वर्षो पहले की बात है। उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जनपद स्थित गाँव गहमर में एक रेलवे स्टेशन हुआ करता था। जहाँ देश के विभिन्न हिस्सों में जाने वाली ट्रेनों का ठहराव हुआ करता था। एक दिन अचानक गहमर रेलवे स्टेशन से रेलवे ने एक ट्रेन का ठहराव खत्म कर दिया, कोई कुछ नहीं बोला, धीरे धीरे रेलवे ने दो ट्रेनो को छोड़ सारी ट्रेनों का ठहराव गहमर से खत्म कर दिया।
इतना कह कर वो बूढ़ी औरत चुप हो गई, शायद अब उसे नींद आ रही थी।
फिर क्या हुआ दादी? बच्चे ने उत्सुकतावश पूछा। वह अभी सोने के मूड में नहीं था, उसे तो कहानी सुननी थी।
चलो सुबह सुनाऊँगी
नहीं अभी सुनना है।
ट्रेने खत्म होती गई और उस गाँव के लोग फेशबुक और अन्य जगहो पर आपस में लड़ते रहे। एक दूसरे पर आरोप लगाते रहे और..
ऐसा क्यों दादी ट्रेनें तो सबको नानी घर जाने के लिए चाहिए थी, बच्चा बीच में ही बोल पड़ा।
हाँ सबको चाहिए थी, मगर राजनीति और विरोध कर महान भी तो बनना था, लड़ाई में अहम और हम दोनो दिखाना था न, दादी ने शांत भाव से कहा।
आगे क्या हुआ दादी, बच्चा बोला।
गहमर के लोग एक दूसरे पर टालते रहे, कुछ करने की जगह बाते बनाते रहे। अपने को बड़ा गाँव और ये बहुल्य तो वो बहुल्य बताते एक दूसरे की टाँग खिचते रहे, लेकिन कोई भी रेलवे के खिलाफ आंदोलन का बिगुल नहीं फूँक पाया। सब घरो में बैठे देखते रहे। कोई बढ़ कर कुछ करना भी चाहा तो उसे लोग पुलिस का डर दिखा देते।
ये पुलिस का डर क्यों दादी, हमारी किताब में तो लिखा है कि हम अपने अधिकार के लिए लड़ सकते हैं, शांतिपूर्वक।
हाँ बेटा सही कह रहे हो, लेकिन गहमर के लोग उस मुर्गे के समान थे जो अपने कटने की बारी आने पर ही चिल्लाते थे, सार्वजनिक हित में उन्हें कमियाँ दिखाई देती थी, इस लिए वह डरते थे।
आगे क्या हुआ दादी? बच्चे ने उत्सुकता से पूछा।
अब सबकी समस्या बढ़ने लगी थी, ट्रेन पकड़े के लिए 500 और आने के लिए 500 देने लगे, बूढ़े बच्चे औरते परेशान होने लगी मगर कोई बोलने वाला नहीं था। रेलवे ने स्टेशन को हाल्ट बना दिया जो आज तक चल रहा है।कहते हुए उसकी आँखो में आँसू आ गये।
तभी वह बच्चा उठ कर बैठ गया, दादी के आँखो से आँसू पोछते बोला '' दादी हम कायर नही, जरा बड़ा होने तो हम दुबारा अपने स्टेशन को वापस लेगें''।
दादी उसे देखते रह गई, उसका सर चूम कर उसे अपने बाँहो में भर लिया।
अखंड गहमरी
मंगलवार, 3 अगस्त 2021
वर्षो पहले की बात है दादी की कहानी
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