कुछ दिनो पहले तक गहमर रेलवे स्टेशन रोड तारकोल की अच्छी खासी सड़क थी। जिस पर जाड़ा गर्मी बरसात बड़े ही आराम से चला जा सकता था। हाँ बरसात के समय में जल जमाव जरूर होता था। इस अच्छी खासी सड़क का सुन्दरीकरण के नाम पर 90 लाख रूपये में पुन:निर्माण का काम मिला लक्ष्मी गुप्ता नाम के एक ठीकेदार को। जिसने बड़े ही शान से इस सड़क को उखाड़ कर रख उस पर मिट्टी डलवा दिया। सड़क की हालत ऐसी है कि पैदल चलना भी मुशकिल है। काम बंद है पता चला कि बजट नही है इस लिए काम बंद है। जब हर आदमी जान रहा है कि इस समय सरकार कोई गैर अति जरूरी काम नहीं रही तो क्या इस सनकी पागल ठीकेदार लक्ष्मी गुप्ता को यह पता नही था ? क्या उसे नही मालूम था कि कोरोना काल में बजट सजट का कोई ठीक नहीं है? क्या उसे यह नहीं मालूम था कि यह सड़क उसके लिए लूट-खसोट के कारण अहमित रखती है मगर वर्तमान समय में सरकार के निगाह में यह गैर आवश्यक कामो में है। जरा भी दिक्कत नही कर रही थी यह सड़क।
इस सड़क के निर्माण के शुरूआत में जो भ्रष्टाचार और लूट की जो पराकाष्ठा पार कर किया उसकी तो आज नहीं तो कल होगी ही जाँच होगी ही, मगर इस सड़क के ठीकेदार के बारे में मुझे जो जानकारी है लगता था भाजपा शासन में इनके पूर्व के कार्यो की समीक्षा होगी और ठीके तो दूर इनको ब्लैक लिस्टेड कर दिया जायेगा, परन्तु कमीशन में बहुत दम है साहब।
जो भी हो एक पागल सनकी ठीकेदार के कारण कितनो को फजीहत का सामना करना पड़ रहा है इसकी तो गणना ही नही है। ऐसे मनमाने काम करने वाले ठीकेदारो की असली जगह जेल की सलाखे हैं।
अंखड गहमरी
मंगलवार, 3 अगस्त 2021
पागल ठीकेदार
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