बुधवार, 4 अगस्त 2021

वाइफ होम के मेहनत को आग

 न जाने किन ख्यालों में खोया मैं अपनी वाइफ होम के मेहनत को आग लगा रहा।  मैं लक्ष्मी वाहन भूल गया कि दुर्गा वाहन की भाँति यदि अचानक मेरी वाइफ होम यहाँ प्रकट हो गई  तो फिर वही सवाल खड़ा हो जायेगा '''तेरा क्या होगा रे कालिया''? आज पौ-फटने के पहले ही  फूल सी, हिरनी ःःवँलक्षः््धसी चालो वाली, कोयल सी बोली वाली, जाने जिगर मेरी पहली पूर्व प्रेमिका गजगमिनियाँ, वाटस्एप मैसेज भेजा था कि ''आज रैली में जाना है, समय से आकर मेरे भाषण को लिख कर उनकी चमचागिरी की चाशनी से नहला कर अमूल का मक्खन लगा देना'' । इतने पर तो बात बन भी जाती आगे लिखा था ''मुझे भी अपनी डेंटिग-प्रेटिंग करानी है इस और मेरे खटखटिया बलम तुम्हारी ही आँखों से तो खुद को देखूँगीं'' , चले आना।
अब पौ फटने के पहले इतने प्रेम की भाषा से मन-मिजाज हरा नीला पीला होगा। पहला काम किया मैसैझ को पढ़ कर डीलिट किया, उसके बाद तो समझ लीजिये कि पैर-हाथ जो चले घिरनी फेल। आधे घंटे में झाडू-बर्तन, आटा-मसाला कर बैठा, चाय लेकर अपनी परमपूज्य, देवी तुल्य , अपनी खूबसूरत वाइफ होम के शयनकक्ष कक्ष के प्रवेश द्वार पर दस्तक दिया। अन्दर से मधुर ध्वनि ब्रह्मांड में विचरण करने लगी, ''आ जाओ'', मैं चाय लिये पहुँच गया।
कल्पना से विपरीत देखा तो वह मेरे गले पर झूल गई, अब यह उसकी प्यार की अदा थी या मेरे गर्दन को तोड़ने का पूर्वाभास? जाकर गहन अध्ययन करना पड़ेगा। लब खुले
मेरे खटखटिया बलम, आई लव यू , मैं जमीन पर गिरते गिरते बचा, पूरब देखा फिर पश्चिम, कानो पर छपकी दी, मुझे मिटिंग में जाना ...आगे की उसकी बात सुनने से पहले दो पाटन के बीच में पिसने की कल्पना से ही बर्फ हो गया
मिटिंग में जाना...बड़ी मुश्किल से ''है'' सुन पाया। मेरे कपड़े निकाल कर प्रेस कर दो, मेरी कुछ जान लौटती, बाथरूम में रखें कपड़े धुल देना,  जान कुछ और लौटी, डर इस बात का बढ़ता जा रहा था कि कहीं साथ चलने का फरमान न निकल जाये, फिर क्या होगा गजगमिनियाँ का?  घर में रहना ही रहना, मेरे जाते आवारागर्दी मत करने लगना। कह कर वह कमरे से निकल गई,जान बची तो लाखो पाये, मैं मन ही मन खुश आलमीरा से उसके कपड़े निकलने लगा, तभी बगल में रखे मेरे दहेजूए कोट ने कहा भाया गहमरी जरा मुझे भी निकालो, एक बार के बाद खुली हवा में साँस लेने को तरस गया।  उसके बाद तो फिर वही हुआ जो नहीं होना चाहिए, गजगमिनियाँ के डेटिंग-पेटिंग के बाद कही मैं मखमल में टाट का पैबंद न लगूँ मैं गोदरेज से एक कपड़ा निकलता गले से लगातार फिर फेंक देता आलम यह हो गया कि भावावेश में अपने तो अपने उसके कपड़े भी गले तक लगा कर देखने लगा। वाइफ होम की मेहनत को फलीदा लगा कर खड़ा ही हुआ था कि जोर की आवाज आई ये क्या हो रहा है? सारे कपड़ों का सत्यानाश कर दिया। मैं तो सूखे पत्ते की भाँति काँप उठा।
बोलते क्यों नही? ये क्या किया?
वो सत्या की शादी...मेरे वाक्य पूरा करने  से पहले वह बोली
सत्या की शादी?  क्या सत्या की शादी ?
वो सत्या की शादी में जाना है न तो देख रहा था कौन से कपड़े पहन कर जाऊँगा। खैर मेरी जान परेशान न हो मैं समेट देता हूँ।
सत्या की शादी तो 26 अप्रैल को है न?
हाँ? मैनें चहक कर कहा।
खुश तो ऐसे हो रहे हो जैसे तुम्हारी ही शादी हो रही हो।
नहीं ऐसी बात नही है, बहुप्रतिक्षित शादी है न?
हाँ लेकिन हो जायेगी? हाँ उसने तपाक से कहाँ।
क्यों, ऐसी क्या बात है? मैने पूछा।
जैसे  जैसे सत्या की शादी के दिन करीब आ रहे हैं, कोरोना बंगाल, आसाम को छोड़ कर हर जगह बढ़ रहा है, लाकडाउन बढ़ रहा।
उसकी बातें सुनकर तो मेरा दिमाग हवा हो गया, अपने को संभाला बोला मोदी है तो सत्या की शादी की मुमकिन है।
हाँ देख लों टटपटटं
अब देखने को रह क्या गया है, सत्या की शादी और कोरोना का जैसे चोली-दामन का साथ हो गया मैं बोल पड़ा।
तभी मोबाइल पर मैसेज की घंटी बजी, देखा तो गजगमिनियाँ का मैसेज था, क्रोध से लाल चेहरे की इमोजी लिये बस इतना लिखा था मैं जा रही हूँ कार्यक्रम स्थल पर।
अब तो मेरी हालत पंचर क्या भ्रष्ट हो गई।
जैसै तैसे अपनी बागड़ बिल्ली के पंजे से गर्दन छुड़ाई और भाग खड़ा हुआ। मेरे भागने की स्पीड से तो पी.टी.ऊषा शरम के मारे पानी पानी हो गई।
मिनटो में मैं अपनी पूर्व प्रेमिका के सामने जंम्पिंग-जम्पिंग कर रहा था। उसे देख कर तो मेरी थकावट दूर हो गई, उसने भी अपने लट को झटका।
अब मैं ठीक उसके बगल में था, वो मंच पर चली, मेरे पर बिजली गिरी। चारो तरह गजगमिनियाँ-गजगमिनियाँ की जयकार हो रही थी, वह आगे पीछे देखे बिना शुरू हुई।
भाईयों और बहनों कोरोना की रफतार बुलेट ट्रेन की तरह बढ़ रही है।  अभी आपके शह़र में चुनाव है इस लिए कोरोना ने मोदी जी से अवकाश लिया है, परन्तु इसका मतलब यह नहीं कि होशियार न रहें और जम कर सत्या की शादी में दावत उड़ावे।कोरोना आपके शह़र से दूर लेकिन पहुँच के अंदर है।
मार्च आने के कारण अपने डी.ए. और अन्य चीज माँगने या उसकी आशा करने वाले आप मंत्री, सासंद या विधायक नहीं हैं जो कोरोना आपको छोड़ देगा, दाल रोटी खायें मगर हिसाब से हम उसे भी आपकी थाली से छीनने का प्रयास कर रहे हैं।
गजगमिनियाँ के इस शानदार भाषण से जनता की खुशी देखते ही बन रही थी, वो गजगमिनियाँ-गजगमिनियाँ कर रहे थे, मेरा दिल तो बल्लियों उछल रहा था, तभी उसने मेरी तरफ देखा और मुस्कुराई। मैं तो मरते मरते बचा।
आप देख रहे हैं कि हम ..तभी वह फिर शुरू हो गई
आप देख रहे हैं कि हम कितनी तेजी से आपके मोरल को देशहित में टाइट किये, हमने रेल का किराया बेहिसाब बढ़ाया, पैसेंजर में एक्सप्रेक्स का किया, प्लेटफार्म टिकट 50 का देश हित सर्वोपरि।
भारत माता की जय-भारत माता की जय।
गैस पर बने खाने से कई प्रकार की बिमारियां होती है, इस लिए उसके कम प्रयोग हेतु जहाँ हमने उसे हजारी बना कर आप को स्वस्थ रखा, वही हमने डीजल पेट्रोल के दाम को शतक लगवाया ताकि आप पब्लिक ट्रांसपोर्ट का प्रयोग करे और पैदल चले जिससे पर्यावरण और आपका स्वास्थ दोनो ठीक रहे..इतना कहते ही चारो तरफ से एक बार फिर तालीयों के शोर में  गजगमिनियाँ जिंदाबाद गजगमिनियाँ जिंदाबाद , भारत माता की जय भारत माता की जय के नारे गूजँने लगे।
वह रूकी और फिर मेरी तरफ देखी, मैं प्यार में पागल उसे बंद कर ढिनचुक-ढिनचुक पार्क में चल आइसक्रीम खाने का इशारा किया।
वो मुस्कुराई और बोल पड़ी..अब आप जनता जनार्दन मेरे तुलसी के रूप को याद मत रखीये, नये जोश से मेरे कोठीले जैसे रूप को आँखो में बसाईये. और फेकूँ एडं फेकूँ पार्टी को वोट करीये.. जोर से बोलीये भारत माता की जय, भारत माता की जय।
वह मंच से नीचे उतर रही थी कि जोर-दार दो अड़े ने उसके रूप की दही जमा दी, सब तो भाग खड़े हुए और मैं उसके आँखो में आँखे डाले उसके गालों की सफाई में व्यस्त हो गया, तभी न जाने कहाँ से मेरी वाइफ होम प्रकट हो गई, उसके रौद्रध्यान को देख कर मैं घर में होने वाली पिटाई का अंदाजा तो लगा लिया, मगर अभी गुड़ खाना छोड़ा नहीं जब कान छिदेगा तो देखा जायेगा।

अखंड गहमरी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें