शहर के आप हैं मोती, हवा ने भी बताया है।
मगर स्वागत करें कैसे, नहीं मुझको सिखाया है।।
बगीया से चुना मैनें, सुबह ही फूल कुछ प्यारे।
तुम्हें अर्पण है ये माला, जिसे उनसे बनाया है।।
समय ये आज है ऐसा, हुए अपने पराये पर ।
यहॉं पर आप सब आकर, के मुझसे दिल मिलाया है।
बड़ा अनमोल है ये पल, न फिर लौटेगा जीवन में।
नमन है आप सबको जो, मुझे यह पल दिखाया है।
कदम तेरे पडे़ ऐसे, हुई है धन्य ये धरती।
यही राजीव की पूँजी, जो जीवन भर कमाया है।
बोल गज़ल के चेक कर लें, तब आगे कुछ करें
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