बड़े ही शान से प्रधानमंत्री जी समेत सभी भाजपा नेताओं ने विजय दशमी की
बधाईयाँ दी। तमात भाजपा के नेताओं ने जगह - जगह रावण दहन किया , राम का
गुणगान किया। मैं पूछना चाहता हूँ भारतीय जनता पार्टी के नेताओं से कि
उन्हें लज्जा आई की नहीं?
यह सवाल मैं सीधे भारतीय जनता पार्टी से इस लिए सवाल कर रहा हूँ कि काग्रेस ने ताला लगाया, मुलायम ने गोली चलवाई और बसपा की तो बात ही बेमानी है, मगर आपने तो इनसे ही अपनी पहचान बनाई, लखनऊ से दिल्ली तक सत्तासुख भोगा।
बिल्कुल सही समझे मैं सीधी बात कर रहूँ,रामलला की जो आज आप की दोगली नीत के वजह से टेन्ट में हैं और आप उनकी कृपा से आलीशान महलो में। आप की स्वार्थीपन से वह खुले आसमान के नीचे मौसम की मार में और आप बन्द और वातानुकूलित कमरो में।
क्या आज राम बन कर रावण का दहन करने वालो के आँखो में जरा सा आँसू नहीं आये? आज बड़ी बडी बाते करके राम का गुणगान कर ताली बजवाने वालो को जरा सी लज्जा नहीं आई कि जिसके नाम के प्रभाव से जमीन से आसामन में चले गये, उनको उनका उचित स्थान देने कि वादा अभी तक पूरा नहीं किया।
आयेगीं भी कैसे अगर मानव आज स्वार्थी न होता तो तो वह भगवान के समकक्ष कहलाता।
मेरी यही भगवान राम से प्रार्थना कि अब वह भूल जाये कि धरती के मानवो के समूह ने कभी कहा , कभी आप से वादा किया था कि
''रामलला हम आयेगें, मंदिर वहीं बनायेगें।
वो तीन बार आ चुके, न जाने आने का अर्थ क्या होता? कितनी बार आने पर उनके आने की बात पूरी होगी? शायद कभी नहीं क्योकि अब आप से ज्यादे उनको अरब के लुटेरे प्रिय हो गये।
बस रामलला आप टेंन्ट में बैठ कर उनके इसी तरह सत्ता में आने की गिनती गिनीये। शायद कभी तो.....।
यह सवाल मैं सीधे भारतीय जनता पार्टी से इस लिए सवाल कर रहा हूँ कि काग्रेस ने ताला लगाया, मुलायम ने गोली चलवाई और बसपा की तो बात ही बेमानी है, मगर आपने तो इनसे ही अपनी पहचान बनाई, लखनऊ से दिल्ली तक सत्तासुख भोगा।
बिल्कुल सही समझे मैं सीधी बात कर रहूँ,रामलला की जो आज आप की दोगली नीत के वजह से टेन्ट में हैं और आप उनकी कृपा से आलीशान महलो में। आप की स्वार्थीपन से वह खुले आसमान के नीचे मौसम की मार में और आप बन्द और वातानुकूलित कमरो में।
क्या आज राम बन कर रावण का दहन करने वालो के आँखो में जरा सा आँसू नहीं आये? आज बड़ी बडी बाते करके राम का गुणगान कर ताली बजवाने वालो को जरा सी लज्जा नहीं आई कि जिसके नाम के प्रभाव से जमीन से आसामन में चले गये, उनको उनका उचित स्थान देने कि वादा अभी तक पूरा नहीं किया।
आयेगीं भी कैसे अगर मानव आज स्वार्थी न होता तो तो वह भगवान के समकक्ष कहलाता।
मेरी यही भगवान राम से प्रार्थना कि अब वह भूल जाये कि धरती के मानवो के समूह ने कभी कहा , कभी आप से वादा किया था कि
''रामलला हम आयेगें, मंदिर वहीं बनायेगें।
वो तीन बार आ चुके, न जाने आने का अर्थ क्या होता? कितनी बार आने पर उनके आने की बात पूरी होगी? शायद कभी नहीं क्योकि अब आप से ज्यादे उनको अरब के लुटेरे प्रिय हो गये।
बस रामलला आप टेंन्ट में बैठ कर उनके इसी तरह सत्ता में आने की गिनती गिनीये। शायद कभी तो.....।
जय हिन्दी, हिन्दु हिन्दुस्तान
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