हाय! सावरे बलम
धड़ाक से मेरे घर का दरवाजा खोल कर भड़ाक से मेरी पूर्व प्रेमिका में घर के अंदर घुस गई। मैं कभी उसे देखता कभी घर के अंदर । वह तो भला हो कि आज मेरी वाइफ होम बर्तन व कपड़े धोने की डियुटी देकर आनंद गहमरी के घर उनसे संगीत सीखने गई थी।
आते ही वह कूद कर मेरे पलंग पर बैठ गई और हाथ बढ़ाते हुए कहा लाओ मेरे लेख और कविता दो उसे याद कर लूँ।
याद कर लूँ? मैं उसके चेहरे से नज़र हटाये बिन बोल दिया।
हाँ-हाँ बाबा याद कर लूँ परसो ही तो फ़जीहत भैया के साथ लाफ्टर डे पर धनखधनिया पुर जाना है।
अभी नहीं.लिखा यार लिख दूगाँ आओ पहले बाते करें चार मैनें उसे जबाब दिया।
आते-बातें बाद में, पहले बताओ क्यों नहीं लिखा अभी तक गजगमिनियाँ क्रोध में बोल पड़ी?
मुझे हास्य लिखना नहीं आता. मैने कहा?
हास्य लिखना नहीं आता!? क्यों ऐसी क्या बात है हास्य में?
अरे यार! जब दर्द को बढ़ाने की कला आसान हो तो क्या अखंड गहमरी पागल हुआ है जो किसी को हसाने की बात करे?
तुम पागल तो नहीं हो गये मेरे साँवरे बलम, मेरी पूर्व प्रेमिका गजगमिनियाँ ने मेरे गालो पर हल्की सी चपट लगाते हुए कहा।
इसमें पागलपन की बात है मेरी मटकनियाँ डार्लिंग? मैने धीरे से कहा
बात क्यों नहीं है तुम सनक गये हो, तुम्हारी बुद्धि पुदीना चाची के पुदीना खेत में चरने गई है, ये भी कोई बात है कि रूलाना आसान है तो केवल रूलाओगें?
बिल्कुल मेरी पिल्लो- पिल्लो डार्लिंग बस तुम्हारे जख़्मों को हल्का सा कुरेदने की देर है। तुम्हारे हसते खुश मिजाज को तुम्हारी असफलता और तुम्हें मिले उन धोखो को जो कि धोखे की परिभाषा में फिट भी नहीं बैठते, बढ़ा चढ़ा कर कुछ अपने बनावटी आप बीती से जोड़ कर सुना दो, हसता-खुश चेहरा लटक जायेगा, आँखो में आँसू आ जायेगें।
अब आँखों में आँसू निकले न निकले मगर मेरे लतखोर बलम मेरे पैरो से चप्पल जरूर निकल कर तुम्हारे सर से मुलाकात कर लेगें। अभी मैं कुछ जबाब देता उसके पहले कसम घुटघुटना की मेरी पूर्व प्रेमिका ने अपने चरण रज सहित चरण-पादुका का प्रयोग मेरे प्राण प्रिय सर पर कर क्रोध में ज्वालामुखी बनी अपने घर की पतली गली पकड़ ली।
काफी देर तक मैं पलंग के पास पड़ा रहा।
तभी न जाने किधर से मेरी एक पूर्व की पूर्व प्रेमिका मजगमिनियाँ आ गई । मेरी हालत देख कर वह दौड़ कर मेरे पास आई और उठाते हुए बोली यह क्या हुआ?
मैं दार्शनिक अंदाज में बोल पड़ा ''डीयर हिचकी क्या हम गम छुपाकर, दर्द भुला कर हास्य लेखन कर सकते, किसी को हसाना आसान है? किसी को हसाने के लिए खुद को पागल कौन कहलवाये?
ये! आशिक चंडेला ? चोट का असर दिमाग पर हुआ है क्या जो बहकी बहकी बाते कर रहे हो?
हसाना आसान नहीं है तो क्या हसाने का प्रयास.नहीं करोगे?
बिल्कुल नही हसाना या हास्य लेखन मुझे नहीं आता क्योकि हम हसाने में.नहीं रूलाने में, उदासी में यकीन करते हैं।
तभी धड़ाम की आवाज हुई, मैं कुछ समझ पाता इसके पहले दे-दनादन-दे दनादन मेरे सर पर मेरी मोटी-ताजी प्रेमिका मजगमिनियाँ के हाथ मेरे शरीर से प्रेम कर रहे थे और उसके मुहँ से फूल बरसते बोल रहे थे। ''तुम्हें रूलाना है न ? रूला यही मर'' कहते हुए वह भी गुस्से में तेजी से चल निकल गई। मैं उसे कैसे समझाऊँ कि आज अखंड गहमरी तो अखंड गहमरी 90 प्रतिशत लोगों को हास्य लिखना ही नहीं हसना भी नहीं आता। गम और दर्द का समुद्र इतना गहरा हो गया है कि हास्य उसमें डूब कर अपना अस्तित्व ही भूल चूका है, सही कहा न मैं?।
मैं वही पड़ा कभी अपने रक्त को देखता कभी सामने के दरवाजे को जिससे अंदर आकर मेरी वाइफ होम भी बर्तन गंदे देख बहती गंगा में हाथ धो ले।
आपको लगता होगा कि मैं बहुत दर्द में हूँ? लगता है न? अब मैं इसका क्या जबाब दूँ? आपको कैसे अपनी फिलिंग महसूस कराऊँ? आपको इतना ही कहूँगा कि अपने सारे जबाब पाने के लिए आप अपनी पूर्व या पूर्व की पूर्व प्रेमिका से पिट कर देख लें। मैं किसी तरह चलता हूँ भगवता के दुकान पर पान खाने फिर मुलाकात होगी तब तक आप भी अनुभव करने का प्रयास करें बाय-बाय-टाटा।
अखंड गहमरी
मंगलवार, 3 अगस्त 2021
सावरे बलम
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