मंगलवार, 3 अगस्त 2021

मोदी चाचा राम राम 1

 मोदी चचा राम राम,
गोड़ धरिके गोड़ लागत बानी।
बड़ा दिन भईल भेंट-भाट भइले, तोहरा के त टइमवे नइखे मिलत, न गजियेपुर आवत हवअ, न लिफ्टे देत हवअ। मरखनिया चाची त कहत रहली ह कि बुढ़वा पगला गईल बा, इ दाढ़ी साढ़ी अढ़ा-बढ़ा के निमनो चेहरवा बेकार कर लेले बा। का बात बा कवनो परेशानी बा का? सुघरी चाची त कहले बाड़ी कि आवे बुढ़वा होली में दढ़ीये कबारब, बकि देअखअ होलीया तक चल पावे ली कि ना, तबीयत खराब रहत बा, डक्टरवो त बढ़िया गहमर में नईखे, गाजिपुरवा के पुलिये टूटल बा , बनारस गईल त तू जनते हअव की नौ दिया तेल जरावे के बरोबर बा। इ टरेनवा के ना रहला से नसपिटना जौन चार चक्का रखले बाड़न स न उ हो उदवंत नगर के दमादन मतिन बे-भाव में बाढ़न स। सुनते नईखन स।  पुदीनो के छुट्टी नइखे मिलत कि आ के देखावे।
सुनली ह कि तू खिचड़ी में बनारस अइबअ, त चलि आबअ गाजिओपुर भेंटभाट हो जाईये। बकि अइबअ त एगो बात याद रखिहअ,  चिट्ठीआ लिखत हइ त पकपकिया चाची बगलिये में बइठल बाड़ी कहत हई  ' जाये दें नसपिटना के आवे खातिर मत लिख, एइजा के बा ओकर, जौन बड़का मतन्‍तरी बनल फिरत बा न, जहिआ ना रहब न त बुझाई ओके। देखअ चे चाचा रोअत हई।
टमटरवा बो चाची चुप करावत हई उनके, बकि ये चाचा इ टमाटरवा कहत हई कि  लिख दें कि खिचड़ी आवत बिया, चली आवे ढोढा, ढोढ़ी खाये, आइ त पकर- पकर बोली ना, अ गहमर क नाव त भूलइलो मत ली। गहमर इ, गहमर ऊ, गहमर ऐसे, गहमर वैसे, कह के चल जाला, संगे गहमर इ ह, गहमर में उ ह, कहेला, कह के चल जाता अऊर नसपिटना पतरकरवा खुल ओके अढ़ा-बढ़ा के छाप देवेलन। तू त बढ़ा खुश हो जाअल, बकि ओकर नुकसान हमनी के केतना होला ई तोहरा के मालूमें नईखे।
ल चाचा पकपकिया बो चाची इतना के रोअवला के आवाज सुन के अलूईया बो पंडितान भी आ गईली, आज त तोहार खैर नाइबा, रहतअ ऐइजा त देख लेअत कि तोहरा का हाल होईत।
अलूईया वो पंडिताइन पूछत हई का बात भइल बाा, हम बतवनी ह त  पकपकिया बो चाची कहत बाड़ी की ठीके त  कहत बिया टमटरा वो, तू आवेल गहमर गहमर  कर के चल जइबअ अ तोहार जो बाड़न से अनतरी मनतरी ओहन के त मन करेला कि जियते मुहँ में आग लगा दी मरहूँ ना दी तोहरा से जर बुतालन स, तोहरा के त कुछ कहेके सुने के अवकतवा ना बा बकि गहमर के परेशान करे शुरू कर दीहन से।
एक दिनवा अलूईयो वो पंडितान कहत रहली ह कि हउ कवन तोहार मनतरी है जो टरेवा चलावे ला कौन अरे नियके नउवा बा हो कर *बोयल, की का टोयल कहे ल स ओके, हॉं गाेयल पूरा गदहा बा तोहरे से जरे ला, तू गहमर के तरीफ कइल त उ गहमरे में रूके वाली कुल टरेनवा बंद कर दिहलस, तू सिपहीयन के बात कईल त उ कह देहलस कि टिकटे नइखे कटत, अउर त अरउ ये चाआचा कहत बा न कि गहमर से करोना फइलत बा। अब तुही बतावा ये चाचा गहमर से करोना टरोना फइलत बा, इ नसपिटना बेजती न करत बा तोहरा गहमर के, तनी ओके समझा न त चचा काहे हाथ पैर घो के पीछे पड़ल बा गहमर सटेशनवा के, ना तकीये बड़वा में सुता के छतिया के बतिया तोड़ दीहल जाई त तू हूँ हब कि अरे अखंडवा इ का कइलह स रे।  तू अईब न खिचड़ी में त देख लिहअ, केतना फज़ीहत होत बा, ये चचा। अपने त बइठ के जहजिया प लुप्‍प से एइजा से उइजा, उइजा से एइजा,। तनि आवअ न दिलदारनगर चले के सब्‍जीया ले आवे, तोहरो नौ दिया तेल जरी जाई, बुद्विया हरियर हो जाई।
जाये त बंद करत बानी दिमागवा के दही जमत बा, हॉं दही प याद पड़ल, किचड़वा वो अहिरिन ए घरी बडा नीक कहतरी वाला दही जमावत बिया, कह त दू कहतरी भेजवा दीही, बकि जाई कइसे, चलअ हम सइकिलीये प लाद के लेले आइब।
अवरी बताअव चचा, कोरोना में त तूहूँ फँसी गईल बाड़अ, कही बाहर भीतर त जाते नइख, पेट के पानी कइसे पचब बा ऐ चचा।
चअलअ अब जौन बा तौन त बटले बा, खिचड़ी में आव गाजीपुर त बात होई, तनि उ ओयल गोयल के बोल त कि गहमर बिन मंतरा के गॉंव ह तनी हिसाबे किताब  में न ता सनक जाई त तोहार बबरी बाची ना। गडीय क रोक देस, अ जौन चली उके छूअस मत, न त  एकअगो एकअगो गाडी लड़ लड़ के रोकवईले हइ जा गहमर में, केतना पापड़ बेलने हइजा रोकवाये में, उनके समझा दीहल जाई, उनकर कुल मन्‍तरीगिरी  भुला जाई।  दिक बरत ये चाचा तू तारीफ करह उ पैरे तोहार खीचे।
ल भकेबेलनी चाचीयो आ गइली, अब तोहरा खैर न नईखे, इ बोली एतना हम लिखत लिखत पगला जाईब , हमके तोहार पतोह खाये बोलावत बिया  न जनते बाड़अ कि तनकी देर भइल त मारी के बेलना से हमार महुँवा लाल क दीही, कुल लिखल भुला जाई।
अब जा त हई, ठीक से रहीय, हब नयका करोनावा जो अग्रेजवन किहासे आइल बा ओकरा से बच के रहिअय।
परनाम बा, गोड़ लागत बानी
जय हिंद जय भारत जय गहमर
तोहार भतीजा अखंड गहमरी

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