अगर वे वक्त दुनिया से चला ये गहमरी जाये।
कमस है प्यार की तुमको, बहाना अश्क मत अपने।
गरीबो को कहाँ हक है किसी का प्यार पाने का। उन्हें तो प्यार तब मिलता, ज़हाँ को जब दिखाना हो।।
वफा करना नहीं मुझसे, न मुझसे प्यार ही करना । न मेरी चाहतो पे ही, सनम तुम तो कभी मरना ।। मुझे तन्हा अकेला छोड़ दो मर जाने दो मुझको-- नहीं अब जिन्दगी से है, मुझे अपने लिए लड़ना।।



किसी की याद ऐसे क्यों सताती है।
हंसी देती नहीं केवल रूलाती है।।
अगर है प्यार करना जुर्म तो बोलो --
किताबे प्यार करना क्यों सिखाती हैं।
अखंड गहमरी।।।
बुरा जिसको समझ कर सब, दिये वर्षो तलक गाली। कहा सबने किया उसने वतन की रात सब काली। मगर वर्षो दबा जब राज, खुल सब सामने आया- किया था काम वो अच्छा, बजाते कह सभी ताली।। अखंड गहमरी
तुम्हारी याद आती है, चुनावों में यही क्या कम। बनायें आप का मंदिर, नहीं है राम मुझमें दम।। मुझे भगवा बड़ा प्यारा, कहा था आप से मैने- मगर सत्ता कि खातिर आप, को छोड़ा न इसका गम।। अखंड गहमरी
कभी तो जिन्दगी अपना, समझ कर ये खुशी देगी । बुला कर मौत को मेरी, विदा मुझको करेगी वो ।।
किसी इक खास को वो तो, बताता बात था दिल की। मगर कैसे पता चलती, शहर में बात उसकी सब।। सभी रिश्तो से न्यारा इक, बना इक आम से रिश्ता। मगर वो खास बन बैठी हुआ कैसे न जाने कब।। छुपा कर दिल में वो रखती, कभी सपने नहीं कहती।। खुशी का दिन तलाशू मैं, सभी सपने बताये जब ।। मुझे तो शौक है काटो भरी हर राह चलने का। मिलेगी ही मुझे मंजिल, वो कब तक दूर जायेगी। अखंड गहमरी--- गजल के चंद शेर।
समझना है नहीं आसान उनकी मुस्कुराहट को जला भी मुस्कुराये वो, मिटा भी मुस्कुराते हैं। अखंड गहमरी गहमर गाजीपुर
बड़ी मुश्किल से मिलते, खुशी के चार पल मुझको।। उन्हें भी छीन लेती हो, बताओ क्या ख़ता मेरी।। अखंड गहमरी, गहमर, गाजीपुर
कदम अपने बढ़ा कर वो, नहीं क्यों साथ देते हैं। यही तकदीर क्या मेरी, समझ वो चाह चुप रहते।
करू मैं प्यार की बातें, कहूँ उनसे लिपट मुझसे। मगर क्यों बात दिल की वो, छुपा दिल में न कुछ कहते।।
बताना तो उसे चाहा, हमेशा हाल दिल का मैं। गवाही दिल न दे मेरा, डरें वो रूठ मत जाये।
कफन में मैं लिपट कर पास से तेरे अगर गुजरूँ।। बता कीमत चुकाऊ क्या, वहॉं से दूर जाने की
मुझे आशिक दिया है नाम जिसने ये जरा सुन ले । न है दिल जिस्म में मेरे, न किस्मत प्यार पाने की ।।
पलें जो भीख पर मेरे, वही गाली सुनाते हैं बना जो प्यार का मंदिर वहॉं दुश्मन बुलाते हैं तवायफ जिस्म बेचे तो, कहे उसको बुरा लेकिन वतन जो बेचता उसको,गले हम सब लगाते हैं। अखंड गहमरी, गहमर, गाजीपुर।। 945164784
दवा की चाह में जिसके गया था पास मैं वो भी। बता कर दिल जला मुझको, नया इक जख़्म दे बैठे।।
गरीबो को कहाँ हक है किसी का प्यार पाने का। उन्हें तो प्यार तब मिलता, ज़हाँ को जब दिखाना हो।।
वफा करना नहीं मुझसे, न मुझसे प्यार ही करना । न मेरी चाहतो पे ही, सनम तुम तो कभी मरना ।। मुझे तन्हा अकेला छोड़ दो मर जाने दो मुझको-- नहीं अब जिन्दगी से है, मुझे अपने लिए लड़ना।।
बुरा जिसको समझ कर सब, दिये वर्षो तलक गाली। कहा सबने किया उसने वतन की रात सब काली। मगर वर्षो दबा जब राज, खुल सब सामने आया- किया था काम वो अच्छा, बजाते कह सभी ताली।। अखंड गहमरी
तुम्हारी याद आती है, चुनावों में यही क्या कम। बनायें आप का मंदिर, नहीं है राम मुझमें दम।। मुझे भगवा बड़ा प्यारा, कहा था आप से मैने- मगर सत्ता कि खातिर आप, को छोड़ा न इसका गम।। अखंड गहमरी
कभी तो जिन्दगी अपना, समझ कर ये खुशी देगी । बुला कर मौत को मेरी, विदा मुझको करेगी वो ।।
किसी इक खास को वो तो, बताता बात था दिल की। मगर कैसे पता चलती, शहर में बात उसकी सब।। सभी रिश्तो से न्यारा इक, बना इक आम से रिश्ता। मगर वो खास बन बैठी हुआ कैसे न जाने कब।। छुपा कर दिल में वो रखती, कभी सपने नहीं कहती।। खुशी का दिन तलाशू मैं, सभी सपने बताये जब ।। मुझे तो शौक है काटो भरी हर राह चलने का। मिलेगी ही मुझे मंजिल, वो कब तक दूर जायेगी। अखंड गहमरी--- गजल के चंद शेर।
समझना है नहीं आसान उनकी मुस्कुराहट को जला भी मुस्कुराये वो, मिटा भी मुस्कुराते हैं। अखंड गहमरी गहमर गाजीपुर
बड़ी मुश्किल से मिलते, खुशी के चार पल मुझको।। उन्हें भी छीन लेती हो, बताओ क्या ख़ता मेरी।। अखंड गहमरी, गहमर, गाजीपुर
कदम अपने बढ़ा कर वो, नहीं क्यों साथ देते हैं। यही तकदीर क्या मेरी, समझ वो चाह चुप रहते।
करू मैं प्यार की बातें, कहूँ उनसे लिपट मुझसे। मगर क्यों बात दिल की वो, छुपा दिल में न कुछ कहते।।
बताना तो उसे चाहा, हमेशा हाल दिल का मैं। गवाही दिल न दे मेरा, डरें वो रूठ मत जाये।
कफन में मैं लिपट कर पास से तेरे अगर गुजरूँ।। बता कीमत चुकाऊ क्या, वहॉं से दूर जाने की
मुझे आशिक दिया है नाम जिसने ये जरा सुन ले । न है दिल जिस्म में मेरे, न किस्मत प्यार पाने की ।।
पलें जो भीख पर मेरे, वही गाली सुनाते हैं बना जो प्यार का मंदिर वहॉं दुश्मन बुलाते हैं तवायफ जिस्म बेचे तो, कहे उसको बुरा लेकिन वतन जो बेचता उसको,गले हम सब लगाते हैं। अखंड गहमरी, गहमर, गाजीपुर।। 945164784
दवा की चाह में जिसके गया था पास मैं वो भी। बता कर दिल जला मुझको, नया इक जख़्म दे बैठे।।
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