कई दिनों से मुझे नींद नहीं आ रही थी।
ऑंखो ही आँखो में पूरी रात बीत जाती थी। सारी रात वाटस्एप और फेशबुक पर
इधर-उधर करता। अब तो लोग दबी जुबान में कहने लगे थे कि अखंड गहमरी आदमी
नहीं उल्लू है, जो रात भर जागता है।
आज
शाम से ही मुझे अपने गुजरे इश्क़ की बहुत याद आ रही थी। इश्क़ में उदासी
का आलम यह था कि मुझे रात 11 बज कर गप्तालिस मिनट पर ही नींद आ गई। नींद
में भी चैन नहीं मिल रहा था। स्वपन पर स्वपन देखा रहा था। हसीन सपनो को
भी शायद अखंड गहमरी से जलन थी। मोबाइल की घंटी पर घंटी बजी जा रही थी। पर
घंटी पर नींद हावी थी। मगर कमबख़्त ये मोबाइल मानने का नाम नहीं ले रहा था।
थकहार कर मोबाइल की तरफ नज़र डाली। नम्बर देखते ही मेरे होश उड़ गये। दिल
मैतालिस फीट बड़तालिस इंच उछल गया। सोचने लगा कि क्यों इतनी देर हुई ? तभी
पंलग के ऊपर सोई मेरी वाइफ होम पर नज़र पड़ी। सारी खुशी हवा हो गई। मोबाइल
चीखे जा रहा था, और मेरी नज़र वाइफ होम पर थी जो अभी तक वह कुम्भकरण की
बहन बनी सो रही थी। मैनें धीरे से मोबाइल को साइलेंन्ट मोड पर डाला और
कमरे से निकला। अब तक तो आप समझ ही गये होगें कि यह सुबह सुबह फोन किसका
था ? बिल्कुल यह फोन मेरी परमप्रिय, परमजलनशील, मटकनियॉं निवासी मेरी पूर्व
प्रेमिका गजगमिनियॉं का ही था।
कमरे
से निकलते ही फोन उठाया। कुछ बोलता इसके पहले उधर आवाज आई ''कहॉं मर गये
थे''? रोज तो मड़तालिस बजे तक जगे रहते थे ? आज क्या कर रहे थे ? मेरे तो
अल्फाज ही नहीं निकल रहे थे। किसी तरह बस इतना कह पाया कि गुस्से में
तुम्हारी आवाज देख कर ऐसे लग रहा है जैसे संसार की सारी खूबसूरती को टेंडर
लोडी जी से तुमको ही दे दिया जाये। उधर से बिना मेरे बातो पर लाल हुई वह
लाल होते बोली फेशबुक देखा ? मैने कहा अभी तो तुमको सपनो में देखा रहा था।
मुझे देखना बंद करों और फेशबुक देखो वह जोर से गर्जी।
मैं
बस डरते हुए कहा बहुत दिनो के बाद तो तुमको देख रहा हूँ, देख लेने दो। इस
पर तो उसका गुस्सा ऐसा चढ़ा जैसे कपिल देव को चढ़ता था। इसके पहले की जैसे
175 रन की पारी में कपिल देव ने गेंदबाजो को धुना था, वह मुझे धुने मैं
बोल पड़ा परमप्रिय अपने गुस्से पर काबू रखों मैं तुरन्त बजरंगबली की तरह
फेशबुक के पहाड़ पर जाता हूँ और वहॉं देखता हूँ कि क्या हो गया ? हॉं जाओ वह अपनी ही शै में बोले जा रही थी, न दुआ कर रही थी, न सलाम, न आशिकी की बाते, वह तो बस आज चढ़ी जा रही थी। क्या ऐसी होती है पूर्व प्रेमिका ? मगर जो भी है गजगिमिनियॉं इस द ग्रेट। मैं काफी देर फेसबुक के जंगलो में
विचरण करता रहा। मुझे मेरी प्राणो की प्यारी पूर्व प्रेमिका गजगमिनियॉं को
समस्या ग्रस्त कर दें , ऐसी कोई चीज नहीं दिखाई दी।
हॉं कुछ नये कुछ पुराने, कुछ प्रसिद्व कुछ गुमनाम सुन्दर-सुन्दर चेहरो के साथ पोस्ट कुछ अलबेली कविताओं पर नज़र जरूर पड़ी जो अखंड
गहमरी जैसे पागलपन के शिकार व्यक्ति को भी ठीक कर दें । उन कविताओं
पर हजारो कमेंट और शेयर थे। मेरी समझ न तो उन कविताओं के विषय और और शब्द आ रहे थे और ना तो यह समझ में आ रहा था कि वाह-वाह,
बहुत खूब-बहुत खूब, सुन्दर, अतिसुन्दर के खिताब कविताओं को दिये गये थे
या विभिन्न मुद्राओं में प्रर्दशित चेहरों को। परन्तु यह सब देख कर मैं समझ चुका
था अपनी गजगमिनियॉं के रात की नींद उड़ने का कारण।
मैं
तुरन्त राफेल पर चढ़ कर वापस लौटा, और कक्षा के बैंक बेंचर बच्चे की तरह
बिना पूछे ही बोल पड़ा, अरे मेरी ढिल्लों जाने दो तारीफ करने दो कविता
की, तुम कहॉं इसके चक्कर में पड़ी हो। इतना सुनते ही वह सूर्य के समान लाल
हो गई। अगर समाने रहता तो दो चार हाथ लगा ही देती। एक
दम पागल हो क्या ? उसने पूरा जोर लगा कर बोला। मैं भी मुहँ खोला। मेरी
धन्नों तुम पूरी बात बताओं , मैं फेशबुक के पटल को अंगार बना दूँगा, जोकर
का श्रंगार बना दूँगा, पलटन का हार बना दूँगा, तुम बताओं तो, मैं अब पूरे जोश में आ
गया था। यह बात अलग थी कि रह रह कर बगल के कमरे में झाक लेता कि कुम्भकरण
की बहन, हिटलर मेरी वाइफ होम अभी निद्रा में है कि नहीं। कही ऐसा न हो कि
मैं विचारो में रहूँ वह जाग कर मेरी चटनी बना दें।
आखिर
मेरी गजगमिनियॉं ने मुहँ खोला, अपनी समस्या बताई। उसकी समस्या सुन कर
मेरे होश ऐसे उड़े जैसे पोखरन परीक्षण के बाद अमेरिका के, रेखा संग रोमांश करते अमिताभ के जया को देख कर उड़े थे। मैं तो अपने शरीर को नोंच कर देखने
लगा कि मैं जगा हूँ या सोया। समस्या थी भी ऐसी कि धरती अपनी धुरी पर
धुमना छोड़ सकती थी, सूर्य देव बगावत कर सकते थे। मुशी प्रेम चंन्द्र जी,
गोपाल राम गहमरी जी धरती पर वापस लौट सकते थे। बहुत बड़ा अर्नथ होने जा रहा था। परमाणु बम फटने जा रहा था।
मेरा दावा है कि यह समस्या
सुन कर आपके भी पैरो तले जमीन निकल जायेगीं। टूटती सॉंसो से गजनिमिनियॉं रोते हुए बोल बड़ी फेसबुक की पोस्टों पर अब बधाई, वाह वाह, शुभकामनाएं, बहुत अच्छे, अतिसुन्दर, स्वागत है, जैसे शब्द लिखना और इंमोजी प्रतिबंधित हो गया, अब आपको किसी पोस्ट पर कम से कम दस शब्द उस पोस्ट से संबधित लिखने होगें। और तो और बिना दस शब्द लिखें आप पोस्ट को लाइक, डिसलाइक भी नहीं कर सकते। हम एक ही कमेंट को एक दिन में दो बार रिपीट भी नहीं कर सकते हैं। अब तुम ही बताओं इन शब्दो के न रहने से हमारी दुकान कैसे चलेगी? कौन पूरी पोस्ट पढ़े ? पागल हो गये हैं फेसबुक वाले।
उसकी बातें सुन कर मेरा भी दिमाग पूरा का पूरा घूम गया। मैनें कहा परम प्रिय सही कह रही हो फेशबुक वाले तो अखंड गहमरी से भी बड़े पागल हो गये हैं। किसी के पास पूरी पोस्ट पढ़ने का समय नहीं है इस लिए तो बिमार होने और मौत होने की पोस्टों पर भी सैकड़ो लाइक आते हैं, कभी कभी तो बधाई व शुभकामनाएं भी आ जाती हैं। खैर जाने दो परेशान न हो, आज शाम को मिलटिंग मिलटिंग गार्डन में मिलते हैं, वही बाते होगी। समस्या बहुत गंम्भीर है। इस पर पोस्ट डालाना होगा, जनमत इक्कठा करना होगा, हम धरना करेगें, फेसबुक के खिलाफ प्रदर्शन करेगें। तुम्हारी समस्या को लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति तक जायेगें। मैं बोले जा रहा था। उधर से हसते हुए आवाज आई ठीक है लेकिन समय पर आ जाना। मैं उसकी हँसी सुनकर खुशी से पागल हो गया, मगर यह खुशी देर तक नहीं रही उसने अबकी धमकी भरे स्वर में कहा भूलना नहीं अखंड गहमरी तुम हो बहुत भुल्कड़। मैने ने हसते हुए कहा बिल्कुल नहीं भूलूँगा प्रिय बिल्कुल सही समय पर मिलटिंग मिलटिंग गार्डन पहुँच जाऊँगा, यह कहते हुए मैंने एक सलांइंग किस उछाला, वह मुस्कुरा दी । मैने फोन काट कर फोन को भी एक सलाइंग किस उछाला।
किससे मिलना है मिलटिंग मिलटिंग गार्डन में ? नौ बजे तक सोने वाले श्रीमान सुबह सुबह छुप कर किससे बात हो रही है ? तभी पीछे से करारी आवाज गूँजी। जब तक मैं कुछ समझ पाता, कुछ बोल पाता जब तक हर बार की तहर मेरे वाइफ होम की चरण पादुका मेरे गंजे सिर से मुलाकात कर चुकी थी। मैं बचाओं बचाओं चिल्लाने लगा।
अचानक चेहरे पर पानी से उठ कर बैठ गया, समाने मेरी परम प्रिय वाइफ होम थी, जो मुझे झकझोर रही थी क्या हुआ ? आपको क्यों बचाओं बचाओं चिल्ला रहे हैं ? मैने उसकी तरफ देखा, फिर खुद को देखा, अपने सर पर हाथ फेरा, जान में जान आई। मैनें प्रेम से बोला कुछ नहीं एक डरावना सपना देख कर तुमको बुला रहा था बचाने के लिए, तुम ही तो मेरी अलटिंग-मलटिंग साथी हो, चलो चाय बनाओं और अपने नाजुक नाजुक हाथो से पिलाओं। वह मुझे देख कर मुस्कुराते हुए चाय बनाने चली गई। मैं ऊपर हाथ कर भगवान को सुक्रिया कह कर दुबारा सो गया।
अखंड गहमरी
9451647845
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