमानी नहीं कर पायेगी, डीजल-पेट्रोल के मुल्य पर लगाम लगेगी। यही सोच कर देश के बूढे़,बच्चे,महिला-पुरूष सब ने एक स्वर में मोदी मोदी का नारा लगाया और मोदी जी आपको गद्वी पर बैठाया, मगर मोदी जी आपने तो 65 साल से चली आ रही सरकार के नीतियों पर चलना शुरू कर दिया, नोटबंदी काननू का हश्र क्या हुआ? इससे किसको सबसे अधिक परेशानीयों का समाना करना पड़ा? आपसे छुपा नहीं है, बैंक अपनी मनमानी कर रहे है, खातो पर, निकासी पर टैक्स पर टैक्स लगाये जा रहे है, लेन देन पर टैक्स, पैसे की सीमा पर जुर्माना। गरीबो की झोपडी में छेद पर छेद कर रही आपकी सरकार में कॉंग्रेस सरकार के किसी घोटाले में कोई जॉंच सामने नहीं आई, आपके नाक के नीचे विश्वविद्यालय में गद्वार हुए मगर आप कुछ नहीं बोले, सरहद पार से लाशे आती रही आप चुप हैं। काश्मीरी पंडितो का क्या हुआ? आप भी जानते हैं। काश्मीर में हिन्दू और हिन्दूओं के तीर्थेा के साथ क्या व्यवहार हो रहा है ? यह आप भी जानते हैं, मगर आप कुछ करेगें कैसे? आपने ने तो जाकर महबूबा से हाथ मिला लिया। आपके शासन में हिन्दू जाति गत विवाद को दूर होना भी एक मज़ाक बन कर रह गया। आप से जो सपने थे वो सब टूटते गये। आपको को खुद मालूम है कि आप की सरकार केवल हिन्दुओं के दम पर बनी, लेकिन आपकी मुसलिम तुष्ट्रीकरण नीति ने सबको सकेते में डाल दिया।
इन सारी चीजो के बाद भी उत्तर प्रदेश के चुनाव में आपको पूर्ण बहूमत मिला, मगर अब भी आप अपने वादें पूरे करने को तैयार नहीं। आप समझने को तैयार नहीं कि मोदी पर आरक्षण नहीं आरक्षण पर मोदी भारी है, पाक मोदी पर नहीं मोदी पाक पर भारी है, मुसलमान मोदी पर नहीं मोदी मुसलमान पर भारी हैं।
कहना चाहेगें कि आपने आरक्षण नीति के तहत पहले जिस प्रकार तैयारी करने वाले ओबीसी, एससी, एसटी को छूट इत्यादि दिया, और उसके बाद दलित राष्ट्रपति का खेल खेला है इससे साफ लगता है कि आप को खुद पता चल गया है कि अब जनता आपके लक्षेदार बातों में आने वाली नहीं, आप भ्ाी अब आरक्षण और मुसलिम की राजनीति के सहारे दुबारा संसद में पहुँचना चाहते हैं।
सही भी है शासन का नशा होता ही ऐसा है उल्लू बनाओं राज करो।
मगर अब जनता के पास विकल्प भ्ाी क्या है, चोर-चोर मौसेरे भाई कि तरह आप जनता को उल्लू बनाओं आपके बाद वो जनता को उल्लू बनायेगें।
भारत की जनता के नसीब में जब उल्लू बनना लिखा ही है तो क्या फर्क पड़ता है कौन बना रहा है। तो बनाईये आप भी खूब खेलीये आरक्षण का खेल क्या फर्क पड़ता है, आप दलित राष्ट्रपति बनाये या पेट्रोल कम्पनीयों को सिर पर चढ़ाये। हम तो बस एक ही बात कहेगें आप जीते या वो, हम जैसे है वैसे ही रहेगें। उल्लू बनते ही रहेगें।
अखंड गहमरी
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