क्या जिले में भाजपा पर भारी है सपा ? क्या नहीं है अधिकारीयों पर भाजपा का खौफ ? या खुद नहीं चाहती भाजपा की हो प्रधानो पर भ्रष्टाचारों के आरोप की निष्पक्ष जाँच और उनको मिले सजा ? आखिर क्यों नहीं होती सपा समर्थित गहमर ग्राम प्रधान की सही और निष्पक्ष जॉंच? यह एक बड़ा सवाल उभर कर जनता के सामने आ रहा है।
आम जनता को दिखाई देने वाला ग्राम प्रधान का भ्रष्टाचार अधिकारीयों को कैसे नहीं दिखाई देता ? पूरी तरह से भ्रष्टाचार में लिप्त ग्राम प्रधान कैसे जेल की सलाखो और मोदी-योगी के भ्रष्टाचार निरोधक दस्ते से बहुत दूर है ? यह समझ से परे है। इस आधार पर अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि जिले में वर्तमान सपा बसपा सर्मथन से चुने गए सांसद न सिर्फ जमानियॉं विधान सभा में भाजपा पर पूरी तरह हावी हैं बल्कि अधिकारीयों तक उनकी पहुँच काफी मजबूत है। जिले में कई भाजपा विधायक और जिला पंचायत सदस्यों के होने के बाद भी अधिकारीयों में इनकी कोई हनक दिखाई नहीं देती है। यदि देखा जाए तो इस समय भाजपा में जमीन से जुड़े दबंग नेताओं का आकाल है। जनता से लेकर अधिकारों तक उनकी गाड़ी मोदी-योगी के नाम के सहारे ही चल रही है। कहानी केवल गहमर की नहीं जमानियॉं तहसील समेत गाजीपुर के कई गॉंवों की हैं जो ग्राम प्रधानों के भ्रष्ट्राचार में दबे हैं और जॉंच की मॉंग करते करते मर रहे हैं, परन्तु उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। ऐसे में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का यह कथन कि '' प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने पर आधी सपा जेल में" महज एक जुमला ही जान पड़ता है।
आज देश में भाजपा- सपा, बसपा और कॉंग्रेस जैसी प्रमुख पार्टीयों पर बहुत भारी पड़ रही है। सपा, कॉंग्रेस,बसपा के दिग्गज से दिग्गज नेता जॉंच के घेरे में आ चुके र्हैं, कुछ जेल में हैं कुछ जेल जाने की तैयारी में हैं। परन्तु उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जनपद और गाजीपुर जनपद के खास तौर में जमानियॉं विधान सभा में प्रधानो की लूट-खसोट को देखते हुए कहना गलत नहीं होगा कि सपा बसपा के बड़े नेताओं को तो छोड़िए सपा का ग्राम प्रधान भी भाजपा पर बहुत भारी है। सभी जानते हैं कि गहमर प्रधान मीरा चौरसिया सपा समर्थित होते हुए सपा के बड़े नेताओं के करीबी मानी जाती हैं। यही कारण है कि भ्रष्टाचार की दर्जनों शिकायत के बाद भी वह जेल की सलाख तो छोड़िए छोटी सी कार्यवाही से भी बाहर हैं। जो साफ इशारा कर रहा है कि जमानियॉं में सपा बसपा सांसद आज भी भापजा पर बहुत भारी पड़ रहे हैं।
गहमर प्रधान के खिलाफ वर्ष 2017 से कई बार शौचालय के निर्माण में धॉंधली की जॉंच आयी। उस समय गहमर के रघुवीर सिंह ने शौचालय और राज्य वित्त आयोग के पैसे की धॉंधली को लेकर जॉंच की मॉंग की थी। बयान पर बयान हुए मगर कोई कार्यवाही नहीं हुई। मेरे जॉंच की मॉंग पर जो जॉंच कराई गई उसको सुन कर हँसी आयेगी।राज्य वित्त आयोग के पैसे की जॉंच की मॉंग पर जॉंच आई और पता चला कि मनरेगा के तहत कोई काम ही नहीं हुआ था।
राज्य वित्त आयोग के पैसे से भ्रष्टाचार, अपने पुत्र को मेठ बनाने का भ्रष्टाचार, अपने परिवार के नाम से चेक काटने जैसे नियमो से हट कर कार्य, घटिया एवं रद्दी कार्य, बिना कार्य के पेैसे को निकासी, निमार्ण कार्य में घटिया सामाग्री का प्रयोग, इत्यादि जैसे हकीकत के धरातल पर दिखने वाला भ्रष्टाचार जॉंच अधिकारीयों को कैसे नहीं दिखा? इस प्रश्न का जबाब आज तक किसी के पास नहीं है। इसका मतलब साफ है कि सपा समर्थित ग्राम प्रधान गहमर राजनीति में भी हसुआ अपनी तरफ ही खीचंता है। मुहावरे को चरितार्थ कर रहे हैं।
वर्ष 2015 के ग्राम पंचायत चुनाव में गहमर के प्रधान पद पर चुनी गई मीरा चौरसिया के भ्रष्टाचार की बेहतरीन कहानी खुद सरकार की मोबाइल ऐप कह रही है। इस एप में दिये हुए कार्यो और धन-निकासी को देखने के बाद बच्चा भी कह सकता है कि मीरा चौरसिया गहमर की सबसे भ्रष्ट प्रधान साबित हो रही हैं। मीरा देवी के कार्यकल में गहमर में भ्रष्टाचार के अलावा दूसरा काम उस ऐप के माध्यम से मुझे दिखाई नहीं देता। अगर आपको दिखाई देता है तो आप मुझे बता सकते हैं। अगर यह मान लिया जाये कि वह ऐप पूरी तरह गलत है तो फिर बात ही खत्म है , तब तो मीरा देवी चौरसिया गहमर की सर्वाधिक अच्छी प्रधान है।
मीरा देवी के कार्यकाल में गहमर में लगभग साढ़े 12 करोड़ रूपये सरकार के द्वारा गॉंव के विकास में आये। मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि यदि इस राशि का 75 प्रतिशत भाग भी इमानदारी से खर्च हुआ होता तो आज गहमर विकास के मामले में सबसे अग्रणी होता।
मेरा दावा कोई हवा हवाई नहीं है। हकीकत की धरातल पर उतर कर आप भी देख सकते हैं। ये अलग बात है कि यह सब कुछ सरकार के जॉंचकर्ता को दिखाई नहीं देता। गहमर मे मीरा देवी पर दर्जनों बार जॉंच आ चुकी है, मगर हर बार जॉंच बंद बक्से में चली जाती है। जॉंचकर्ता उसी पंचायत भवन में बैठ कर प्रधान की मिठाई खाकर चले जाते हैं जिस पंचायत भवन में खुद प्रधान का भ्रष्ट्रचार चीख चीख कर बोलता है।
वर्ष 2017 तक में समाजवादी पार्टी की सरकार होने के कारण गहमर प्रधान पर जॉंच की कल्पना करना ही बेकार था।परन्तु जब चुनाव के पूर्व केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि उनकी सरकार आने पर भ्रष्टाचारियों पर कार्यवाही होगी, तो कुछ आशा जगी। 2017 में न सिर्फ उनकी सरकार आई, बल्कि जमानियॉं विधान सभा से गहमर का प्रत्याशी ही भाजपा विधायक बन कर आया परन्तु भाजपा की विधायक अपने वर्तमान प्रधान मीरा चौरसिया पर उन्नीस साबित हो रही है और प्रधान उन पर 29। जिसे भाजपा शासन में सलाखों के पीछे होना चाहिए था वह खुले आम घूमता दिखाई दे रहा है। अब आते हैं आकड़ो पर वर्तमान प्रधान द्वारा गहमर के पंचायत भवन में मुख्य गेट से पानी टंकी तक सीसी इन्टर लाकिंग एवं अन्य कार्य दिखाये गये हैं। जिसमें कुल खर्च 5 लाख 8 हजार 600 रूपये हैं। अब आपको बताते है वहॉं लगे कुल ईंटो की संख्या-
मेन गेट से पानी टंकी तक कुल दस ईटों की चौड़ाई में 197 लाइन ईंट लगे हुए हैं।यानि कुल ईंटो की संख्या 1970। मैं अपनी ऑंख का भ्रम मानता हूँ तो 2000 ईंट मान सकते हैं। इसके बाद मुख्य गेट से दक्षिण 4 ईंटो की चौड़ाई में कुल 88 लाइने,मुख्य गेट से उत्तर 4 ईटों की चौड़ाई में 87 लाइने एवं मुख्य गेट से बाहर 24 लाइने ईटो की चौड़ाई में 14 लाइने लगी हुई हैं। कुल रंगीन सीमेंट की ईंटे हुए 1083 तथा लगभग 300 सीमेंट की ईंटे प्लेन। अब इन्हीं ईंटो को कायदे से बिछा देने और उस पर बालू डाल देने को इन्टर लाकिंग कहते हैं।
अब आप खुद अनुमान लगा सकते हैं कि लगभग 3500 पीस सिमेंन्ट की ईंटे तो मौके पर मौजूद है, 1500 ईंटे टूट फूट मान लेत हैं तो भी आप सहज अनुमान लगा लीजिए कि क्या यह काम 5 लाख का है और जो अन्य कार्य लिखा हुआ है वह आप खुद देख सकते हैं कि अन्य कार्य क्या हुआ है।मैं तो रोज आते जाते देखता हूँ।
अन्य कार्यो पर एक सवाल आता है रंगरोगन चहारदीवारी की, तो चहारदीवारी की रंगाई पुताई पहले हो चुकी थी। अगर इस बज़ट में दिखाया गया है तो क्यों नही उसका जिक्र किया गया, क्योंकि पुताई का रंग घर में तो बनता नहीं वह बाजार से ही खरीद कर आता है। अभी एक सामुदायिक शौचालय जरूर पंचायत भवन में बन रहा है लेकिन जब केवल टाइल्स लगाने का बज़ट और छोटे छोटे रैंप बनवाने में 65 हजार रूपये खर्च, गोपाल राम गहमरी सेवा संस्थान में तीन कमरो के फर्श बनवाने में 65 हजार खर्च, तो इतना बड़ा सामुदायिक शौचालय यदि पॉंच लाख में है तो उसका जिक्र क्यों नहीं। कहना गलत न होगा कि जितना खर्च मीरा देवी ने ग्राम पंचायत भवन पर किया है उतने में तो पूरा भवन चॉंदी का हो जाता है। वैसे वहॉं खर्च करें भी क्यों नहीं दिखाये भी क्यों नहीं वह उनके परिवार का गाड़ी गैरेज जो है। ग्राम प्रधान ने अपने काल में पंचायत भवन पानी टंकी का जो हाल किया है उसकी दुदर्शा देख कर ही आपको इनके भ्रष्टाचार का अंदाजा लग जायेगा।
अब देखिये एक और उदाहरण दिखाता हूँ पंचायत भवन का- नीचे चित्र में जो आप पंचायत भवन देख रहे है यह वर्ष 1962 में स्व0 श्री सुबेदार विश्वनाथ सिंह जी के द्वारा बनवाया गया एक शानदार भवन था, समय के साथ साथ रखखाव के आभाव मे सूर्खी चूने को बना वह भवन अब जर्जर हो रहा था। उस भवन के निर्माण को देखने के बाद लगात था कि वह आगामी 60 साल के भविष्य को देख कर बनवाया गया था। डेढ से दो फिट चौड़ी दिवारे थी उस भवन की । उस भवन में काफी ईटें और पुरानी लकड़ी के बिम लगे हुए थे, यदि आज के लागत के अनुसार देखा जाये तो वह बिल्डिग लाखों की थी जिसका कोई अता पता नहीं है। कहॉं गया उसका सब ईट और लकड़ी ? ग्राम प्रधान के पास इसका कोई जबाब है ? ग्राम सभा गहमर में कुएं को निर्माण के नाम, हैंड पम्पो के मरम्मत के नाम पर एक एक साल में पॉंच पॉंच लाख रूपये दिखाये गये है। मुख्यमार्ग से जूनियर हाई स्कूल कन्या तक के सी सी सड़क निर्माण के काम को 5 लाख रूपये के लगभग दिखाया गया है जबकि यह यह मार्ग सीसी हुआ ही नहीं। एक आर्श्चय की बात और मुझे उस ऐप के माध्यम से दिखाई देता है जहॉं कही भी सीसी इन्टर लाकिंग का बजट दिखता है वह पॉंच लाख, आठ हजार ही लगभग दिखता है। ये कैसा आकड़ा है समझ से परे है। बात यही खत्म नहीं होती है आपने देखा होगा कि पंचायत भवन की, पंचायत भवन में बनी बाउन्ड्रीवाल को बनाने के लिए 4 लाख 99 हजार से ऊपर की धनराशि है। कुल मिला कर केवल गहमर पंचायत भवन में 16 लाख के लगभग रूपये विकास के नाम पर खर्च किये जा चुके हैं।
एक नहीं दर्जनों उदाहरण है गहमर ग्राम प्रधान के भ्रष्टाचार के, मगर इन सबके बाद भी ग्राम प्रधान पर कार्यवाही न होना यह साबित करता है कि कही-न -कही भाजपा पर सपा बहुत भारी है अन्यथा जिस दल की केन्द्र और राज्य में पूर्ण बहुत की सरकार हो उस दल के विधायक और जिला पंचायत सदस्य के पैत्रिक गॉंव में ग्राम प्रधान स्तर से भ्रष्टाचार की इतनी प्रमाणित शिकायत हो और ग्राम प्रधान बच जाय यह संभव ही नहीं है। मेरा दावा है कि आज यदि जरा भी ईमानदारी से जॉंच हुई तो मीरा देवी का नया ठिकाना जेल की सलाखें ही होगी।
आईये दिखाते हैं एप के माध्यम से कुछ विशेष कार्य और उन पर खर्च
हैंड पम्प उच्चीकरण 17 लाख 50 हजार,पंचायत चुनाव में रैंप 3 लाख 75 हजार, सोलर लाइट मरम्मत कार्य 6 लाख रूपये , हैंडपम्प रिबोर 25 लाख रूपये , हैंडपम्प मरम्मत 15 लाख , सोलर लाइट पर वयय 17 लाख 50 हजार , गंगा के विभिन्न घाटो पर मिटट़ी साफ कराई 2 लाख 55 हजार , पंचायत भवन की चारदिवारी 4 लाख 99 हजार , गहमर गंगा घाट पर अंतियोष्टी स्थल 85 हजार।
इन आकड़ो को देखने के बाद तो यही लगता है कि गहमर मे लूट खसोट नहीं डकैती हुई हैं और डकैती मीरा देवी करें क्याें नहीं, उनके पास कहने को यह है कि मैं पिछड़ी जाति की हूँ राजपूतो का गॉंव है इस लिए आरोप है। तो ठीक है मीरा देवी जी यह आरोप ही सही इसे गलत साबित कर दें। और आप को इस लेख पर मानहानी के दावे के लिए मुझे कारण बताओं नोटिस भेजने की भी जरूरत नहीं। यह लेख पर अगर आप सीधे मानहानी का मुकदमा कर सकती हैं।
वैसे भारतीय संविधान में पद से हटने के वर्षो बाद भी लोग जेल जाते हैं। घोटालो में चाहे वह लालू हो, सुखराम हो, कालमाड़ी हो, आशा राम बापू हो, राम रहीम हो,मधु कोड़ा हो, पी0चितम्बरम हो, या कोई और नेता, फिल्म स्टार रिया चक्रवर्ती हों।उस वक्त ना पैसा काम आता, ना शोहरत और ना ही पहुँच। कानून ने आरोपी की गर्दन नापी ही है।आज नही तो कल मीरा देवी भी रिया चक्रवर्ती और लालू यादव की तरह अपने असली जगह पर पहुँचेगीं ही।
अखंड गहमरी।
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पुराना पंचायत भवन फोटो अखंड गहमरी |