मंगलवार, 3 अगस्त 2021

गोयल एक्सप्रेस बतियावनपुर

 सेवा में माननीय रेलमंत्री महोदय, सादर चरण स्पर्श।
कमर में पीड़ा की वजह से हाथ आपके चरण तक नहीं पहुँच पा रहा है इस लिए आग्रह है कि घुटना स्पर्श को ही चरण स्पर्श के रूप में स्वीकार करें। वैसे यह घुटना स्पर्श ही नये जमाने का फैशन है। अभी तक तो चरण स्पर्श के रूप में स्वीकार करने का निवेदन कर रहा हूँ परन्तु आपने यदि इसको स्वीकार नहीं किया तो आप समझ लें कि जिस प्रकार रेल से मतलब नहीं होते हुए भी केवल सरकार पर दबाब बनाने के लिए लोग रेल रोक देते हैं , रेल और स्टेशन को अपनी सम्पति समझ कर जाड़े में गर्मी लाने के लिए आग के हवाले कर देते हैं मैं भी मुल्लीपुर से पाकिपुर जाने वाली ट्रेन के आगे अपनी पूर्व प्रेमिका गजगमिनियाँ से पिटने के कारण आंदोलन कर दूगाँ। वैसे मनतरी जी मैं बता दूँ कि मेरी  पूर्व प्रेमिका गजगमिनियाँ ने मारा भले मुझे हैं मगर दोषी आप हैं। आप का गुस्सा उसने मेरे ऊपर निकाला है इस लिए सीधे मेरे घुटने स्पर्श को चरण स्पर्श के रूप में स्वीकार करें। ये धमकी नही दे रहा हूँ धमकी तो आप को बाद में दूगाँ पहले मुझसे यानि श्री श्री श्री  420840 बाबा अखंडानंद से आधात्मिक बातें सुन लें और अपने जीवन को सफल बनावें।  जिस प्रकार गुरू ज्ञान प्राप्त करने का, ब्राहमण देवताओं के आशीष प्राप्त करने का, डा. रमेश तिवारी सम्मान प्राप्त करने का और पंडित जी दुल्हन प्राप्त करने का माध्यम होते हैं, उसी प्रकार आप की पैसेंजर ट्रेन यात्रियों को एक्सप्रेस ट्रेन पकड़वाने का प्रमुख माध्यम होती है। और यह बात मुझे तब समझ में आई जब  दलहनियापुर में मेरी पूर्व प्रेमिका गजगमिनियाँ ने मुझे उतना कूटा जितना तो कोई धान को भी नहीं कूटता। कारण थे आप। मैं आज गजगमिनियाँ के साथ बतियावनपुर से लभियावनपुर जाने वाली गोयल एक्सप्रेस को पकड़ने लतियावनपुर से  खड़खडिया पैसेंजर के द्वारा घर से 45 मिनट का सफर पूरा करने तीन घंटा पहले निकला। गजगमिनियाँ बोली की आप रेल पर भरोसा मत करो लेकिन मैं नहीं माना और भरोसा कर बैठा। और आप की रेल पर  भरोसे का यह असर हुआ कि मेरे सुदंर सुदंर गालो पर लाल काले निशान बन गये। पहले तो स्टेशन पर ही दस मिनट से होते होते 60 मिनट देर से ट्रेन आई। मैं तो पैंसेजर का टिकट ले चुका था, अब आने वाले एक्सप्रेस पर भी नहीं चढ़ सकता था। डर था कि यदि चढ़ गलती से भी चढ़ गया तो आपके टी.टी महोदय जो अकेले देख कर पास नहीं फटकते, सामान और परिवार के साथ साथ मजबूरी देख कर राजा हरिश्चंद्र की सातवीं औलाद बन जाते है और 250 पेनाल्टी के साथ-साथ कृष्णा जन्मस्थली भेजने लगते हैं मेरी पाकिट ही काट डालेगें। मेरी पूर्व प्रेमिका गजगमिनियाँ की तरह इतराते मटकाते  लतियावनपुर आई यह आपकी आप की यह ट्रेन जहाँ रूकती वही फेविकोल के मजबूत जोड़ का विज्ञापन सफल कर देती। ट्रेन में गंदगी का आलम तो यह था कि साँस लेना भी मुश्किल हो रहा था। सफाई कब की हुई थी पता नहीं उसका कारण यह है कि पैसेंजर ट्रेन के यात्रियों को आप यात्री समझते कहाँ हैं और समझे भी क्यों हम जैसों की कलम भी पैंसेजर ट्रेनो पर चलती ही कहाँ और चलती हैं तो एक बार या दो बार जब प्रेमिका या वाइफ होम हो पिटे जैसे मेरी आज चल रही है। चिपकते छोड़ते ट्रेन बतियावनपुर पहुँची तब तक गोयल एक्सप्रेस बतियावनपुर.वनपुर को टाटा बाय बाय कर चुकी। हमारा तो धन भी जा चुका था। धर्म भी और लात खाने को अलग मिला, और झकझकिया गार्डन में गजगमिनियाँ की बाहो में बाहे, आँखो में आँख डाल कर , उसके जुल्फ की तारीफ करते पापकान खाने का जो मौका गया वो अलग।  और इन सब के दोषी आप हैं। भगवान आपको भी अपनी प्रेमिका से पिटवाये। वैसे.माननीय मंत्री जी आप ही सोच रहे होगे इस अखंडानंद को सही में लोग पागल कहते हैं आज बुलट ट्रेन, वन्देभारत, तेजस, शताब्दी, राजधानी जैसी ट्रेनो के जमाने में यह पैसेंजर ट्रेन की बात लेकर बैठ गया। तो माननीय मंत्री जी जब प्रेमिका से पिटोगे तब पता चलेगा क्या लेकर बैठा जाता है। दिल्ली में ही हैं रमेश तिवारी जी देख लें उनका हाल समझ में आ जायेगा।
अब धमकी सुन लीजिए यदि आपने पैसेंजर ट्रेनो की स्थिति पर ध्यान नहीं दिया और मेरे घुटने स्पर्श को चरण स्पर्श नहीं माना तो मैं आपको आपकी पूर्व प्रेमिका  के साथ चिलावन कवि के पास वाली सीट पर कटरा -कन्याकुमारी पैसेजर पर बैठा दूगाँ, फिर आपने आपका काम..
कम लिखा  हूँ अधिक समझीयेगा.....बाय जय हिन्द जय भारत।।।

अखंड गहमरी

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