रविवार, 15 अक्टूबर 2017

चित्रहार

समझना है नहीं आसान उनकी मुस्‍कुराहट को
जला भी मुस्‍कुराये वो, मिटा भी मुस्‍कुराते हैं।

अखंड गहमरी गहमर गाजीपुर

अखंड गहमरी updated his status.
करू मैं प्‍यार की बातें, कहूँ उनसे लिपट मुझसे।
मगर क्‍यों बात दिल की वो, छुपा दिल में न कुछ कहते।।
अखंड गहमरी updated his status.
कदम अपने बढ़ा कर वो, नहीं क्‍यों साथ देते हैं।
यही तकदीर क्‍या मेरी, समझ वो चाह चुप रहते।
बताना तो उसे चाहा, हमेशा हाल दिल का मैं।
गवाही दिल न दे मेरा, डरें वो रूठ मत जाये।
 

मुझे आशिक दिया है नाम जिसने ये जरा सुन ले ।
न है दिल जिस्‍म में मेरे, न किस्‍मत प्‍यार पाने की ।।
 

कफन में मैं लिपट कर पास से तेरे अगर गुजरूँ।।
बता कीमत चुकाऊ क्‍या, वहॉं से दूर जाने की।
 
पलें जो भीख पर मेरे, वही गाली सुनाते हैं
बना जो प्‍यार का मंदिर वहॉं दुश्‍मन बुलाते हैं
तवायफ जिस्‍म बेचे तो, कहे उसको बुरा लेकिन
वतन जो बेचता उसको,गले हम सब लगाते हैं।
 
न जाने क्‍यों थमी साँसे, अभी तो छॉंव पे हक था।
बुलायूँगा किसे अब मॉं, भवंँर में जब फसूँगा मैं।
 

कुछ सुना दीजिए
गम मिटा दीजिए
क्‍या लिखू मैं उसे
ये बता दीजिए।।
 

दवा की चाह में जिसके गया था पास मैं वो भी।
बता कर दिल जला मुझको, नया इक जख़्म दे बैठे।।
30 March 2017 22:10
अगर वो स्वपन में भी जिन्दगी का ख्वाब कह दे तो...
भुला कर गम सभी अपने, हकीकत में बदल दूगाँ।।
30 March 2017 11:22
हमेशा राह उसकी देखा, उसने कुछ नहीं बोला
कभी भी जिन्‍दगी के राज उसने क्‍यो नहीं खोला
किसी से प्‍यार करने का नही है हक मुझे लेकिन
न देखू एक दिन उसको, बने दिल आग का गोला।।
 

मिले गर जख्‍़म कुछ मुझसे, उन्‍हें तुम भूल मत जाना।
मुझे ऐसी सजा देना, तड़पता ही रहूँ हर दम।।
अखंड गहमरी

भरोसा अब न करना जिन्‍दगी का दोस्‍त मेरे तुम।
न जाने बंद कब हो ऑंख मेरी मैं चला जाऊँ।।
अखंड गहमरी

न सपने ही किया पूरा, न कोई गम मिटा पाया।
किया था प्यार म़ै जिससे, न चाहत ही जगा पाया।।
अखंड गहमरी

न कोई चाह दिल में अब, न सुख को ही तलाशूँ मैं।
न मिलती मौत है जब तक, मुझे तन्‍हा ही रहना है।।

अखंड गहमरी,

पता जब से चला उनको, वही है जिन्‍दगी मेरी।
नज़ाकत आ गई उनमें, वो मुझसे दूर रहती हैं।।
अखंड गहमरी

अगर ले जा सका तो मैं तुम्हारी याद ले जाऊँ।
नहीं फिर आपकी दुनिया में मैं तो लौट कर आऊँ।।
बचा कर अश्क अपने आप अपनो के लिए रखना..
गिरे गर अश्क मुझ पर तो, नहीं मैं चैन पाऊँगा।
अखंड गहमरी।।।
30 April
अखंड गहमरी updated his status.
भराेसा जुल्‍फ वालो का अगर तुमने किया तो फिर ।
कटोरा हाथ लेकर जिन्‍दगी भर तुम खुशी मॉंगें।।

अखंड गहमरी
अखंड गहमरी updated his status.
न लेना प्‍यार का तुम नाम, ये पागल बना देती।
दवा मिलती नहीं इसकी, न जाने कब रूके सॉंसे।।

अखंड गहमरी
अखंड गहमरी updated his status.
बची है चार दिन की जिन्दगी वो छीन लो तुम अब।
ज़हर खा कर मरा तो दोष तुमको दे बैठेगें सब।
मिलेगा चैन फिर मुझको, नहीं तड़पू वहाँ भी मैं..
न जाने बात मेरी मान कर तुम मौत दोगी कब।।

अखंड गहमरी
अखंड गहमरी updated his status.
मुझे वो दूर होकर दर्द से पहचान करवाये।
जलाते किस तरह से दिल, जला कर मुझको दिखलाये।
न करना प्यार अब तुम जिन्दगी में प्यार की खातिर-
लगा कर आग खुशियों में, मुझे वो आज सिखलाये।।

अखंड गहमरी।।
अखंड गहमरी updated his status.
सितारो को कहाँ हक है, करे वो चाँद से शिकवा।
उसे तो चाँद की महफिल, में बस खुद को सजाना है।।
अखंड गहमरी
April 2017
30 April
नहीं है प्‍यार करने का, मुझे हक भूल ये बैठा।
पड़े साया जहॉं मेरा, वहॉं बस शूल उगते हैं।
अखंड गहमरी
 
जरा लब खोल दो अपने, सुना दो बात दिल की तुम।।
चले जाना जरा रूक कर, अभी तो रात बाकी है।
अखंड गहमरी
 
एक ग़ज़ल.....काफी लम्बे अन्तराल के बाद...

मुझे वो प्यार करती है,जमाने से मगर डरती।।
हजारो बात है दिल में, सुनाने से मगर डरती।।

वफा की बात पर मेरे, भरोसा दिल करे उसका।
जुब़ा वो खोल कर बाते, बताने से मगर डरती।।

हजारो रंग के सपने , बुने मेरे लिए उसने।।
दिखाना चाहती मुझको, दिखाने से मगर डरती।।

न आई चाहते मुझमें, कहा नैना झुका मुझसे।।
लिपटना चाहती है वो , लिपटने से मगर डरती।।

तड़पती प्यार म़े वो भी, हकीकत गहमरी समझो।
मिटाना चाहती दूरी, मिटाने से मगर डरती।।

अखंड गहमरी
 
काफी लम्‍बें अन्‍तराल के बाद एक गी‍त लिखने की कोशिश

तड़पता हूँ तड़प दिल की, मिटाने तुम चली आओ।
लगी है आग दिल में जो, बुझाने तुम चली आओ।।

न दिल जलता, न जाती याद, ये है जिन्दगी कैसी।
तड़प दिल की न मिटती है, चुभे वो शूल के जैसी।।
मुझे गर प्यार के काबिल , न समझो तो मिटा देना।
ख़ता मत माफ़ करना और मुझको तुम सज़ा देना।।
कहे जो दिल अभी मेरा, सुनाने तुम चली आओ।
तड़पता हूँ तड़प दिल की, मिटाने तुम चली आओ।
लगी है आग दिल में जो, बुझाने तुम चली आओ।

खफा है लेखनी भी क्‍यों, नहीं मालूम है मुझको।
बता दो दोष मेरा तुम अगर मालमू है तुमको।।
कहे दुनिया न रोता हूँ, हकीकत पर न जाने सब
न है जब अश्‍क ऑंखो में गिरेगें वो कहॉं से अब
नही वो प्‍यार देती है, दिलाने तुम चली आओ
तड़पता हूँ तड़प दिल की, मिटाने तुम चली आओ।
लगी है आग दिल में जो, बुझाने तुम चली आओ।।

सुबह से शाम तक मैं जाम पीता ही चला आया।
नशे में डूब कर भी मैं नहीं उसको भुला पाया
गिरा हूँ याद में उसकी, बदन भी जल रहा मेरा
मगर उसने नहीं पूछा, बताओं हाल क्‍या तेरा ।।
मुझे बस चैन की नीदें,सुलाने तुम चली आओ
तड़पता हूँ तड़प दिल की, मिटाने तुम चली आओ।
लगी है आग दिल में जो, बुझाने तुम चली आओ।।

अखंड गहमरी
 
 
लगेगी आग दिल में जब, नजारा आप देखेगें।
अभी तो दर्द का मुझको, ठिकाना खोज लेने दें।।
अखंड गहमरी।। 
 
7 May 2017 00:36
बताओ दिलजले मुझको, कहा से दर्द लाते हो।
बडे़ ही प्‍यार से पूछा, किसी ने आज ये मुझसे।।
अखंड गहमरी
 

न कोई दर्द दे दिलको, मगर ये मिल ही जाता है ।
छुपा कर लाख रख ले, अश्‍क ये छुप ही न पाता है।।
किया अब प्‍यार दिल ने तो, उसे खुद मैं जला दूगॉं -
मिलेगा दर्द उसको प्‍यार में क्‍यों समझ न पाता है।

अखंड गहमरी।।
 
ज़हर से मारने का अब ,जमाना लद गया यारो।
मरेगा वो तड़प कर उससे, करो बस बेवफाई तुम।।

अखंड गहमरी
 
तुम्‍हारे पास हूँ मैं आज भी वो छुप के है कहती।
सही है बात ये उसकी, हमेशा पास ही रहती ।।
मगर आवाज जब देता उसे मैं माँ कभी कह कर..
न मेरे सामने आती, नदी आँखो से है बहती ।।
अखंड गहमरी।।

न जाने क्‍यों थमी साँसे, अभी तो छॉंव पे हक था।
बुलायूँगा किसे अब मॉं, भवंँर में जब फसूँगा मैं।
अखंड गहमरी।।
 
 
 
 
 

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