मंगलवार, 3 अगस्त 2021

ओवरलोड बालू

 बिहार से ओवरलोड बालू व अन्य सामान लेकर ताड़ीघाट-बारा मार्ग से सैकड़ो ट्रक गहमर कोतवाली समेत अन्य पुलिस स्टेशनों के सहयोग से फिर गुजरने लगे हैं। चंद पैसो के लिए गहमर कोतवाली बड़े आराम से इन ओवरलोड वाहनों को गुजरने दे रही है। उसे खराब होती सड़क की दशा और घंटो-घंटो तक पूरे मार्ग पर लग रहे जाम दिखाई नहीं दे रहे हैं। मजेदार बात तो यह कि शासन भी चुप, प्रशासन भी चुप, विधायक जी भी चुप, पत्रकार खामोश। जनता बेचारी तो बेबस और लाचार। गहमर कोतवाल ने और शासन-प्रशासन में आये लोगों की आँखों ने निश्चित तौर पर गंगापार के सुहवल, रेवतीपुर, नवली, भदौरा, गहमर, बारा, कुतुबपुर, मगरखाई, शायर, लहना, बरेजी, खुदरा, करहियाँ, माँ कामाख्या धाम की जनता की सात सालो की बेबसी नहीं देखी। कैसे इन क्षेत्र के निवासियों का पूरा जीवन ही बर्बाद हो गया। व्यवसाय उजड़ गये। अस्पताल न पहुँच पाने के कारण कितनी जाने चली गई, कितने बच्चों ने पढ़ाई छोड़ दिया , कितने वकीलों की वकालत चली गई, कितने व्यवासीयों की रोजी-रोटी चली गई, मोटर व्यवसाय कैसे चौपट हो गया। ताड़ीघाट-बारा मार्ग और गंगा नदी पर गाजीपुर में बने पुल की खराब हालत ने कैसे गंगापार के लोगों को तिल-तिल मरने पर मजबूर कर दिया, यह तो पुलिस प्रशासन सपने में भी देख नहीं पायेगा।
वर्ष 2012 से लेकर वर्ष 2018 तक ताड़ीघाट बारा मार्ग पर वाहन तो दूर पैदल चलना भी असंभव था, मगर जनता एक बेबस और लाचार प्राणी है। मौत को हथेली पर लेकर चलना उसकी नियति बन चुकी है। इस लिए वह चलती रही मरती रही। वर्ष 2018 में सड़क तैयार हुई तो गाजीपुर में बना पुल ओवरलोड वाहनो की भेट चढ़ गया। कभी एक महीने दो कभी तीन महीने तो कभी 6 महीनें बंद रहा। किसी तरह महीनों बंद रहने के बाद के बाद विगत 5 अक्टूबर से पुल चालू हुआ, मगर ओवरलोड वाहनो की स़ख्या देखते हुए यह कहना मुश्किल है कि गंगापार के लोग कब तक जिला मुख्यालय से जुड़े रहेगें। नव-निर्मित ताड़ीघाट -बारा मार्ग भी रेवतीपुर, उतरौली, भदौरा व गहमर के पास महज एक साल में दरकनी शुरू हो गई है। हर गाँल हर बस्ती के आगे, गंगा सेतु पर भय़कर जाम लगना शुरू हो गया है। लोग घंटो घंटो जाम में फँस रहे हैं। मर रहे हैं।  पर इन सब से गहमर कोतवाली के साथ-साथ इस मार्ग के अन्य थानो और चौकीयों से क्या लेना देना। वर्दी में 5 जेब है साहब भरेगी कैसे? इस ओवरलोड वाहनों पर अंकुश कैसे लगेगा यह समझ से परे है।
मैं अब उनसे ही एक बार फिर आगे आने का निवेदन करूँगा जो इस मार्ग को बनबाने के लिए अपना सब कुछ छोड़ कर सड़क पर आये। मैं गंगापार के हर उस निवासी से निवेदन करूँगा जो इस सड़क के कारण अपनो को खोया है अपने रोजगार को खोया है। मैं गंगापार के हर आम खद्दरधारी से निवेदन करूँगा कि वह अपने दल की राजनीति छोड़ कर इस सड़क को और गंगापुल को बचाने के लिए आगे आये, क्योंकि उसने भी देखा है कि आप के दल-दल के दलदल में कैसी फँस कर यह सड़क आपको भी रोने पर मजबूर कर दी।
एक बात आप पूरी तरह से याद रखें कि यह ओवरलोड वाहध का खेल सांसद, विधायक और अन्य नेताओं को दिखाई नहीं देगा। अगर दिखाई देता तो कम से कम गहमर कोतवाली से ओवरलोड ट्रक तो पास किसी कीमत पर नहीं होते क्योंकि गहमर मुख्यमार्ग से महज 200 मीटर जमानियाँ विधायक का घर है, गहमर होकर तो ओवरलोड वाहन नहीं ही गुजरते। उनके कारण हमेशा जाम नहीं लगता। सत्ता में बैठे लोगो को आम जनता से अधिक ओवरलोड वाहनो के स्वामीयों की चिंता है, वह इनके आम जनता से अधिक करीबी हैं और हों भी क्यों नही? शासन-सत्ता में बैठे लोगों के चुनाव और अन्य खर्चे तो इन्हीं जैसे धनपशुओं से आता है, आप तो केवल वोट देते हैं, आप का क्या मुल्य?  गाजीपुर के पुलिस अधिक्षक द्वारा एक ही दिन एक ही समय में ओवरलोड के खेल में 6 पुलिसकर्मियों को लाइनहाजिर करने के बाद भी एक मिनट ओवरलोड वाहनो का न रूकना इस बात को प्रमाणित कर रहा है कि ओवरलोड वाहनों के स्वामी कितने पहुँचे हुए है।

यदि आप समय रहते चुप रहे, यदि आपने शासन प्रशासन, नेता-प्रेता को अपने मुल्य का एहसास नहीं कराया तो वह दिन दूर नहीं  जब पुलिस और प्रशासन अपनी जेंबे भरने के लिए आपकी इस सड़क को खा जायेगें और फिर आप बेबस और लाचार हो कर अपनी जिंदगी के गाड़ी के चक्के को फँसा बैठेगें और पुलिस भर्ती रहेगी और अपने आका की जेब को। मगर जब आप सड़क पर आ जायेगें तो शासन-प्रशासन, स़ांसद-विधायक, दबंग ओवरलोड वाहन स्वामी, पुलिस-पत्रकार सबकी बैंड बजा देगें और सड़क को दिला देगे़ ओवरलोड वाहनों व जाम से मुक्ति, बचा लेगेगें अपनी Life Line ताड़ीघाट बारा मार्ग को।अपनी जिंदगी को।
फैसला आप का .....।

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