रविवार, 15 अक्टूबर 2017

ओल्‍ड होम

हजारो लोग के बेरोजगार होने की संभवाना से ही मेरा मन व्याकुल हो रहा था। ये सवाल उठ रहा था कि हर शहर में बनी आधुनिक सुविधाओं से लैस ऊँची ऊँची इमारतो का क्या होगा। क्या आने वाले समय मेंं नगरवासी भूत बंगले के नाम से पहचानेगें या फिर वर्तमान नाम से। मेरी चिन्ता नाजायज नहीं थी, सोसशमीडिया पर आज मैने जो मातृ प्रेम देखा, कुछ दिन पूर्व जो साहित्कारों, नेताओ, युवक-युवकतियों सहित सभी में जो पितृ प्रेम देखा, मुझे लगा कि अब शहर में और शहर क्या विश्व में इनकी कोई जरूरत नहीं है।
घूमते टहलते मैं शहर के एक बड़े हवेली नुमा मकान के पास पहुँच गया, हवेली में बिखरे,फूल, गुलदस्ते, मिठाईयो के साथ- साथ, रंग बिरंगे परिधानो में सथे उस हवेली में महँगी- महँगी गाड़ीयो में आये नये मेहमानो को उस हवेली में रहने वाली दुबली पतली काया जिनके आँखो में वीरानियाँ थी, दर्द थे .शेल्फी लेते, मिठाईयाँ खिलाते देख मन प्रसन्न हो गया। लगा जैसे कुछ ही देर में यह जगह वीरान होने वाली है, ये सोचते सोचते मैं भागवत की दुकान पर पान खाने बढ़ गया। पान की दुकान पर भी वही चर्चा कोई कह रहा कि अब समाज में बढ़ते प्रेम से हालात सुधरेंगे, तो कोई दिखावा मात्र बता रहा था, जितनी मुहँ उतनी बाते। जब कभी मेरी सोच का समर्थन होता मेरा सीना 56 इंच का हो जाता और जब गलत काटी जाती तो मेरी शक्‍ल बिल्‍कुल उल्‍लू के जैसी हो जाती थी। बातो के दौर में वही हुआ जो बहस के दौरान होता है, निकला था घर से 5 मिनट की इजाजत लेकर हो गये पूरे एक घंटे, अब तो गृहलक्ष्‍मी द्वारा चरण पादुका के प्रयोग का भी खतरा सिर पर मढ़राने लगा था।
मैं धीरे धीरे कदमो से वापस उस हवेली के सामने पहुँचा मुझे आशा ही कि अब वह जगह सुनसान हो चुकी होगी, बड़े से गेट में बड़े से ताले लग गये होगें, मैं दुखी था, मगर उस हवेली के सामने पहुँचते मेरी खुशी का ठिकाना ना रहा, हवेली खुली हुई थी, गाड़ीयों की भीड़ जरूर खत्‍म हो गई थी, रंग-बिरंगे परिधानो वाले, शेल्‍फी लेने वाले अब वहॉं ऩजर नहीं आ रहे थे। नज़र आ रहे थे तो बस वो जो वहॉं हमेशा रहते थे, जो एक सेल्‍फी लेने के लिए दिन भर गंदे किये गये उस हवेली को साफ करने में लगे थे।
तभी मेरे कानो में गली से आती हुई एकतेज आवाज गूँजी, वो आवाज सामने एक नये हवेली के शुभारंभ के खुशी में बजाये जा रहे बाजे का शोर था, जिसे सुन कर मेेरे खुशी का ठिकाना ना रहा ,मुझे लगा कि वास्‍तव में आज मानवता जिन्‍दा है, बेरोजगारी खत्‍म होगी, मेरी सोच सही साबित हुई अब भी हवेलीयॉ सूनी नहीं रहेगी, बेरोजगारी बढेगी नहीं , क्‍योकि नये हवेली में बजने वाले बाजे से चीख चीख कह कहा जा रहा था '' आपके माता पिता को घर जैसा माहौल और सेवा देने का वादा करता हूँ अत्‍याधुनिक ''शेल्‍फी ओल्‍ड होम''। आज के समाज की जरूरत'' सेल्‍फी होल्‍ड होम'' आपके सपनो को पूरा करने का अवसर प्रदान करता''शेल्‍फी ओल्‍ड होम।।

अखंड गहमरी गहमर गाजीपुर

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