कोरोना नाम के आगे पूरा विश्व लाचार, परेशान है। हर कोई इसके इलाज का तरीका तो ढूढ़ ही रहा है परन्तु उसके साथ वह नागरिकों के जीवन को बचाने, उनकी रोजी रोटी और अन्य समस्याओं को दूर करने में लगा है। परन्तु भारत देश के प्रधान सेवक जी दीपक जलवा कर, थाली बजवा कर, अपने मन की बात सुना कर और आरोग्य एप से कोरोना को दूर भगा कर एवं अपने एक गलत निर्णय से बुरी तरह हार कर अब जनता को न सिर्फ मौत के मुहँ में छोड़ चुके हैं बल्कि अब तो वह हर आदमी को पाई पाई के लिए मोहताज भी कर चुके हैं। अपनी इन असफलताओं से जनता का ध्यान भटकाने के लिए नित्य कभी चीन तो कभी राफेल तो कभी राम मंदिर की बात कर तरह तरह के चोचलें गढ़ रहे हैं।
गलत निर्णय -: पहले मैं आता हूँ उनके गलत निर्णय पर। मैं अल्प बुद्वि जब यह समझ सकता हूँ कि भारत में नियमों की धज्जीयॉं उड़ाना, और आपदा में अवसर तलाशना जब स्वभाव में हैं तो उनको यह पता नहीं था कि भारत की जनता, उनके अधिकारी व खुद उनके नेता कितने ईमानदार हैं जो कही फँसे हुए आदमी को महीनों तक दो वक्त की रोटी खिला का उनके स्वास्थ एवं मौलिक जीवन यापन की वस्तु उपलब्ध करा सकेेगें। क्या उनको पता नहीं था कि किराये के मकान मे रहने वाले व्यक्ति का किराया यदि मकान मालिक छोड़ देगा तो वह भोजन कहॉं से करेगें। आनन-फानन में लिये लाकडाउन के फैसले ने सबको घबड़ा दिया, कुछ दिन तक तो लोग इंतजार किये मगर जब भूखो मरने की नौबत आई तो पैदल चल दिये। दूसरे लाक डाउन के बाद सरकार ने उनको जिस तरह अपने अपने घर भेजने की व्यवस्था की हकीकत के धरातल पर किसी से छुपी नहीं।
महाराष्ट्र और तमिल में केस बढ़ते गये, लोग संक्रमित होते गये और अपने घर भागते गये। कितने लोग रास्ते में मर गये। मदद कर अपने आपको महान बनने वाली भारतीय रेलवे गरीबो का खून चूस कर पैसे लिए। आज यदि देखा जाये थोड़ा पीछे जाकर तो संक्रमण मुख्य रूप से बम्मई, दक्षिण व तमिल से आये लोगो से गॉंव गॉंव पहुँचा है। लाक डाउन करने से पूर्व यदि घोषण कर दी गई होती कि जिसको जहॉं जाना है रजिस्ट्रेशन करा कर चला जाये नही तो लाकडाउन में फँस जायेगा, स्थित काफी नियंत्रण में होती।
होली का त्यौहार रखने के कारण अंधिकाश लोग अपने घर आये हुए थे। आनन फानन में लाकडाउन से जो कही दो दिन के लिए गया था वही फँस कर रह गया। जिसकी पीड़ा मैने सुनी है। अब जब स्थित बिगड़ गई, सरकार के हाथ से सब कुछ निकल गया तो सरकार मंदिर, राफेल और चाइना के नाम पर लोगो का ध्यान इस समस्या से निकालने की कोशिश कर रही है।
गलत निर्णय -: पहले मैं आता हूँ उनके गलत निर्णय पर। मैं अल्प बुद्वि जब यह समझ सकता हूँ कि भारत में नियमों की धज्जीयॉं उड़ाना, और आपदा में अवसर तलाशना जब स्वभाव में हैं तो उनको यह पता नहीं था कि भारत की जनता, उनके अधिकारी व खुद उनके नेता कितने ईमानदार हैं जो कही फँसे हुए आदमी को महीनों तक दो वक्त की रोटी खिला का उनके स्वास्थ एवं मौलिक जीवन यापन की वस्तु उपलब्ध करा सकेेगें। क्या उनको पता नहीं था कि किराये के मकान मे रहने वाले व्यक्ति का किराया यदि मकान मालिक छोड़ देगा तो वह भोजन कहॉं से करेगें। आनन-फानन में लिये लाकडाउन के फैसले ने सबको घबड़ा दिया, कुछ दिन तक तो लोग इंतजार किये मगर जब भूखो मरने की नौबत आई तो पैदल चल दिये। दूसरे लाक डाउन के बाद सरकार ने उनको जिस तरह अपने अपने घर भेजने की व्यवस्था की हकीकत के धरातल पर किसी से छुपी नहीं।
महाराष्ट्र और तमिल में केस बढ़ते गये, लोग संक्रमित होते गये और अपने घर भागते गये। कितने लोग रास्ते में मर गये। मदद कर अपने आपको महान बनने वाली भारतीय रेलवे गरीबो का खून चूस कर पैसे लिए। आज यदि देखा जाये थोड़ा पीछे जाकर तो संक्रमण मुख्य रूप से बम्मई, दक्षिण व तमिल से आये लोगो से गॉंव गॉंव पहुँचा है। लाक डाउन करने से पूर्व यदि घोषण कर दी गई होती कि जिसको जहॉं जाना है रजिस्ट्रेशन करा कर चला जाये नही तो लाकडाउन में फँस जायेगा, स्थित काफी नियंत्रण में होती।
होली का त्यौहार रखने के कारण अंधिकाश लोग अपने घर आये हुए थे। आनन फानन में लाकडाउन से जो कही दो दिन के लिए गया था वही फँस कर रह गया। जिसकी पीड़ा मैने सुनी है। अब जब स्थित बिगड़ गई, सरकार के हाथ से सब कुछ निकल गया तो सरकार मंदिर, राफेल और चाइना के नाम पर लोगो का ध्यान इस समस्या से निकालने की कोशिश कर रही है।
चीनी विवाद -: पहले कोरोना काल में बढ़ती समस्याओं के प्रति ध्यान हटाने के लिए चीन विवाद और युद्व को हवा दी गई। चीन आगे आया, चीन पीछे गया, करते करते हमारे 20 जवान बलिदान कर दिये गये। चीन एक ही रात में दो किलोमीटर आगे आकर बंकर नहीं बना लिया। ना चीन रातो रात वहॉं शैतानी कर रहा था। सारी सूचना शासन को थी। मगर हमारी सरकार को तो सेना को बलिदान करने की आदत पड़ गई है। सेना का बलिदान और भाजपा का चोली दामन का साथ है। चाहे वह किसी प्रदेश या देश के चुनाव में विजय हेतु अपने प्रचार प्रसार को तेज करना हो या किसी समस्या से जनमानस का ध्यान भटकाना हो वह सेना को बलिदान करने से नहीं चूकती। बलिदान की आड़ में कोरोना की दुव्यवस्था को छिपाने का असफल प्रयास कर रही थी।
देश और राफेल -: अब जब चीन पुराना होने लगा लोग इससे हट कर प्रधान सेवक से प्रश्न करने लगे तो फिर देश को देश की सुरक्षा के साथ जोड़ा गया।मैं पूछना चाहता हूँ कि आज के पहले विमानो की या सैन्य उपकरणो की खरीद नहीं हुई? तो इस बार इतना हंगामा क्यों? जिस समय जैसी टेक्नोलाजी रही उसके हिसाब से हर समय उपकरणो की खरीद हुई। राफेल तो खरीदा हुआ सामान आ रहा है। कोई भारत में निर्मित तो हुआ नहीं मोदी काल में जो इतना शोर। जब राफेल की खरीद पर इतना हल्ला तो यदि मोदी काल मे राफेल भारत में बनता तो क्या होता? खरीद को जब सरकार इस प्रकार प्रमोट कर रही है तो बनाने के बाद तो वह आसमान में बैनर लगा देती। राफेल की तमाम खूबियॉं उस समय थी आप के समय भी हैं, ठीक है आपने कॉंग्रेस काल में राफेल का विरोध कर के राफेल ले जाये। मगर इतना बता दें सर जी कि अभी वर्तमान में राफेल ही जरूरी है या हम और हमारा जीवन यापन, और खरीदे हुए सामान पर इतना सीना चौड़ा क्यों? वह भी वर्तमान हालत में जब हर तरफ मौत व बेबसी का ताड़व है।
देश और राफेल -: अब जब चीन पुराना होने लगा लोग इससे हट कर प्रधान सेवक से प्रश्न करने लगे तो फिर देश को देश की सुरक्षा के साथ जोड़ा गया।मैं पूछना चाहता हूँ कि आज के पहले विमानो की या सैन्य उपकरणो की खरीद नहीं हुई? तो इस बार इतना हंगामा क्यों? जिस समय जैसी टेक्नोलाजी रही उसके हिसाब से हर समय उपकरणो की खरीद हुई। राफेल तो खरीदा हुआ सामान आ रहा है। कोई भारत में निर्मित तो हुआ नहीं मोदी काल में जो इतना शोर। जब राफेल की खरीद पर इतना हल्ला तो यदि मोदी काल मे राफेल भारत में बनता तो क्या होता? खरीद को जब सरकार इस प्रकार प्रमोट कर रही है तो बनाने के बाद तो वह आसमान में बैनर लगा देती। राफेल की तमाम खूबियॉं उस समय थी आप के समय भी हैं, ठीक है आपने कॉंग्रेस काल में राफेल का विरोध कर के राफेल ले जाये। मगर इतना बता दें सर जी कि अभी वर्तमान में राफेल ही जरूरी है या हम और हमारा जीवन यापन, और खरीदे हुए सामान पर इतना सीना चौड़ा क्यों? वह भी वर्तमान हालत में जब हर तरफ मौत व बेबसी का ताड़व है।
राम मंदिर दूसरी बात जब पूरा देश महामारी से परेशान हैं। चालीस हजार लोगो के घर में मौत का मातम पसरा है मोदी जी आज आपके चहेते अम्बानी परिवार की सम्पति भले बढ़ती जा रही है, वह विश्व के प्रथम धनिक बनने की राह में अग्रसर है लेकिन बाकी के व्यपार चौपट हो चुके हैं। लोगो के भोजन के लाले पड़े हैं। जीवन बचाने की प्रक्रिया में लगे हैं ऐसे में आप अपने चोचलों से कितना भटकाएंगें।
प्रधान सेवक जी छोडीये अखंड गहमरी को अब तो आपके अंध भक्त भी आपके चोचलेे समझने लगे हैं, लेकिन वह बेचारे करें तो क्या करें? कोई आपके दल से जुड़ा है तो किसी की भावनाएं आपके साथ जुड़ी हैं। वह भी भूखमरी एवं व्यवसायों के समाप्त होने का दंश झेल रहे हैं। हम तो अपनी बात लिख कर आप का विरोध करके अपने अंदर की आग को कुछ समाप्त कर लें रहे हैं मगर वह बेचारे तो सब जानते हुए परेशान रहते हुए भी आपके समर्थन में बोलने को मजबूर हैं। अगर अखंड गहमरी की बात का भरोसा नही हो तो इस पोस्ट पर आकर देख लीजिएगा इसके विरोध में आये वक्तव्य और फिर उनके घर और दिल में झॉंक कर देखीयेगा आपको हकीकत समझ में आ जायेगी।
इस लिए बंद करीये चोचलें और सबको साथ लेकर पूरी ईमानदारी से इस महामारी के खिलाफ मोर्चा खोलीये, चीन, पाकिस्तान,मंदिर, राफेल बाद में देखीयेगा। जय हिंद जय भारत
प्रधान सेवक जी छोडीये अखंड गहमरी को अब तो आपके अंध भक्त भी आपके चोचलेे समझने लगे हैं, लेकिन वह बेचारे करें तो क्या करें? कोई आपके दल से जुड़ा है तो किसी की भावनाएं आपके साथ जुड़ी हैं। वह भी भूखमरी एवं व्यवसायों के समाप्त होने का दंश झेल रहे हैं। हम तो अपनी बात लिख कर आप का विरोध करके अपने अंदर की आग को कुछ समाप्त कर लें रहे हैं मगर वह बेचारे तो सब जानते हुए परेशान रहते हुए भी आपके समर्थन में बोलने को मजबूर हैं। अगर अखंड गहमरी की बात का भरोसा नही हो तो इस पोस्ट पर आकर देख लीजिएगा इसके विरोध में आये वक्तव्य और फिर उनके घर और दिल में झॉंक कर देखीयेगा आपको हकीकत समझ में आ जायेगी।
इस लिए बंद करीये चोचलें और सबको साथ लेकर पूरी ईमानदारी से इस महामारी के खिलाफ मोर्चा खोलीये, चीन, पाकिस्तान,मंदिर, राफेल बाद में देखीयेगा। जय हिंद जय भारत
अखंड गहमरी