मैं
अकसर देखता हूँ कुछ लोग मुनैवर राणा के साथ फोटो सूट कर, ख्याति प्राप्त,
शानदार और न जाने किस किस अलंकारो से सुशोभित करके पोस्ट डाल देते।
मैं जहाँ तक समझता हूँ महान महापुरुष अकलाख जी गायकटवा को संसार से विदा किये जाने के बाद, इस महान ख्यातिप्राप्त, शायर ने जिस थाली में खाना उस थाली में छेद करने की परंम्परा का निर्वाह करते हुए अहिष्णुता और सहिष्णुता म़े अपने कौम को दिखाने के चक्कर में सम्मान वापसी कर दिया। रोज आधुनिक भारत में कारो में धूमने वाले एक जानवर की तरह कुछ न कुछ बोले। मेरी समझ से ऐसे लोग ख्याति प्राप्त हो चाहें जो हो ,कहलायेगें तो गद्धार या नमक हराम ही?
क्योकि जब भारत से लिया तो अच्छा, अब खराब,
वाह रे नमकहरामी , जय हो जय हो
मैं जहाँ तक समझता हूँ महान महापुरुष अकलाख जी गायकटवा को संसार से विदा किये जाने के बाद, इस महान ख्यातिप्राप्त, शायर ने जिस थाली में खाना उस थाली में छेद करने की परंम्परा का निर्वाह करते हुए अहिष्णुता और सहिष्णुता म़े अपने कौम को दिखाने के चक्कर में सम्मान वापसी कर दिया। रोज आधुनिक भारत में कारो में धूमने वाले एक जानवर की तरह कुछ न कुछ बोले। मेरी समझ से ऐसे लोग ख्याति प्राप्त हो चाहें जो हो ,कहलायेगें तो गद्धार या नमक हराम ही?
क्योकि जब भारत से लिया तो अच्छा, अब खराब,
वाह रे नमकहरामी , जय हो जय हो
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें