रविवार, 15 अक्टूबर 2017

गहमर पर गीत

गहमर के कुछ इतिहास को एक गीत के माध्‍यम से बताने की कोशिश।

कहानी आज गहमर की सुनो सबको सुनाते हैं!
बना तस्‍वीर इक प्‍यारी सभी को हम दिखाते है!

बकस बाबा का है मंदिर, लिये बस नाम जो आता!
न मरता साँप का काटा, खुशी मन से वो घर जाता!
बचाने में गऊ माँ को, गई थी जान ही जिनकी!
न उस बरसाल को भूलें, करें पूजा सभी उसकी
हमारे गाँव में गंगा, लगे मेला यहाँ हरदम!
बने हैं घाट सब पक्के, न शहरो से दिखे कुछ कम!
निराली है छटा छठ की, सभी दीपक जलाते हैं!
कहानी आज गहमर की.......

बसा पन्‍द्रह सौ पैतिस में, जगह ये नाम था गहमर!
बसाया था इसे जिसने, हुए वो धाम देव अमर !
बना कर वो यहॉं मंदिर, बसाये मॉं का'माख्‍या को!
करे विश्‍वास माँ में जो, कभी उसको न दुख इक हो।।;
तभी से रोज पूजा हो, कभी खंडित नही होती!
निराली मॉं की' महिमा है, निराली उसकी' है ज्‍योती!
लगे नवरात में मेला, हजारो भक्‍त आते हैं!
कहानी आज गहमर की......

यहॉं अंग्रेज की कोठी, जिसे मैगर जलाये थे!
नदी में जान अपनी कूद,तब गोरे बचाये थे!
बचाने मान भारत की,लुटा ने जान सरदह पे।
खडे़ है आज सीमा पे,हजारो वीर गहमर के।।
बयालिस में लिया लोहा,यहॉं के वीर गोरो से
किये थे तीस दिन शासन, बनाये अपने' नियमो पे!
हिफाजत देश की कैसे,करे सबको सिखाते हैं!
कहानी आज गहमर की.......

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