मंगलवार, 3 अगस्त 2021

भोजपुरी सिनेमा अ उत्‍तर प्रदेश में बने वाला फिल्‍म सिटी

 भोजपुरी सिनेमा अ उत्‍तर प्रदेश में बने वाला फिल्‍म सिटी

उत्तर प्रदेश में फिल्म सिटी बनतबा।  पूरा तैयार भईला में कुछ समय लागी। का इ समय खास तौर से पूर्वांचल अ भोजपूरी भाषी बस फिल्म सिटी के गुण-दोष के व्याख्या, भजपा क इ काम क बढ़ाई, मुम्बई से तुलना में निकाल देब? या बनला के क बाद सुघर सुघर सपना देखे में? एक बात अऊर का भोजपुरी समाज क इ सिनेमा उद्योग खाली चोली, ढोड़ी, लकउता, देखावत बा के आस-पास घूमत रह जाई? का भोजपुरी सिनेमा हिंदी व दक्षिण सिनेमा के डबिंग तक सिमट के रह जाई? या फिर भोजपुरी सिनेमा निरहुआ अ सिरहुआ के लटका झटका विदेशन के सामान देखवला तक रह जाई? या फिर हम भोजपुरी सिनेमा गवई-शहरी कहानी पर? अगर इहे भोजपुरी सिनेमा रह जाई त  हमारा दावा बा कि फिर उत्तर प्रदेश के घर घर में काहे ना फिल्म सिटी बन जाये ओकर कवनो फायदा भोजपुरी समाज, भोजपुरी क्षेत्र के ना मिली।

भोजपुरी प हम त काम ना करीला बकि जे भोजपुरी प काम करत बा हम हाथ जोड़ के क्षमाँ माँग के कहतबानी हमरा बात के बुरा ना मानी कि ''हम भोजपुरी गीत अ भोजपुरी फिल्म के टरक -टैक्टर-टेक्सी ड्राइवर के ऊपर निकालें नईखी पावत। भोला नाथ गहमरी, शारदा सिन्हा, भरत शर्मा, मनोज तिवारी, गोपाल राय, जइन गायकन के बाद जब कल्लूआ व निरहुआ क दौर शुरू भइल भोजपुरी गीत-संगीत घर के चौखट से निकल के गड़ीयन अ बराती के बैंड-बाजा में आ गइल। भोजपुरी फिल्म के पटकथा, डायलाग, गीत भी बस ''ऐ निरहू'' , नाभी ढोड़ी, लहँगा रिमोट से तक सिमट गईल, यदि हम अंगो प्रदर्शन के देखी कि ओकरे दम पर भोजपुरी फिलिम चलावे के प्रयास होता त उहों ना बा, अंगो प्रदर्शन क आपन कला होला, एइजा तक अंग प्रदर्शन नौटंकी अ फूहड़पन लागे ला।


तनी मिरची मतिन बात अऊरी सुन ली, भोजपुरी के सहारे संसद में पहुँच मनोज तिवारी, रवि किशन त बस लम्बा लम्बा भाषणा देके, भाषण में भोजपुरी सिनेमा क तुलना हालीवुड-वालीवुड क तुलना औरी लच्‍छेदार भाषण, भोजपुरी के अनुसुची बनवा ल राजनीति करे भर जानत हवन। ई जौन भोजपुरी कलाकार जेमें सबसे बड़ा भोजपुरी क गद्वार ह मनोज तिवारी हवन। ना त जेतना इनकर पहुँच रहे हम त ना समझत हई कि कवनो कारन बाकी रहित कि भोजपुरी सिनेमा क हालत इ रहित,और भोजपुरी भाषा क कवनो मॉंग बाकी रहित। आज के दौर में मनोज तिवारी, रवि किशन जइसन गद्वारन से आप उम्‍मीद मत रखब, ई जहॉं पहुँचे के रहे पहुँच गईलन से, काहे कि वक्‍त से पहिले वक्‍त क चाल देख लेले रहलन से, जवरा समय नया नया तकनीकि आवत रहें, हम तकनीक के प्रयोग करे वालन के पागल कहत रहली वो घड़ी इ वो तकनीक के आपसे लुका-छिपा के प्रयोग करके अपना स्‍थान बना लेहलनस। आपके कपार पर चढ़ के ऊपर पहुँचे आपके और भोजपुरी के लात मारके किनारे कर देखलन स। खैर हम आपन विषय छोड के भटकत हई।वापस आपन विषय पर आवत हई।

भोजपुरी सिनेमा, भोजपुरी गायन के क्षेत्र में फि‍ल्‍म सिटी बन के तैईयार होखें, एकरा बहुत पहिले से हमने के बहुत मेहनत अगर कर दिहल जाई त बाद में हमन क काम बहुत आसान नहीं, हमनी के परिचय के मोहताज ना रहल जाई। पूर्वांचल क्षेत्र के कलाकारन के, लेखकन के, तकनीसियन के, गायकन के , संगीतकारन के खूश्‍बू वोईजा पहलीे ही पहुँचल रही। हम आज क तकनीक के प्रयोग करके पूर्वांचल के, भोजपुरी भाषा के कलाकरन के, प्रतिभा के निखार के उ स्‍तर तक पहुँचा सकीला  जहॉं से सफलता उनकर कदम चूमी।
ऐसे आप सब अपना प्रयास से भाजपुरी भाषा और पूर्वांचल क्षेत्र के सिनेमा उद्योग के निखारे के अभईन से ही युद्व स्‍तर पर तैयारी शुरू कर दी, ताकि आवे वाला दिन में आपके भाषा के, आपके कलाकार के सामने एक नया दुनिया का दरवाजा खुलल रहें। कलाकार भाई-बहीन लोग, संगीतकार भाई लोग आज से जुट जा। कहानी, पटकथा, एक्‍शन, दृश्‍य, संगीत, डायरेक्‍शन सब अइसन होखें कि हमार सभ्‍यता, संस्‍कृति, रीति-रिवाज, पहनावा, गॉंव के परिदर्शय सब कुछ रहे लेकिन ओकर स्‍तर, ओकर फिल्‍माकंन, ओकर प्रस्‍तुति अन्‍तराष्‍ट्रीय मानक व मॉंग के अनुसार रहें। त एक बार फिर कहब लाग जा जा, खाली बनला क, के बनवईलस, मत बतियाबा जा, समय से पहिले आपन पहचान बना ल जा।
जय हिंद जय भारत
अखंड गहमरी, गहमर गाजीपुर 9451647845

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