रविवार, 15 अक्टूबर 2017

आभार

अखिल भारतीय साहित्यकार सम्मेलन 2017 गहमर में आये आप सभी अतिथियों को प्रणाम। आशा है कि आप सभी अपने अपने निवास स्थान पर पहुँच चुके होगें। अपनी उच्च स्तर की सुविधा छोड़ गहमर की भीषण गर्मी में आप सब ने न सिर्फ पसीना बहाया बल्कि अपने रहन सहन के स्तर से नीचे जाकर 3 दिन निवास किया, ये आप सब की महानता और प्रेम था। आप के सहयोग से ये तीन दिन कैसे बीत गये पता ही नहीं चला। कार्यक्रम के दौरान आप सब की सुविधाओं का प्रर्याप्त ख्याल रखने का प्रयास किया गया, परन्तु निश्चित रूप से वहाँ कमीयाँ हुई, जिसके लिए हम सब क्षमाप्रार्थी हैं। यह केवल एक सम्मेलन नहीं होता बल्कि यह एक यज्ञ होता है जिसमें मैं अपने कर्तव्यों और परिश्रम की आहुति देकर आप सब का आशीर्वाद प्राप्त करने की कोशिश करता हूँ। उपरोक्त कार्यक्रम ट्रनो के परिचालन और कुछ मेरी नादानियों के कारण काफी विलम्ब से शुरू हुआ.जिसके कारण कई प्रायोजित कार्यक्रम नहीं हो पाये। विमोचन के कार्यक्रम में श्री उमेश कुमार श्रीवास्तव एवं अशोक कुमार गुप्त जी को अपनी किताब के बारे में बोलने का मौका नहीं मिल पाया।श्री प्यासा अंजुम जी कि किताब का विमोचन नहीं हो पाया। प्रो.विश्वम्मर शुक्ल जी को द्वितीय दिन कवि सम्मेलन के बाद दिये जाने वाला साहित्य सरोज सम्मान नहीं दे पाया, इसके लिऐ मैं आप से क्षमायाचक हूँ।
मैं क्षमा याचक हूँ संजीव सलिल वर्मा जी से जिनके छंद लेखन पर आधारित कार्यशाला नहीं हो पाई।
मैं क्षमायाचक हूँ आदरणीया ई.आशा जी , आ. रविता पाठक जी से जो मेरे अकुशल नेतृत्व क्षमता एवं विभिन्न कारणों से अपनी प्रस्तुतियां नहीं दे पाई। मैं क्षमायाचक हूँ कमलापति गौतम और उनके परिवार से जो मेरे सौपी गई एक जिम्मेदारी को निभाने में काफी परेशान हुए।
कई अव्यवस्थाओ के बीच मेरे लिए सुखद ये रहा कि आप सब ने मुझको ऐसे ऐसे ज्ञान दिये जिसको अपना कर न सिर्फ कार्यक्रम को सुखद बना सकूँगा, बल्कि जीवन में उतार आगे बढ़ सकूँगा। मैं आप सब के साथ उदय प्रताप पब्लिक स्कूल पब्लिक स्कूल की बच्चीयों का आभारी हूँ जो कठिनाइयों को झेलते हुए भी गहमर पहुँचीं और अपना बेमिशाल कार्यक्रम प्रस्तुत किया। मैं वर्णाली बर्नजी और बुन्देलखण्ड से आई महिला का विशेष आभारी हूँ जिसने लोकगायन प्रस्तुत कर स्थानीय बच्चों में उत्साह पैदा कर उनको मंच पर आने की प्रेरणा दी।
मैं आभारी हूँ अपने गुरू श्री योगराज प्रभाकर जी का, गिरीश पंकज जी का, ब्रजेश सिंह ब्रजेश जी का, वीर सिंह मार्तण्य जी का, श्रवण कुमार उर्मलिया जी का,गंगा राम शर्मा जी का, राधेश्याम बंधु जी का जिन्होंने समय समय पर मार्ग दर्शन दिया। मैं आप सब आये हुए, अतिथि नीलम श्रीवास्तव जी, समीर परिमल जी, सरोज तिवारी जी, डा.चेतना उपाध्यक्ष जी , बीना श्रीवास्तव जी, सुलक्षणा अहलावत जी, रीता जय हिन्द जी, डा.रश्मी जी, डा.मुक्ता जी, श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय जी, बसंत कुमार शर्मा जी, विनोद पान्डें जी, कपिल कुमार जी, रमेश कुमार सिंह जी, पूनम आन्नद जी, श्रीधर द्विवेदी जी, शान्ति कुमार स्याल जी, देवशरण शर्मा जी,विनय राय बबुरंग जी,ऋचा आर्या जी,कान्ता राँय जी, सुधीर सिंह , श्रीमन्नारायण चारी विराट जी,भवर जी, सन्नी कुमार जी, भोला जी सहित उन सबका आभारी हूँ जो इस कार्यक्रम में उपस्थित हुए और उनका नाम मैं नहीं लिख सका।
मैं आभारी हूँ गहमर के हिन्दुस्तान समाचार पत्र, दैनिक जागरण, राष्ट्रीय सहारा के स्थानीय पत्रकारों का जिन्होनें तैयारी से लेकर समाप्ति तक शानदार कवरेज किया। मैं माँ श्रीमती कान्ति शुक्ला और सुभाषचंदर सर को चरण स्पर्श करता हूँ जिन्होनें हर समय मेरा मार्ग दर्शन किया।
अन्त में आप सबको हुई परेशानीयों के लिए क्षमा याचना करते हुए ये निवेदन करता हूँ कि आप एक स्मरण जरूर लिखें, जिसमें कमियाँ, कष्ट, सुझाव जरूर लिखें।

आप सबको नमन करते हुए अखंड गहमरी।

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