लवट जा
बहुत भईल अनेत अब बस करअ, ढेर ऋफड पगलाईल जाला।
मरदवा एक्के जगह ढेर दिन ना रहल जाला, इजतिया घट जाले। ससुरालियों में दामाद जी क तीन दिन से चार दिन हो जाला त सरवा-सलिया कुल गरियाबे लगे लन सअ। बिहार क बदेल सार रही न त उ लगीबसबजीओ ढोआवे, अऊर गेहूँ पिसवाबे। सास त जेके बड़ा सासू माँ सासू माँ करे लनस, दिन भर में चार बेर सोहटी के गोड़ लागेलनस न, थरिया क पूड़ी गायब करी के राति के रोटी खिआबे लगे ले। बड़ा पियार से कहे ले कि ''रतिया उ झरबा कुकुरा ना आइल'' त इ रोटीया फेकाई जाई न, त ये बबुआ तूही पानी पी ल सधि जाई। त ये भईया इ हिन्दुस्तान ह, एकर पाचन शक्ति बड़ बरियार ह, अनेत प अनेत सहेलन, कपार प चढ़ के नचबअ तब्बो कुछ ना बोली , बकि सनक गइलन न त तोहार धनो लिही धर्मो लिही, बड़ा प्यार सुघरा के मरबो करी। ऐसे मान जा अ लवटि जा। तोहरा कारन अब ढे़र परशानी होत बा। तोहके तनिको नईखे बुझात मरदवा कुल मजूरा खइला बिना मूअत हवन स। घरे जाये खातिर पैअदल कोसन चलत बाड़न स। देखत नईखअ तू कुल जगहिये मारलो जात बाड़न। इ त ससुआ पागल हइये हबन स। अपना गाव घर में 10 रूपीया में खुश ना रहियन, बिना किरिच क कपड़ा निक ना लागी, गाव घर में काम करे में उनकर नानी मुऐ लगे ले। बेइजती हो जाला, सोचिहन स कि अरे राम रे राम लोग का कहिअन मलखतिया मजूरी करत बा। अ शहरिया में जा के मलखतिया डिपटी कलेक्टर न हो जाला। शहरिया में जूठ गिलासो धोइहन त शहरी कहईहन न? अ बरिस दू बरिस प जब गावें अइहन त लकलकिया कुरता पैंट झार के दस दिन मेरे को-तेरे को करिहन। खूब मुरगा-दाऊ चली। अ दस दिन में जब चूरनिया ढील हो जाई त उनकर माई चाहे मेहरूआ लगी घूम घूम के करजा माँगे कि बहुआ चाहे बटोरना के बाबू के बहरा जाये के बा तनी कुछ रूपिया दे दी, आसाढ़ में दे देब। अ उनकर नकसा तब्बो कम ना होई। गउवा में रहिहन त ,सात घंटा काम करिहन , पाच सौ रूपिया से महिना में पनरह हजार कमइहन, चार दिन कमवा ना मिली तब्बो जोड ल केतना भइल। अ खरचवे का बा? घर क चाऊर घर क गेहू खाना पीना घर क लइका मेहराऊ संगे। कटिया बिनिया अलग से। बाकि उनके शहरिया क 20-25 हजार लऊके ला, केतना बचा लेत होईहन इ त सभे जानत बा, काहे कि कमवा त मजूरिये के बा न। त ये भईया मान जा, मजूरन प दया करअ। अमीरन अ सनकियन क काधीअ प चढ़ के आइल बाड़अ। नेतन अ अधिकरियन के कमवा के लाल करी देहलअ, गरीबन के मुअवलअ। कुल क लेहलअ। सब शांतिदूत न ढ़कल मुहँ उघाड़ देहलअ। अब जा अपना घरे लवट जा। न त अऊरी त ना केहू बकि जिन-जिन क बिआह चईत बइसाख में रहे न उत हो हके वाटस्एप प गरिया गरिया ठीक कइबे कइलन ह अब जदि जेठो में बाजा ना बाजे देअब त तोहार गति ये बनईहन स। केतना दूरे दूरे वाटस्एप प बतियाब स ऊ।पजरो अइहन स? बकि तू का जनब, मरम तोहके ना बुझाई, लैला मजनू के मरम। जवन तोहके समझावे के रहे समझा लेहली। अब तू जानअ अ तोहार काम जाने जनेऊ सोपाड़ी ले के जइअबअ कि लपेटन चचा क चार बकुली ले के जइअब, हम चलनी गुडु किहा पान खाये। जय राम जी।
अखंड गहमरी
मंगलवार, 3 अगस्त 2021
लवट जा
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