अखंड गहमरी: भाग एक
गहमर इंटर कालेज गहमर और अखंड गहमरी
आषाढ़ माह में किसानो को अपनी खेती के साथ-साथ बच्चो की पढ़ाई का भी कार्य देखना पड़ता है।
इस कोरोना काल के दौरान खाद्यान्न दवा छोड़ कर सारे व्यवसाय पूरी तरह बर्बाद हैं।
सरकारी नौकरी व पेंशनभोगियों पर भी संकट कम नहीं। जिनके घर दो कोरोना पेशेंट हो गये और दस दिन ही हास्पिटल में रह गये, वह तो पूरी तरह बर्बाद हैं।
आज इन विषम परिस्थिति में चार साल पूर्व गहमर इंटर कालेज के पूर्व कमेटी को भवन शुल्क के नाम पर, दुर्यव्यवस्था के नाम पर कटघड़े में खड़ी करने वाली गहमर इन्टर कालेज की इमानदार , स्वच्छ छवि वाली कमेटी, अभिवावक संघ और विद्यालय प्रधानाचार्य अब खुद कितना जनहित, छात्रहित का कार्य कर रहे हैं, बताने की जरूरत नहीं है।
जब मैने विद्यालय प्रशासन से कहा कि इस आर्थिक मंदी के दौर में किसान, मजदूर , व्यवसाई सब परेशान हैं, भवन शुल्क को केवल जो अध्यापक रखे गये हैं नीजी तौर उनके मानदेय इतना लेकर शेष इस वर्ष के लिए माफ कर दिया तो इस पर जो जबाब आया वह मैं आपको क्रमवार बतायूँगा।
अखंड गहमरी
[7/8, 15:57] अखंड गहमरी: भाग-3
गहमर इन्टर कालेज गहमर के दूसरे त्रिदेव लाचार अध्यक्ष मृतुंजय सिंह
आना तो पहले नम्बर पर चाहिए लेकिन दूसरे नम्बर पर आ गये विद्यालय के अध्यक्ष मृंतुजय सिंह जी।
बेचारे के पास कई जिम्मेदारीयाँ हैं। पटना की दुकान, गोपाल राम गहमरी संस्थान और विद्यालय की अध्यक्षई। अब वह समय दें तो कहाँ कहाँ? विशेष आयोजनों पर विद्यालय मेहमान की तरह पहुँचते हैं। इनसे उनसे बातें सुनते हैं। विद्यालय के कटरा प्रवंधक जो आर एस एस विचारधारा के है और प्रधानाचार्य जो एक दल के शिक्षक हित दल के पदाधिकारी हैं दोनो के बीच फंसते निकलते हैं और चंद घंटे अपने कर्तव्य की किताबी इतिश्री करने के बाद शाम को पटना पैसेंजर पकड़ कर मुस्कुराते लौट जाते हैं। आखिर वहाँ तो व्यवसाय है। बंद का मतलब घाटा, क्यों एक रूपया नुकसान हो। अब विद्यालय की समस्या गहमर रहें, बच्चों अभिवावको के बीच जायें तो पता चले कि गंगा में कितना पानी है। उनके अध्यक्ष पद में कितना पावर है? कितना प्रयोग करते हैं? नही करते तो क्यों नहीं करते यह तो समझ से परे है। ऐसा लगता है कि विद्यालय के अध्यक्ष न होकर कोई कठपुतली हों जिसकी डोर कहीं छोर कहीं।
विद्यालय के विल्डिंग फीस पर जब भी बात करो तो बस एक ही जबाब कि देखते है-देखते हैं, अभी तो हम लोग लगे हैं कि जो अध्यापक विद्यालय में रखे गये हैं उन्हें न्यूनतम दैनिक मजदूरी के समान मानदेय दिया जाये।
अब अध्यापकों को न्यूनतम दैनिक मजदूरी मानदेय देने के लिए भी अभिवावको के सर पर बोझ डालना कहाँ तक उचित है यह तो वही बतायेगें। अध्यक्ष होने के कारण वह नेताओं, मंत्रीयों, व्यापारियों इत्यादि से भी तो सहयोग प्राप्त कर सकते हैं।
लेकिन नहीं करते क्योंकि ये करने के लिए विद्यालय में मौजूद रहना होगा, लोगों को बुलाकर हकीकत दिखानी होगी, विश्वास में लेना होगा, और इतनी जहमत पाले कौन तो उससे अच्छा है बच्चों अभिवावकों को रगड़ो।
अखंड गहमरी
[7/8, 15:57] अखंड गहमरी: भाग-4
गहमर इंटर कालेज के त्रिदेव में तीसरे त्रिदेव विद्यालय के प्रधानाचार्य मारकंडेय यादव की तरफ जिनकी आँखो में दिमाग में फिट है
*अब चलते हैं गहमर इंटर कालेज के तीसरे त्रिदेव की तरफ जिनका नाम हैं श्री मारकंडेय यादव जी आप गहमर इंटर कालेज प्रधानाचार्य हैं।
किसी विषय पर बात करने पहुँचो तो यह युवा स्मार्ट लुक प्रधानाचार्य मुस्कान से ऐसा स्वागत करते हैं कि आधी बात और आधी गर्मी तो आपकी वैसे ही खत्म, उसके बाद आप प्रश्न क्या करेगें आप की समस्या पर आपको ही कहेगें आप खुद को मेरी जगह रख कर देखीये। आप बात करने पहुँचेगें गरीबी रेखा पर और वह आपको घेर कर बात करेगें रेखा की गरीबी पर।
दिमाग के तेज और आँखों में एक्सरे मशीन लगाये यह प्रधानाचार्य महोदय राह देखते हैं कि कौन इनके पास आकर अपनी बेवसी बता कर शुल्क माफी की बात करता है। वह अपने आँखो और दिमाग में लगे मशीन से उसकी वास्तविक स्थिति का सटीक मुल्यांकन कर लेते हैं।
जब मैनें कहा कि आपके सामने मेरी बड़ी इमारत है , समाजिक पहुँच है। आपने देखा है बड़ा व्यवसाय है तो आप तो मेरा अंदाजा आर्थिक सम्पन्नता में लगायेगें जबकि दो साल से मेरा व्यवसाय डूबा है, खाते में 46 रूपया है यदि मेरे दो बच्चे पढ़ रहे हैं तो कैसे जमा होगा?
गुरू जी ने मंद मंद मुस्कुराते हुए जबाब दिया '' अजी आपका क्रेडिट है मार्केट में'।
यानि आपको फीस चाहिए भले ही मैं कर्ज लेकर दूँ।
हमारे प्रधानाचार्य महोदय बिल्कुल मैनेजमेंट के सच्चे सिपाही की तरह भवन शुल्क के खर्च भी आप को गिना देगें।
पहला खर्च तो विद्यालय में आरो मशीन लगनी है। ठीक है भाई मशीन लगवा दो बच्चों के पैसे से, मगर शर्त यह रहेगी स्कूल के अध्यापक और विद्या प्रचारिणी सभा के पदाधिकारियों व सदस्यों को एक बूँद पानी नहीं पीना होगा, क्योंकि दायित्व तो उनका है। दूसरा खर्च साहब बताते हैं कि तीन साल से विद्यालय में सेंटर नहीं था, इस बार सेंटर आ रहा है इस लिए डबल सी.सी.टी.वी. कैमरा लगना है।
लो कर लो बात भाई, स्कूल का सेंटर मास्टरो की लापरवाही से गया और सी.सी.टी.वी. कैमरा लगेगा अभिवावको की गाढ़ी कमाई से. यानि करे कोई भरे कोई।
मुझे तो इस बात का डर है कि कही स्कूल के अध्यापको व विद्या प्रचारिणी सभा के सदस्यों व पदधिकारीयों के घर बच्चा पैदा होने पर थर्ड जनरेशन को देने और सोहर का पैसा भी भवन शुल्क से मत ले लिया जाये।
विद्यालय के प्रधानाचार्य महोदय भी अपने कटरा मैनेजर के फैसले पर अंगद के पैरो की तरह जमे दिखते हैं। आखिर जमें क्यों नहीं? चोली-दामन का साथ जो ठहरा।
अखंड गहमरी
[7/8, 15:57] अखंड गहमरी: भाग-2
गहमर.इंटर कालेज के त्रिदेव में प्रथम त्रिदेव कटरा मैनेजर मारकंडेय सिंह ऊर्फ मारकंडेय बाबा . बच्चों पर नहीं दिखती इमानदारी ।
गहमर इंटर कालेज के प्रवंधक की बात करूँ तो इन्हें कटरा प्रवंधक या इस्तीफा प्रवंधक ही कहना उचित होगा।
इस्तीफा प्रवंधक इस लिए क्योंकि वह बात बात में इस्तीफे की पेशकश करते हैं। उनकी ईमानदारी एवं सत्यवादीता की कसम तो स्वयं युद्धिष्ठिर भी खाते हैं। इमानदार इतने की विद्यालय के गेट के लिए आया आठ लाख रूपया कुछ कमीशन देने चक्कर में लौट गया और ऐसा नहीं कि गहमर इंटर के इतिहास में विकास के लिए आया भवन लौट गया हो। इसके पहले भी मान्धाता सिंह की स्मृति में आया एक बड़ा हाल आपसी विवाद में लौट चुका है। मगर इससे क्या मतलब, इमानदारी तो बरकरार है।
यह अलग बात है कि उसकी भरपाई स्थानीय बच्चों व अभिवावक का खून चूस कर होगी।
यदि शुल्क की तरफ निगाह डालें तो विगत वर्ष भी 2000 हजार बच्चों से 500 रूपये कि दर से वसूली हुई। जिसमें महज अध्यापकों का 11 महीने का लगभग 7 लाख मानदेय दिया गया। शेष रकम लगभग 2.5 से 3 लाख बची है। जहाँ तक मैं देख पा रहा हूँ गहमर इंटर कालेज में कोई भवन निर्माण नहीं हुआ।
ऐसे में इस वर्ष पुनः जब कोरोना माहामारी के संकट से गाँव जूझ रहा है तो क्यों नहीं भवन शुल्क को 500 की जगह 250 -300सौ किया जा रहा है?
गहमर इंटर कालेज के कटरा प्रवंधक इमानदार कर्मठी हैं बातें तो करते हैं मगर जहाँ अपना हित होता है वहाँ सब कुछ गंगा में बहा.देते हैं। जहाँ कमीशन की माँग पर गेट लौटा देते हैं वही न्यायालय के आदेश के बाद भी गहमर इंटर कालेज में बने 16 कटरो को उच्च पगड़ी यानि धरोहर राशि एवं किराया लेकर नियम के विपरित दुकाने चलवा रहे हैं पूछने पर कहते हैं कि हर जगह यही हाल है।
यही नहीं गरीबो के विवाह में विद्यालय को देने के लिए हजारो नियम बताने वाले कटरा प्रवंधक अपने अनुयायियों और आर.एस.एस के सेमिनार के लिए प्रेम सै देते हैं।
वर्तमान समय में कई चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी होने के बाद भी विद्यालय जंगल से कम नहीं लग रहा है। लम्बा चौड़ा मैदान, जगह जिस पर उत्थान , धनोपार्जन, खेल के कई काम किये जा सकते थे, मगर नहीं। कटरा प्रवंधक को तो बस कटरा और भवन शुल्क ही दिखता है। कुछ भी हो जाये फीस में कोई कमी नहीं। बाबा खून तक चूस लें परेम से।
अखंड गहमरी।
[7/8, 15:57] अखंड गहमरी: भाग-5 अंतिम
भवन शुल्क कम नहीं होगा, यह जाजय है, तो आप सही पिछली कमेटी गलत कैसे? मतलब आपन लइका लइका , दूसरे क लइका जनसंख्या?
वैसै एक बात हम भी कम नहीं, विद्या प्रचारिणी सभा के पदाधिकारी व सदस्य तो माशाल्लाह हैं ही, न जाने कहाँ कहाँ के मेम्बर व पदधिकारी बने बैठे हैं। न विद्यालय देखना हैं, न व्यवस्था न गाँव से मतलब न स्कूल बच्चो से लगाव। बस वो कहावत है कि न अईली न गईली, फलाने वो कहईली।
लेकिन हम भी कभी नहीं पूछते कि भाई भवन निर्माण के नाम पर अध्यापको को देने के नाम पर लिया गया पैसा आखिर दूसरे काम में क्यों? जब 2019-20, 2020-2021 में लिया गये शुल्क के पैसे बचे हैं क्योंकि इन दो तीन वर्षो में कोई भवन निर्माण तो हुआ नहीं, तब इस कोरोना की विषम परिस्थितियों में क्यों पैसा? क्यों शुल्क? क्या सारा पैसा कटरा प्रवंधक ने कटरे पर खर्च कर दिया?
और यदि सारे विद्यालय के काम बच्चों से पैसे वसूल कर करना है तो इस सभा क्या काम, सभा पर दुनिया भर के खर्च क्यों? बुला कर तकतकऊआ पागल को बुलाकर पैसे दे दो वह आप से अच्छा करा लेगा और आप भी फ्री . पैसा रहे तो मैनेंजमेंट कौन नहीं कर लेगा। और जब सारे भवन शुल्क से लिये खर्चे सही हैं तो पिछली कमेटी पर हाय तौबा क्यों हुआ?
मतलब आपन लइका, लइका। दूसरे क लइका जनसंख्या?
कटरा मैनेजर साहब जरा इमानदारी को बच्चों के लिए भी धरातल पर लाईये, विद्यालय गाँव की जमीन पर गाँव के खून पसीने से बना है। गाँव के गरीब मजदूरों को राहत दें।
अखंड गहमरी
बुधवार, 4 अगस्त 2021
गहमर इंटर कालेज के 3 त्रिदेव
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