बुधवार, 4 अगस्त 2021

आज मोबाइल के बारे में लिखा

 मैने आज जो अपने मोबाइल के बारे में लिखा मेरा उद्वेश्‍य सिर्फ उन लोगो को सूचना देना था, जिनसे कल बात नहीं हो पाई आज के वादे पर। मैं यह भी मानता हूँ कि मैं लापरवाह हूँ, लापरवाही का नतीजा रहा मेरा मोबाइल गुम होना, लापरवाही की सजा मिली, मगर मैं एक बात जनाना चाहता हूँ उसके पहले कुछ जानकारी दे दूँ। मैं गाजीपुर से सुहेलदेव एक्‍सप्रेक्‍स से 30 मई को एसी 3 टियर में चल कर 31 को दिल्‍ली पहुँचा, 31 मई को ही दिल्‍ली से भोपाल एक्‍सप्रेक्‍स से चल कर 01 जून को सुबह भोपाल पहुँचा, 01 जून को ही शाम को भोपाल से चल कर मैं 02 जून को सुबह बम्‍बई पहुँचा और वहॉं से 03 जून की रात वापसी गहमर के लिए चल दिया। इन 30 मई से लेकर 05 जून तक मैंने 4000 किलोमीटर का सफर चार ट्रेनो से किया जिसमें 3 सफर 3 एसी का, और एक सफर द्वितीय श्रेणी शयनयान का। हम साधारण टिकट पर साधारण दर्जे में भी सफर कर सकते थे, काफी कम पैसो में, मगर हम रेलवे को अपनी सुविधा और सुरक्षा के लिए अधिक पैसे देकर आराम दायक सफर करते है।

मगर ये आराम दायक और सुरक्षित सफर हो कैसे,
गाजीपुर से लेकर गहमर तक की वापसी मे पूरे रास्‍ते दिन हो या रात एसी में अवैध व्रिेकेताओं का आना जाना लगा रहा। पूरे रास्‍ते कभी कोई स्‍टाफ तो कभी स्‍टाफो के परिवार पैर समेटने का आदेश देते रहे। म‍ैं इन चार हजार किलोमीटर की यात्रा में भोपाल एक्‍सप्रेक्‍स को छोड़ दिया जाये तो एक भी ट्रेन में सुरक्षा दस्‍ता नहीं देखा। बस प्रारम्‍भ के स्‍टेशन पर सीट के नीचे झाकते जवान एक बार जरूर नजर आये।  अटेन्‍डेन्‍ट महोदय आराम से सोते नज़र आये, चाहे बोडिंग हो न हो गेट आराम से खुला हुआ है, सभी आया राम गया राम की तरह आ रहे हैं जा रहे हैं।  मोबाइल तो माना कि जेब में रख लेगें, मगर अटैची, बैग वो कहॉं रखेगें। ट्रेन में हर 8 यात्रीयों पर दो चार्जिग प्‍वाइंट उसमें भी एक सही एक खराब, आखिर एक यात्री का नम्‍बर कब आयेगा।  कहॉं रखेगा वह चार्च पर मोबाइल। अगर सभी मामले में यात्री ही सावधान रहे, तो फिर पुलिस सुरक्षा दस्‍ते का क्‍या काम है। क्‍यो‍ दिया जाता है उन्‍हें वेतन।
मेरी तो किस्‍मत अच्‍छी थी जो जी0 आर0पी प्रभारी दिलदानगर ने प्राथमिकता दर्ज कर ली, मगर सभी की दर्ज हो ऐसा कम ही होता।
मैं तो लापरवाही का जिम्‍मेदार हूँ ही, सजा भी मिली, पर जिसने एसी जैसे विशिष्‍ठ कोच को सामान्‍य श्रेणी की कोच के तरह बना दिया क्‍या उसकी जिम्‍मेदारी या उसका दोष कुछ नही
शायद नहीं, क्‍योंकि 70 सालो से यात्री सुरक्षा नहीं हुई तो 4 सालाे में क्‍यों हम चिल्‍लाये। जय हिन्‍द

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