गुरुवार, 12 अक्टूबर 2017

मेरे मामा जी

वाह मामा वाह मैं खूब समझ रहा हूँ आपकी चाल को, मगर कर क्‍या सकता हूँ, कुछ नहीं न, आप माई जी के भाई जी जो ठहरे, पापा भी कहते है सिकन्‍दर हैं आप, तो मैं सिकन्‍दर का क्‍या बिगाड़ लूगॉं। आज उस बात का जब मुझे बाजार में आइसक्रिम दिलाने के बहाने मोटरसाइकिल पर बैठा कर उस मोटी के दुकान पर ले गये और मुझे आइसक्रिम दिला कर कोने में उससे हँस हँस कर बात कर रहे थे, मैने ये बात नाना को बताई तो जो हुई आपकी ठुकाई, वो बात आपसे भुलाने से भी नहीं भुलाई, अब आपके रेश्‍म जैसे बाल रंगबाज होकर भी आपसे विदा हो गये, चॉंदी जैसी चमक आ गयी, तब आप मुझसे बदला दे रहे हैं, मेरी प्रेमिका को जुदा कर रह हैं, वाह मामा वाह, मेरा प्रेम आपको देखा नहीं क्‍या न जाने किसने आपका नाम प्रेम रख दिया, आपका नाम तो कसाई होना चाहिए था।
आज तो प्रेम ही प्रेम का दुश्‍मन हो गया है मामा, चाहे वह प्रेमिका से प्रेम हो या हिन्‍दू तीज-त्‍यौहारों से, उसकी सम्‍यता और संस्‍कृति से, उसके धर्म से या हिन्‍दू त्‍यौहारो के रूप से। आप को बुरा नही लग रहा होगा, आप के राज में यह सब हो रहा है, न्‍यायालय हो या पुलिस सब तो अापकी है, मैं बाग में बेैठूँगा तो पुलिस से पिटवाओंगें, वो मुझसे पटाखें मॉंगेगी तो कोर्ट से पटाखें बंद करा दो गये, वह मुझसे दही डाडी फोड कर कला दिखाने की बात करेगी तो भी आप उसे कोर्ट से रोकवा दोगें, आखिर क्‍यों कर रहे हो मामा ऐसा, अरे मामी से आपका झगड़ा हो रहा है तो बताओं न घर की बात है हम आपस में ठीक कर लेगें। हर खुशी देगें आपको लेकिन आप क्‍यों उनके प्रेम में पागल हो रहे हो जो कभी आपका घर लूटने आये थे, और भाई बन कर आपके घर को बॉंट लिये। ऐसा नहीं करते मामा। अपने अपने ही रहेगें गैर गैर ही। आप हमें तो अपने प्रेम की मंजिल पाने दो मामा, ये हमारा घर है मामा, हमारे मन को रख लो मामा, मेरी प्रेमिका राम मंदिर में जाना चाहती है वहॉं आप के न्‍यायालय ने रोक रखा है, मस्जिदों का फैसला तो आपकी न्‍यायपालिका तुरन्‍त कर देती है, और मंदिर का करने को उसके पास समय और सबूत नहीं है। मेरी प्रेमिका जो काश्‍मीर से आई है उसका वहॉं घर था वह जाना चाहती है तो न आपकी सरकार उसे वहॉं भेजती है और न आपका न्‍यायायल, जब की काश्‍मीर के ही पत्‍थरबाजो पर उसका दिल तुरन्‍त पिद्यल जाता है।
अब बताओं मामा कैसे कटेगी मेरी जिन्‍द़गी, बड़ी मुशकिल से तो ये प्रेमिका मिली थी, मुझे घास डाल रही थी मगर आपको तो मेरा घास खाना भ्‍ाी नहीं देखा गया, पता नहीं किसकी नज़़र मेरी प्रेमिका को लग गई, कीड़ पडे उस जज के मुहँ में जिसने भगवान की प्रतिमाआें को तालाबो में विसर्जित करने का तुगलकी फरमान तो दे दिया, मगर न पानी की व्‍यवस्‍था की न उसकी गंदगीयों को दूर करने की, पास की तालाब से गुजरते वक्‍त ऐसी उल्‍टी हुई कि हम दोनो का प्रेम हवा हो गया, लो यहॉं भी प्रेम आ गया। आखिर जब हर जगह प्रेम आ रहा है तो क्‍यों नहीं न्‍यायपालिका को प्रेम आता है हिन्‍दुओं पर, जो पूरी वैदिक परम्‍परा को मिटाने पर तुलने है। सही है प्रेम के दो दुश्‍मन एक प्रेम अौर दूसरे न्‍यायालय। मामा अब मान जाओं बहुत हो चुका मेरे प्रेम पर नज़रे लगाना छोड़ दो, चाहे वो प्रेमिका से मेरा प्रेम हो या मेरे हिन्‍दू रीति रिवाजो से मामा, नहीं तो जानते नहीं हो आप मेरा नाम भी अखंड गहमरी है, मैं आपको कंस मामा, कंस मामा, कंस मामा कहना शुरू कर दूगॉं, कंस मामा की कंस सरकार, कंस मामा की कंस सरकार, कसं मामा का कंस न्‍यायालय, कंस न्‍यायालय।

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