वेबसाइट और पत्रकार बनाने के नाम पर होती धाँधली।
उल्लू बना रही लोगो को कुकरमुत्तों की तरह उगी कम्पनीयाँ।
आज हर काम आनलाइन हो रहा है। वर्तमान परिस्थिति में बहुत से धंधे डूब चुके हैं। मानव 4 रोटी, 01 मकाझ़नन, 02 जोड़ी कपड़े और दवा में संतुष्ट है। बढ़ती आनलाइन व्यवस्था को देखते हुए तमाम कम्पनीयाँ वेबसाइट बनाने, मोबाइल एप्लीकेशन बनाने की काम में जुट गई है। ऐसे लोग जिनको साइवर की दुनिया का ककहरा नहीं मालूम वह लोग मोबाइल के माध्यम से तरह तरह के मैसेज जिसमें सस्ती बेवसाइट बनाने, एस एम एस पैक देने का मैसेज भेज रहे हैं। कुछ तो आपका न्यूज चैनल बना कर आपको पत्रकार बनाने का दावा ठोक रहे हैं। ऐसी कम्पनीयाँ अपने विज्ञा, ण क्षक्षक्ष,पनो में आपकी अच्छी बेवसाइट बनाने की शुरूआत 2000- 2500 में करने का दावा क क्षर रहती है। आपको तरह तरह के प्रलोभन और चौबीस घंटे एक काल पर सपोर्ट का दावा करती हैं। आप भुगतान करके , जैसे जैसे उनके जाल में फँसते जाते हैं वह अपने सुरसा की तरह मुँह खोलने लगते हैं। हालत आपकी ऐसी हो जाती है कि आप लौट भी नहीं सकते। आपके कि हालत का वह जम कर फायदा उठाते हैं, आप के सारे कन्टेन्ट को अलग थलग कर दिया जाता है।
ये कम्पनीयाँ किसी नामचीन कम्पनी से आपका डोमेन नेम रजिस्टर्ड करा कर आपको विश्वास में लेती हैं। जब दस बीस मुल्ले फँस जाते हैं तो किसी अन्य कम्पनी से सर्वर स्पेश खरीद कर आपकी बनाई बेवसाइट उस पर लाँच कर देती है। ये कम्पनीयाँ खुद तो अनलिमिटेड स्पेश को पूरी तरह स्पेश को अनलिमिटेड समझती हैं मगर आपसे एक पेज, एक कालम बढ़ाने के भी पैसे माँगती हैं। यदि आपकी साइट चल जाती है तो यह आपकी साइट में खुद ही तरह तरह की समस्याएं पैदा कर आपसे पैसे माँगती हैं। समस्या आने पर न यह आपके फोन काल को रिसीव करती हैं, न मेल और वाटस्प का जबाब देती है।
इस लिए आनलाइन बिजनेश शुरू करने से पहले और बेबसाइट बनबाने से पहले कुछ बातो का अवश्य ध्यान रखें.
(01) जिस कम्पनी से आप अपनी साइट बनवा रहे हैं, वह कम्पनी किस शहर में है? उसके आफिस की स्थिति क्या है? उसका मालिक/प्रवंधक खुद कितना जानकार है? उसकी योग्यता क्या है? कम्पनी सेवा देने के लिए सरकार से रजिस्टर्ड है कि नही? इत्यादि जैसी महत्वपूर्ण जानकारी प्रथम चरण में प्राप्त कर लें, केवल मोबाइल पर वार्तालाप पर निर्भर न रहें।
(02) जिस कम्पनी से आप अपनी बेवसाइट बनवा रहे हैं उसने पहले से किस-किस की बेवसाइट बनाई है? संभव हो तो उसके वर्तमान ग्राहको से उसके सपोर्ट, सर्वर, सेवा , व्यवहार की जानकारी लें।
(03) साइट बनवाने से पहले उस पर लगाने वाले सारी कन्टेंट, आपनी चाहत, अपने डिजाइन , प्रदत्त सुविधा का खाका तैयार कर लें जब सब कुछ फाइनल हो जाये तब सेवा देने वाली कम्पनी से विस्तार से बात करें एक एक प्वाइंट पर चर्चा करने और फाइनल रकम तय करें।
(04) जब भी बात करें पूरे साल आने वाले खर्च जिसमें मेन्टेनेंस चार्ज, रिनिवल के साथ साथ यह भी बात कर ले कि भविष्य में पेज, स्पेश या अपडेशन में क्या खर्च आयेगा।
(05) आपको पत्रकार बनाने वाली कम्पनीयाँ आपको गूगल से रजिस्टर्ड बताती है, जबकि गूगल भारत में पत्रकारिता का कोई रजिस्ट्रेन नही करता। वह केवल आपके न्यूज पोर्टल के नाम से सर्वर, डोमेन रजिस्टर्ड कराती हैं।
भारत में केवल RNI ही आपके समाचार पत्र को रजिस्टर्ड करती है।जिसका चरण आपके जिलाधिकारी से शुरू होकर आर.के.पुरम सेक्टर 8 नईदिल्ली तक के 4 चरणों में पूरा होता है। रजिस्ट्रेन नम्बर आने के बाद आपकी योग्यता के आधार पर समाचार पत्र का वह संपादक जो RNI में रजिस्टर्ड है अपने हस्ताक्षर से संवाददाता बना सकता है। इसके बाद ही आप मान्यता प्राप्त पत्रकार की श्रेणी में आ सकते हैं।
क्रमसः
अखंड गहमरी।
बुधवार, 4 अगस्त 2021
वेबसाइट और पत्रकार बनाने के नाम पर होती धाँधली।
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