रविवार, 15 अक्टूबर 2017

मेरी अंग्रेजी

गाधी, भगत सिंह जैसे सारे स्वतनत्रता संग्राम सेनानी मिल कर भी जब अंग्रेजो को नही भगा सके तो सबका दिल टूट गया। भारत के भविष्य को लेकर सारे परेशान थे। अखंड भारत की अखंडता वापस आने का सबका अरमान दिल में रह गया था। उसी समय भारत का दिल कहे जाने वाले गहमर में अखंड गहमरी के रूप में मैने ''अवतार'' लिया। मेरे अवतार लेने की खबर चारो तरफ फैल गई, अभी मैं अवतार लेकर घर के बाहर पान खाने निकला ही था कि गाँधी , पहुँच गये, उनके साथ भगत जी, आजाद जी, चन्द्रेशखर जी, सब थे।।
गाँधी जी ने मुझे पूछा कैसे हो..
मैने कहा,, आई ऐम बहुत अच्छींग बट यू बताईंग आप कैसे हैइंग।।
मेरी अंग्रेजी सुनते गाँधी जी प्रसन्न हो गये और कहा .अब भारत आजाद होकर रहेगा और वह पहुँच गये अंग्रेजो के पास और बोले कि अगर आपको भारत में रहना है तो आपको अखंड के साथ अंग्रेजी में बात कर जीतना होगा नहीं तो भारत छोडना होगा। अंग्रेज तैयार हो गये..
मेरे साथ अंग्रेजो की जंग हुई मैने पहुचते ही अंग्रेजो से कहा....
यू आर कइसन काइसन खराब खराब काम करिंग, वी आर परेशान होईंग।

इतना सुनते ही अंग्रेजो का माथा घूम गया और उन्होनें कहा
my फादर माफ करो तुम भारत में रहो, ऐसी अंग्रेजी बोलो और पढो हम चले वापस इग्लैन्ड।।
इस प्रकार मेरी अंग्रेजी से प्रताड़ित होकर अंग्रेज भारत से भागे।।मगर कमीने जाते जाते चाल खेल गये, अखंड भारत को खंड खंड कर गये।। ख़ड खंड कर गये।

अखंड गहमरी

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