बुधवार, 4 अगस्त 2021

पहली बार जब मैं घर से

 पहली बार जब मैं घर से सूट बूट में निकला या यूँ कहें कि जब पहली बार मैं सूट बूट पहना तो सभी मेरी बलाएं ले रहे थे, खुशी से नाँच गया रहे थे, सारे खुश थे। आज मैं वर्षो बाद एक बार फिर सूट-बूट में क्रीम, पाउडर सेंट मार कर घर से निकल रहा हूँ तो लोग हाय-हाय कर रहे हैं, जल रहे हैं मेरी सुन्दरता से, मेरे कद से मेरी प्रतिष्ठा से। जलें जलें जल कर राख हो जायेगें और कोई माननीय अटल बिहारी वाजपेई जी नहीं हैं वो जो जलने के बाद भी देशाटन का सपना पूरा हो जायेगा। भाजपाई लोटे में भर कर गली-गली घुमा देगें। इस लिए मत जलें और बंद आँखो से मुझे मेरी पूर्व प्रेमिका गजगमिनियाँ  के बाँहो में बाँह डाले, मेरी वाइफ होम की तरह शांति से घघरनियाँपुर रेलवे स्टेशन पर सफाई पखवाड़े का शुभारंभ करने जाते हुए देखें जिसका निमंत्रण मेरे बाबू जी के बाबू जी के समधियाने में समधी के लड़के के दोस्त के चाचा का भांजां घघरनियाँपुर रेलवे स्टेशन पर स्टेशन मास्टर हो कर आये साधू बाबा ने मुझें बहुत बहुत बहुत बड़ा साहित्यकार समझते हुए भेजा है। इसी लिए कल से मेरा कालर टाइट है।  हम तो तय समय से पहले ही स्टेशन पहुँच जाते मगर कीड़े-पड़े सफाईकर्मियों को जो सुबह होने से पहले झाडू लगाने आते ही नहीं, पूरा स्टेशन दुर्गंध युक्त रहता है। चुप चाप इतंजार कर रहे थे,  ये ससुरी घड़ी भी आज दस बजाने में घंटो ले रही थी। मेरा और मेरी गजगमिनियाँ के मेकप की सफाई भाष्कर की तेज किरणें अभी से करने लगी थी।  अचानक मेरा चेहरा खिल उठा, सैकड़ो का काफिला आता दिखा। मेरा भी सीना चौड़ा हो गया लेकिन 56 इंच का नहीं, क्योकि मोदी जी 56 इंच शब्द का जो हाल किया, यह शब्द ही धरने पर बैठ गया। मैं सीना ताने गजगमिनियाँ की हाथ हाथ में लिए खुली जीप में बैठ गया। क्या जलवा था?  जगह जगह स्वागत। मैं भी चेहरे पर गंम्भीरता का लबादा ओढ़े स्टेशन कैंपस में दाखिल हुआ। बेजोड़ स्वागत हुआ।  एसी से आती ठंडी हवा और शिवगति साह के रसोगुल्ले की मौजूदगी में दिव्य नास्ता हुआ, अभी मेरी गजगमिनियाँ ने मात्र 10-12 ही गले के नीचे उतारे थे कि मजधरूआ पोर्टर आकर बतलाया कि सारी तैयारी हो गई।
मैं तो खुशी से पगलाय गया, मगर ऊ कहते हैं न कि मन के भाव को मन में रहने देना चाहिए, वही किया, बेखर अंजान सा सुनता रहता रहा, तभी प्रिंस बाबू आये और बड़ी सालीनता से हमें लौह पथ गामिनी विश्राम स्थल संख्या एक पर चलने का निवेदन करने
लगे। मैने भी एक अदद अंगडाई लिया, एक घूँट पानी पीया और चल दिया, आगे आगे रेलवे स्टाफ, मेरे दलबदलू दल के कार्यकर्ता बीच में मैं।  हम लोग  प्लेटफार्म पर स्थित सफाई अभियान प्रारंभ स्थल पर पहुँच चुके थे जहाँ शानदार सजे हुए कुछ आप के  चुनाव चिन्ह जिन्हें मजबूरी में हाथ से क्या दिल से भी लगाना पड़ा रहा रखे हुए थे और दो बाल्टी कुछ कागज के टुकड़े, कुछ प्लास्टिक, कुछ पत्ते, चाय-पानी के गिलास भरे हुए थे। हम लोगो के पहुँचते ही जिन्दाबाद जिन्दाबाद के नारे शुरू हो गये, मोदी जी जिन्दाबाद होने लगे। उनके सपने को मूर्ति रूप देने के लिए दोनो बाल्टीयों में रखे स्वच्छ और निर्मल कूड़े प्लेटफारम के टाइल्स लगे जगह पर उलाट दिये गये। अब वह कूड़ा मेरै, गजगमिनियाँ, और अन्य लोगो के बीच फुटबाल बनता हुआ बड़े शान से कैमरो में कैद हो रहा था, निगाहे कूड़े पर कम कैमरे पर अधिक थी। दस मिनट  कूडा-कूड़ा खेलते खेलते कैमरो के फ्लैश चमकना बंद होने लगे तब  केजरीवाल के चुनाव चिन्ह को हम लोगो ने  मोदी जी के मंदिर और 370 के वादे की तरह हाथो से मुक्त कर दिया।  अब जोशीले अदांज में लोगो ने मेरी और मैने मोदी जी और स्वच्छता पर फरकट गुरूजी से लिखवाया भाषा जो महीनो से रट रट कर याद किया था दिया। अब बोलने की बारी मैरी गजगमिनियाँ की आने वाली थी,  लेकिन मैं क्या जानता था कि यहाँ भी रमेशाहानाथ मुझसे दुश्मनी निकालेगें।
एक श्याम-स्वेत बालक पीछे से आकर मेरी गजगमिनियाँ के दुपट्टे को खीचने लगा, अभी मैं उस पर अपने क्रोध को प्रकट करने वाला ही था कि मेरी गजगमिनियाँ बैठ कर उसे बात करने लगी और उसके साथ चल दी। अब मेरी कहाँ औकात कि उसके पीछे न जाऊँ। चल दिया उसके पीछे -पीछे। वह दोनो आगे आगे मैं पीछे और पूरा दलबदलू दल पीछे पीछे। यह काफिला उसी प्लेटफार्म के पीछे बने एक शौचालय पर रूका।  तेज दुर्गंध से नाके फटी जा रही थी , हम सभी तेजी से वहाँ से नाके बंद किये आगे निकलना चाहते थे, मगर यह क्या गजगमिनियाँ तो वही रूक गई। इसके पहले कोई कुछ समझ पाता मेरी गजगमिनियाँ ने वहाँ मौजूद सभी के हाथो में दुबारा केजरीवाल का चुनाव चिन्ह पकड़ा दिया। मगर यह क्या? पीछे की भीड़ के हिस्सा फोटोग्राफर, मीडिया कर्मी,  समाजसेवी, अधिकारी सब फरार हो चुके थे। मैं बेचारा गहमरी फँस चुका था। गजगमिनियाँ की चरण पादुका प्रयोग के डर से शौचालय साफ कर रहा था और अब वह दूर खड़ी मीडिया के सामने सफाई के महत्व को बताते हुऐ बार बार मेरी तरफ ईशारे कर रही थी। जैसे तैसे शौचालय सफाई का काम पूरा हुआ।  मैं उसके पास आया, सभी नाके भकौड़ रहे थे। कुछ फ्लैश चमका रहे थे जिनके कैमरे का रूख मेरी तरफ कम गजगमिनियाँ की तरफ अधिक था। मेरे सूट बूट मोदी के वादे की तरह बेवफा हो चुके थे। फिर मैं गजगमिनियाँ की तारीफ में कसीदे पढ़ते कि उसने सही राह दिखाई, मीडिया के सामने आँखो में आये अश्को को छुपाते हुए मोदी की पेट्रोल की कीमतो में कमी करने की कसमें वादे की तरह हमेशा ऐसे ही जरूरमंद जगहो की सफाई करने  कसम की कसम खा रहा था। सफाई के महत्व का गुण गा रहा था और अपनी पूर्व प्रेमिका गजगमिनियाँ को मुस्कुराते हुए देख रहा था।
जय सफाई, जय कैमरा, जय मीडिया और जय सोशलमीडिया।

अखंड गहमरी

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