शनिवार, 11 जुलाई 2020

पत्रकार बस पैसे के

हम गहमर व बारा के कुछ पत्रकार कुछ दिनों से मूलभूत समस्याएं जिसका आम आदमी के जीवन पर सीधा बुरा प्रभाव पड़ रहा है जिला/ग्राम व प्रशासन के ऊपर दबाब बनाने को छोड़ कर गौ तस्करी, शराब तस्करी के, ओवर लोड़िग जैसे मुद्दो पर पुलिस खिलाफ मोर्चा खोले हुए। जिसका जनमानस के जीवन पर तो कोई प्रभाव नही है, परन्तु हमारी जेब पर प्रभाव जरूर है। आखिर जेबें तो हमारे पास भी हैं। पेट तो हमारे पास भी है?
हमें दिखाई ही नहीं दे रहा है कि हमारा क्षेत्र कितनी विषम परिस्थितियों से गुजर रहा है। मुख्य मार्ग से पकड़ीतर जाने वाले रास्ते पर जीवन नर्क से बत्तर हो गया है, पैदल चलना मुश्किल है वह हम पत्रकारों को दिखाई नहीं ले रहा है। गहमर के बाजारो, बैंको में सोशलडिक्टेनसिंग/ मास्क की खुले आम धज्जियां उड़ाई जा रही है वह हम पत्रकारों को दिखाई नहीं दे रहा है। गहमर रेलवे स्टेशन रोड को खोद कर छोड़ दिया गया है वह दिखाई नहीं दे रहा है। स्टेशन रोड पर जल-जमाव में बिजली के जर्जर तार रोज टूट रहा है वह हम पत्रकारों को दिखाई नहीं दे रहा, हम तो हादसे का इंतजार कर रहे हैं। पूरा गाँव गंदगी के आलम में त्राही-त्राही कर रहा है बिमारीयों का खतरा फैला हुआ है वह हमें दिखाई नहीं दे रहा है। आज कल हमारे चश्में में पुलिस ही पुलिस है।
और दिखाई दे रहा है भाजपा विधायक और जिला पंचायत के बीच शीत युद्ध, जिसे हम भुनाने में लगे हैं।
हमारे लिए जन समस्या और आम आदमी तो बिल्कुल दूध में गिरी मक्खी के समान है। आम आदमी की सुन कर करेगें भी क्या? पुलिस के खिलाफ मोर्चा खोलेगें तो देवल बारा बार्डर से शराब व गौ तस्करी और बालू ओवरलोडिंग में हम हिस्सा पायेगें। विधायक-जिला पंचायत के शीत युद्ध में पड़ेगे तो कुछ इधर से कुछ उधर से पायेगें। आने वाले पंचायत चुनाव के भावी प्रत्याशियों के साथ चलेगें उनकी बात सुननेगें तो भविष्य सुनहरा होगा। आम आदमी मरता है तो मरे अखंड गहमरी को बस अपनी जेब से मतलब है।

अखंड गहमरी

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