मुझे पागल समझ कर वो, गली से भाग जाती है।
बुलाये लाख लेकिन वो, नहीं फिर पास आती है।
जलाने का मुझे इक वो, नया अंदाज है सीखी
उसे मैं देखता जब भी, दरोगा को बुलाती है।।
करूँ कैसे मुहब्बत मैं, मुझे कोई बता देता।।
लिखा है गीत इक मैने , उसे कोई सुना देता ।।
कभी आटा मेरा गीला न, होता इस गरीबी में
उसी के कार का चालक, मुझे कोई बना देता।।
शहर में अब कभी उसके, न दिल अपना जलाऊँ मैं
दिला लो प्यार मेरा तुम , यहॉं कहने न आऊँ मैं।।
पता अब चल गया मुझको, यहाँ हर शख्स आशिक है-
जले जब प्यार में सब तो, न चाहें प्यार पाऊँ मैं।।
अखंड गहमरी गहमर गाजीपुर
लिखा है गीत इक मैने , उसे कोई सुना देता ।।
कभी आटा मेरा गीला न, होता इस गरीबी में
उसी के कार का चालक, मुझे कोई बना देता।।
शहर में अब कभी उसके, न दिल अपना जलाऊँ मैं
दिला लो प्यार मेरा तुम , यहॉं कहने न आऊँ मैं।।
पता अब चल गया मुझको, यहाँ हर शख्स आशिक है-
जले जब प्यार में सब तो, न चाहें प्यार पाऊँ मैं।।
अखंड गहमरी गहमर गाजीपुर
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